भगवद गीता: अध्याय 1, श्लोक 8

भवान्भीष्मश्च कर्णश्च कृपश्च समितिञ्जयः ।
अश्वत्थामा विकर्णश्च सौमदत्तिस्तथैव च ॥8॥
भवान्-आप: भीष्मः-भीष्म पितामहः च और; कर्ण:-कर्णः च और; कपः-कृपाचार्य च-और; समितिन्जयः-युद्ध में सदा विजयी; अश्वत्थामा अश्वत्थामा, विकर्ण:-विकर्ण; च-और; सौमदत्ति:- सोमदत्त का पुत्र भूरिश्रवा; तथा-और; एक-समान रूप से; च-भी।।
Hindi translation : इस सेना में सदा विजयी रहने वाले आपके समान भीष्म, कर्ण, कृपाचार्य, अश्वत्थामा, विकर्ण तथा सोमदत्त का पुत्र भूरिश्रवा आदि महा पराक्रमी योद्धा हैं जो युद्ध में सदा विजेता रहे हैं।
ज़िंदगी की लड़ाई
एक लड़ाई जिसमें कोई नहीं हारता
परिचय
ज़िंदगी एक लंबी लड़ाई है। इस लड़ाई में हमें हर पल नए चुनौतियों का सामना करना पड़ता है। लेकिन इस लड़ाई में हम कभी हारते नहीं हैं, क्योंकि हर चुनौती हमें मज़बूत बनाती है। हमारी सेना में महान योद्धा हैं जो हमेशा विजयी रहे हैं।
महान योद्धाओं की सेना
इस सेना में भीष्म, कर्ण, कृपाचार्य, अश्वत्थामा, विकर्ण और सोमदत्त के पुत्र भूरिश्रवा जैसे महापराक्रमी योद्धा हैं। ये सभी युद्ध में कभी हारे नहीं। उनकी वीरता और साहस आज भी हमारे लिए प्रेरणा का स्रोत है।
भीष्म
भीष्म महाभारत के महान योद्धाओं में से एक थे। उनकी निष्ठा और त्याग की मिसाल आज भी लोग देते हैं। युद्ध में वे कभी पीछे नहीं हटे और अपने प्राणों की आहुति दे दी।
कर्ण
कर्ण एक दानवीर थे। उनकी दानशीलता और योद्धा के रूप में प्रतिभा अद्वितीय थी। युद्ध में उन्होंने अपना सर्वस्व न्योछावर कर दिया।
कृपाचार्य
कृपाचार्य एक महान गुरु और योद्धा थे। उनकी बुद्धिमत्ता और शौर्य की मिसालें आज भी लोग देते हैं। युद्ध में उन्होंने अपना कर्तव्य पूरा किया।
<तालिका>
| योद्धा का नाम | विशेषताएं |
|---|---|
| भीष्म | निष्ठा, त्याग |
| कर्ण | दानशीलता, प्रतिभा |
| कृपाचार्य | बुद्धिमत्ता, शौर्य |
| अश्वत्थामा | विनाशकारी शक्ति |
| विकर्ण | धैर्य, साहस |
| भूरिश्रवा | बलिष्ठता, निडरता |
आज का संदेश
इन महान योद्धाओं की तरह हमें भी अपने जीवन की लड़ाई में कभी हार न मानना है। हर चुनौती को एक अवसर की तरह देखना है और उससे सीखना है। यही हमारी विजय की कुंजी है।
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