राधा रानी के 108 नाम | Shri Radha Rani Ke 108 Naam in Hindi

राधा रानी, जिन्हें वृंदावन की रानी और श्री कृष्ण की परम प्रिया के रूप में जाना जाता है, भक्ति और प्रेम की साक्षात मूर्ति हैं। हिंदू धर्म में Shri Radha Rani Ke 108 naam अत्यंत पवित्र और शक्तिशाली माने जाते हैं। Shri Radha Rani Ke 108 Naam दिव्य नामों का जाप करने से भक्तों को आध्यात्मिक शांति, प्रेम और मोक्ष की प्राप्ति होती है।
राधा रानी के 108 (Shri Radha Rani Ke 108 naam) नाम का महत्व
श्री राधा रानी के 108 नाम (Shri Radha Rani Ke 108 naam) केवल नाम नहीं हैं, बल्कि प्रत्येक नाम उनके विभिन्न गुणों, रूपों और दिव्य लीलाओं को दर्शाता है। जब हम इन नामों का जाप करते हैं, तो हम राधा रानी के असीम प्रेम और करुणा से जुड़ते हैं। ये नाम हमें याद दिलाते हैं कि सच्ची भक्ति क्या होती है और कैसे निस्वार्थ प्रेम के माध्यम से हम परमात्मा के करीब पहुंच सकते हैं।
प्राचीन शास्त्रों और पुराणों में इन नामों का उल्लेख मिलता है। माना जाता है कि नियमित रूप से radha rani ke 108 naam का पाठ करने से घर में सुख-समृद्धि आती है, मन में शांति बनी रहती है और जीवन में प्रेम का संचार होता है।
राधा रानी के 108 नाम in Hindi (Shri Radha Rani Ke 108 naam)- पूर्ण सूची
यहाँ राधा रानी के 108 नाम in hindi (Shri Radha Rani Ke 108 naam) प्रस्तुत हैं:
- ॐ श्रीराधायै नम: – सभी सौभाग्य की स्वामिनी को नमन
- ॐ राधिकायै नम: – राधा स्वरूप को नमन
- ॐ कृष्णवल्लभायै नम: – श्री कृष्ण की प्रियतमा को नमन
- ॐ कृष्णसंयुतायै नम: – श्री कृष्ण से संयुक्त रहने वाली को नमन
- ॐ वृन्दावनेश्वर्यै नम: – वृंदावन की ईश्वरी को नमन
- ॐ कृष्णप्रियायै नम: – कृष्ण को अत्यंत प्रिय लगने वाली को नमन
- ॐ मदनमोहिन्यै नम: – मदन को भी मोहित करने वाली को नमन
- ॐ श्रीमत्यै कृष्णकान्तायै नम: – श्रीमान कृष्ण की कांता को नमन
- ॐ कृष्णानन्दप्रदायिन्यै नम: – कृष्ण को आनंद देने वाली को नमन
- ॐ यशस्विन्यै नम: – यशस्विनी को नमन
- ॐ यशोगम्यायै नम: – यश से प्राप्त होने वाली को नमन
- ॐ यशोदानन्दवल्लभायै नम: – यशोदा नंदन की वल्लभा को नमन
- ॐ दामोदरप्रियायै नम: – दामोदर की प्रिया को नमन
- ॐ गोप्यै नम: – गोपी स्वरूप को नमन
- ॐ गोपानन्दकर्यै नम: – गोपों को आनंद देने वाली को नमन
- ॐ कृष्णांगवासिन्यै नम: – कृष्ण के अंग में निवास करने वाली को नमन
- ॐ हृद्यायै नम: – हृदय को प्रिय लगने वाली को नमन
- ॐ हरिकान्तायै नम: – हरि की कांता को नमन
- ॐ हरिप्रियायै नम: – हरि को प्रिय लगने वाली को नमन
- ॐ प्रधानगोपिकायै नम: – प्रमुख गोपी को नमन
- ॐ गोपकन्यायै नम: – गोप की कन्या को नमन
- ॐ त्रैलोक्यसुन्दर्यै नम: – तीनों लोकों में सुंदरी को नमन
- ॐ वृन्दावनविहारिण्यै नम: – वृंदावन में विहार करने वाली को नमन
- ॐ विकसितमुखाम्बुजायै नम: – विकसित कमल के समान मुख वाली को नमन
- ॐ गोकुलानन्दकर्त्र्यै नम: – गोकुल में आनंद करने वाली को नमन
- ॐ गोकुलानन्ददायिन्यै नम: – गोकुल को आनंद देने वाली को नमन
- ॐ गतिप्रदायै नम: – गति प्रदान करने वाली को नमन
- ॐ गीतगम्यायै नम: – गीत से प्राप्त होने वाली को नमन
- ॐ गमनागमनप्रियायै नम: – आने-जाने में प्रिय लगने वाली को नमन
- ॐ विष्णुप्रियायै नम: – विष्णु को प्रिय लगने वाली को नमन
- ॐ विष्णुकान्तायै नम: – विष्णु की कांता को नमन
- ॐ विष्णोरंकनिवासिन्यै नम: – विष्णु के अंक में निवास करने वाली को नमन
- ॐ यशोदानन्दपत्न्यै नम: – यशोदा नंदन की पत्नी को नमन
- ॐ यशोदानन्दगेहिन्यै नम: – यशोदा नंदन के घर में रहने वाली को नमन
- ॐ कामारिकान्तायै नम: – कामदेव के शत्रु की कांता को नमन
- ॐ कामेश्यै नम: – काम की ईश्वरी को नमन
- ॐ कामलालसविग्रहायै नम: – काम लालसा के विग्रह को नमन
- ॐ जयप्रदायै नम: – जय प्रदान करने वाली को नमन
- ॐ जयायै नम: – विजयी को नमन
- ॐ जीवायै नम: – जीवन स्वरूप को नमन
- ॐ जीवानन्दप्रदायिन्यै नम: – जीवों को आनंद देने वाली को नमन
- ॐ नन्दनन्दनपत्न्यै नम: – नंद नंदन की पत्नी को नमन
- ॐ वृषभानुसुतायै नम: – वृषभानु की सुता को नमन
- ॐ शिवायै नम: – कल्याणकारी को नमन
- ॐ गणाध्यक्षायै नम: – गणों की अध्यक्ष को नमन
- ॐ गवाध्यक्षायै नम: – गायों की अध्यक्ष को नमन
- ॐ जगन्नाथप्रियायै नम: – जगन्नाथ को प्रिय लगने वाली को नमन
- ॐ किशोर्यै नम: – किशोरी रूप को नमन
- ॐ कमलायै नम: – कमल स्वरूप को नमन
- ॐ पद्मायै नम: – पद्म समान को नमन
- ॐ पद्महस्तायै नम: – कमल जैसे हाथों वाली को नमन
- ॐ पवित्रायै नम: – परम पवित्र को नमन
- ॐ सर्वमंगलायै नम: – सब मंगलों की मूर्ति को नमन
- ॐ कृष्णकान्तायै नम: – कृष्ण की कांता को नमन
- ॐ विचित्रवासिन्यै नम: – विचित्र स्थान में निवास करने वाली को नमन
- ॐ वेणुवाद्यायै नम: – वेणु वादन करने वाली को नमन
- ॐ वेणुरत्यै नम: – वेणु में आनंद लेने वाली को नमन
- ॐ सौम्यरूपायै नम: – सौम्य रूप वाली को नमन
- ॐ ललितायै नम: – ललिता स्वरूप को नमन
- ॐ विशोकायै नम: – शोकरहित को नमन
- ॐ विशाखायै नम: – विशाखा स्वरूप को नमन
- ॐ चित्रमालिन्यै नम: – विचित्र माला धारण करने वाली को नमन
- ॐ विमलायै नम: – निर्मल को नमन
- ॐ दु:खहन्त्र्यै नम: – दुःख को नष्ट करने वाली को नमन
- ॐ मत्यै नम: – बुद्धि स्वरूप को नमन
- ॐ धृत्यै नम: – धैर्य स्वरूप को नमन
- ॐ लज्जायै नम: – लज्जा स्वरूप को नमन
- ॐ कान्त्यै नम: – कांति स्वरूप को नमन
- ॐ पुष्टयै नम: – पुष्टि स्वरूप को नमन
- ॐ गोकुलत्वप्रदायिन्यै नम: – गोकुल देने वाली को नमन
- ॐ केशवायै नम: – केशव स्वरूप को नमन
- ॐ केशवप्रीतायै नम: – केशव को प्रीति करने वाली को नमन
- ॐ रासक्रीडाकर्यै नम: – रास क्रीडा करने वाली को नमन
- ॐ रासवासिन्यै नम: – रास में निवास करने वाली को नमन
- ॐ राससुन्दर्यै नम: – रास में सुंदरी को नमन
- ॐ लवंगनाम्न्यै नम: – लवंग नाम वाली को नमन
- ॐ कृष्णभोग्यायै नम: – कृष्ण द्वारा भोग्य को नमन
- ॐ चन्द्रवल्लभायै नम: – चंद्र को प्रिय लगने वाली को नमन
- ॐ अर्द्धचन्द्रधरायै नम: – अर्धचंद्र धारण करने वाली को नमन
- ॐ रोहिण्यै नम: – रोहिणी स्वरूप को नमन
- ॐ कामकलायै नम: – काम कला स्वरूप को नमन
- ॐ बिल्ववृक्षनिवासिन्यै नम: – बिल्व वृक्ष में निवास करने वाली को नमन
- ॐ बिल्ववृक्षप्रियायै नम: – बिल्व वृक्ष को प्रिय लगने वाली को नमन
- ॐ बिल्वोपमस्तन्यै नम: – बिल्व के समान स्तन वाली को नमन
- ॐ तुलसीतोषिकायै नम: – तुलसी से प्रसन्न होने वाली को नमन
- ॐ गजमुक्तायै नम: – हाथी से मुक्त करने वाली को नमन
- ॐ महामुक्तायै नम: – महान मुक्ति स्वरूप को नमन
- ॐ महामुक्तिफलप्रदायै नम: – महामुक्ति का फल देने वाली को नमन
- ॐ प्रेमप्रियायै नम: – प्रेम को प्रिय मानने वाली को नमन
- ॐ प्रेमरुपायै नम: – प्रेम स्वरूप को नमन
- ॐ प्रेमभक्तिप्रदायै नम: – प्रेम भक्ति देने वाली को नमन
- ॐ प्रेमक्रीडापरीतांग्यै नम: – प्रेम क्रीडा से परिपूर्ण अंग वाली को नमन
- ॐ दयारुपायै नम: – दया स्वरूप को नमन
- ॐ गौरचन्द्राननायै नम: – गौर चंद्र के समान मुख वाली को नमन
- ॐ कलायै नम: – कला स्वरूप को नमन
- ॐ शुकदेवगुणातीतायै नम: – शुकदेव के गुणों से परे को नमन
- ॐ शुकदेवप्रियायै सख्यै नम: – शुकदेव की प्रिय सखी को नमन
- ॐ रतिप्रदायै नम: – रति प्रदान करने वाली को नमन
- ॐ चैतन्यप्रियायै नम: – चैतन्य को प्रिय लगने वाली को नमन
- ॐ सखीमध्यनिवासिन्यै नम: – सखियों के मध्य निवास करने वाली को नमन
- ॐ मथुरायै नम: – मथुरा स्वरूप को नमन
- ॐ श्रीकृष्णभावनायै नम: – श्री कृष्ण भावना स्वरूप को नमन
- ॐ पतिप्राणायै नम: – पति के प्राण स्वरूप को नमन
- ॐ पतिव्रतायै नम: – पतिव्रता को नमन
- ॐ सकलेप्सितदात्र्यै नम: – सभी इच्छाओं को पूर्ण करने वाली को नमन
- ॐ कृष्णभार्यायै नम: – कृष्ण की भार्या को नमन
- ॐ श्यामसख्यै नम: – श्याम की सखी को नमन
- ॐ कल्पवासिन्यै नम: – कल्प में निवास करने वाली को नमन
राधा रानी के नामों का जाप कैसे करें
श्री राधा रानी के 108 नाम (Shri Radha Rani Ke 108 naam) का जाप करने के लिए कुछ सरल नियम हैं:
सही समय और विधि
- प्रातःकाल या संध्या के समय इन नामों का जाप करना अत्यंत शुभ माना जाता है
- स्नान करके शुद्ध वस्त्र पहनकर पूजा स्थल पर बैठें
- राधा-कृष्ण की तस्वीर या मूर्ति के सामने दीपक जलाएं
- माला का उपयोग करते हुए प्रत्येक नाम का उच्चारण करें
- पूर्ण श्रद्धा और भक्ति भाव से जाप करें
नियमित अभ्यास के लाभ
जब आप नियमित रूप से Radha rani ke 108 naam in hindi का पाठ करते हैं, तो आपको अनेक लाभ मिलते हैं:
- मन में शांति और एकाग्रता आती है
- प्रेम और भक्ति का भाव जागृत होता है
- जीवन में सकारात्मक ऊर्जा का संचार होता है
- पारिवारिक जीवन में मधुरता आती है
- आध्यात्मिक उन्नति होती है
राधा रानी के नामों में छिपे आध्यात्मिक रहस्य
प्रत्येक नाम एक विशेष गुण या शक्ति का प्रतिनिधित्व करता है। जैसे “वृन्दावनेश्वरी” नाम से पता चलता है कि वे वृंदावन की स्वामिनी हैं, वहीं “प्रेमरूपा” से यह स्पष्ट होता है कि वे स्वयं प्रेम का साक्षात रूप हैं।
“दुःखहन्त्री” नाम बताता है कि राधा रानी अपने भक्तों के सभी दुःखों को दूर करने की शक्ति रखती हैं। “कृष्णानन्दप्रदायिनी” से पता चलता है कि वे स्वयं श्री कृष्ण को आनंद प्रदान करती हैं।
विशेष अवसरों पर राधा रानी के नामों का पाठ
कुछ विशेष अवसर हैं जब राधा रानी के 108 नाम (Shri Radha Rani Ke 108 naam) का पाठ विशेष फलदायी होता है:
- राधा अष्टमी के दिन
- जन्माष्टमी के अवसर पर
- पूर्णिमा के दिन
- प्रत्येक एकादशी को
- विवाह जैसे शुभ अवसरों पर
राधा रानी की कृपा प्राप्त करने के उपाय
इन 108 नामों के जाप के साथ-साथ यदि आप निम्नलिखित बातों का ध्यान रखें, तो राधा रानी की विशेष कृपा प्राप्त होती है:
- तुलसी के पौधे की नियमित पूजा करें
- राधा-कृष्ण की लीलाओं का श्रवण और मनन करें
- निस्वार्थ भाव से दूसरों की सेवा करें
- प्रेम और करुणा का भाव मन में रखें
- सात्विक जीवन शैली अपनाएं
निष्कर्ष
राधा रानी के 108 नाम केवल मंत्र नहीं हैं, बल्कि भक्ति और प्रेम की यात्रा का माध्यम हैं। जब हम इन पवित्र नामों का जाप करते हैं, तो हम राधा रानी के दिव्य प्रेम से जुड़ जाते हैं। ये नाम हमें याद दिलाते हैं कि सच्ची भक्ति में पूर्ण समर्पण और निस्वार्थ प्रेम होता है।
चाहे आप आध्यात्मिक उन्नति की तलाश में हों या जीवन में शांति और सुख चाहते हों, श्री राधा रानी के 108 नाम (Shri Radha Rani Ke 108 naam) का नियमित पाठ आपके जीवन को दिव्य आशीर्वाद से भर देगा। राधा रानी की कृपा से जीवन में प्रेम, सौहार्द्र और आनंद का संचार होता है।
राधे राधे! जय श्री राधे!
इस ब्लॉग में दी गई जानकारी प्राचीन शास्त्रों और भक्ति परंपरा पर आधारित है। नियमित रूप से इन नामों का जाप करके आप राधा रानी की असीम कृपा के पात्र बन सकते हैं।
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