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Bhagwat Geeta

भगवद गीता: अध्याय 2, श्लोक 30
देही नित्यमवध्योऽयं देहे सर्वस्य भारत ।तस्मात्सर्वाणि भूतानि न त्वं शोचितुमर्हसि ॥30॥ देही–शरीर में निवास करने वाली जीवात्मा; नित्यम्-सदैव; अवध्यः-अविनाशी; अयम्…
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प्राचीन काल में जानवरों और पेड़ों की पूजा: एक गहन विश्लेषण
प्रस्तावना प्राचीन समय से ही, मानव जाति ने प्रकृति के विभिन्न तत्वों को पूजनीय माना है। इनमें जानवर और पेड़-पौधे…
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भगवद गीता: अध्याय 2, श्लोक 29
आश्चर्यवत्पश्यति कश्चिदेन माश्चर्यवद्वदति तथैव चान्यः।आश्चर्यवच्चैनमन्यः शृणोति श्रुत्वाप्येनं वेद न चैव कश्चित् ॥29॥आश्चर्यवत्-आश्चर्य के रूप में; पश्यति-देखता है; कश्चित्-कोई; एनम् इस…
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भगवद गीता: अध्याय 2, श्लोक 28
अव्यक्तादीनि भूतानि व्यक्तमध्यानि भारत।अव्यक्तनिधनान्येव तत्र का परिदेवना ॥28॥ अव्यक्त-आदीनि-जन्म से पूर्व अप्रकट; भूतानि-सभी जीव; व्यक्त–प्रकट; मध्यानि-मध्य में; भारत-भरतवंशी, अर्जुन; अव्यक्त–अप्रकट;…
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Hindu Deities

शिव और पार्वती का मिलन: एक अद्भुत प्रेम कथा
प्राचीन हिंदू पौराणिक कथाओं में शिव और पार्वती का मिलन एक ऐसी कहानी है जो हमें प्रेम, समर्पण और आध्यात्मिकता…
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भगवद गीता: अध्याय 2, श्लोक 27
जातस्य हि ध्रुवो मृत्युर्बुवं जन्म मृतस्य च।तस्मादपरिहार्येऽर्थे न त्वं शोचितुमर्हसि ॥27॥जातस्य-वह जो जन्म लेता है; हि-के लिए; ध्रुवः-निश्चय ही; मृत्युः-मृत्युः…
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भगवद गीता: अध्याय 2, श्लोक 26
अथ चैनं नित्यजातं नित्यं वा मन्यसे मृतम्।तथापि त्वं महाबाहो नैवं शोचितुमर्हसि ॥26॥ अथ-यदि, फिर भी; च-और; एनम्-आत्मा; नित्य-जातम्-निरन्तर जन्म लेने…
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क्या हनुमान जी की शादी हुई थी? एक गहन विश्लेषण
हनुमान जी हिंदू धर्म के सबसे प्रिय और पूजनीय देवताओं में से एक हैं। उनकी शक्ति, भक्ति और समर्पण की…
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भगवद गीता: अध्याय 2, श्लोक 25
अव्यक्तोऽयमचिन्त्योऽयमविकार्योऽयमुच्यते।तस्मादेवं विदित्वैनं नानुशोचितुमर्हसि ॥25॥अव्यक्त:-अप्रकट; अयम्-यह आत्मा; अचिन्त्यः-अकल्पनीयः अयम्-यह आत्मा; अविकार्य:-अपरिवर्तित; अयम्-यह आत्मा; उच्यते-कहलाता है; तस्मात् इसलिए; एवम्-इस प्रकार; विदित्वा-जानकर; एनम्…
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भगवद गीता: अध्याय 2, श्लोक 24
अच्छेद्योऽयमदाह्योऽयमक्लेद्योऽशोष्य एव च ।नित्यः सर्वगतः स्थाणुरचलोऽयं सनातनः ॥24॥ अच्छेद्यः-खण्डित न होने वाला; अयम्-यह आत्मा; अदाह्यः-भिगोया न जा सकने वाला; अयम्-यह…
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