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Bhagwat Geeta

भगवद गीता: अध्याय 2, श्लोक 3
क्लैब्यं मा स्म गमः पार्थ नैतत्त्वय्युपपद्यते।क्षुद्रं हृदयदौर्बल्यं त्यक्त्वोत्तिष्ठ परन्तप ॥3॥क्लैब्यम्-नपुंसकता; मा-स्म-न करना; गमः-प्राप्त हो; पार्थ-पृथापुत्र,अर्जुन; न कभी नहीं; एतत्-यह; त्वयि…
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भगवद गीता: अध्याय 2, श्लोक 2
श्रीभगवानुवाच।कुतस्तवा कश्मलमिदं विषमे समुपस्थितम् ।अनार्यजुष्टमस्वय॑मकीर्तिकरमर्जुन॥2॥ श्रीभगवान्-उवाच-परमात्मा श्रीकृष्ण ने कहा; कुत:-कहाँ से; त्वा-तुमको; कश्मलम्-मोह, अज्ञान; इदम्-यह; विषमे इस संकटकाल में; समुपस्थितम्-उत्पन्न…
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भगवद गीता: अध्याय 1, श्लोक 4-6
अत्र शूरा महेष्वासा भीमार्जुनसमा युधि ।युयुधानो विराटश्च द्रुपदश्च महारथः॥4॥धृष्टकेतुश्चेकितानः काशिराजश्च वीर्यवान् ।पुरुजित्कुन्तिभोजश्च शैब्यश्च नरपुङ्गवः॥5॥युधामन्युश्च विक्रान्त उत्तमौजाश्च वीर्यवान् ।सौभद्रो द्रौपदेयाश्च सर्व…
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भगवद गीता: अध्याय 2, श्लोक 1
सञ्जय उवाच। तं तथा कृपयाविष्टमश्रुपूर्णाकुलेक्षणम्। विषीदन्तमिदं वाक्यमुवाच मधुसूदनः॥1॥ संजयः उवाच;-संजय ने कहा; तम्-उसे, अर्जुन को; कृपया-करुणा के साथ; आविष्टम–अभिभूत; अश्रु-पूर्ण-आसुओं…
Read More » भगवद गीता: अध्याय 1, श्लोक 47
सञ्जय उवाच। एवमुक्त्वार्जुनः सङ्खये रथोपस्थ उपाविशत्। विसृज्य सशरं चापं शोकसंविग्नमानसः॥47॥ संजयः उवाच-संजय ने कहा; एवम्- उक्त्वा -इस प्रकार कहकर; अर्जुन:-अर्जुन;…
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भगवद गीता: अध्याय 1, श्लोक 45-46
अहो बत महत्पापं कर्तुं व्यवसिता वयम्।यद्राज्यसुखलोभेन हन्तुं स्वजनमुद्यताः॥45॥यदि मामप्रतीकारमशस्त्रं शस्त्रपाणयः।धार्तराष्ट्रा रणे हन्युस्तन्मे क्षेमतरं भवेत् ॥46॥अहो-ओह; बत-कितना; महत्-महान; पापम्-पाप कर्म; कर्तुम्…
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भगवद गीता: अध्याय 1, श्लोक 44
उत्सन्नकुलधार्माणां मनुष्याणां जनार्दन।नरकेऽनियतं वासो भवतीत्यनुशुश्रुम ॥44॥ उत्सन्न–विनष्ट; कुल-धर्माणाम्-जिनकी पारिवारिक परम्पराएं; मनुष्याणाम्-ऐसे मनुष्यों का; जनाद्रन–सभी जीवों के पालक, श्रीकृष्ण; नरके-नरक में;…
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भगवद गीता: अध्याय 1, श्लोक 42
सङ्करो नरकायैव कुलजानां कुलस्य च।पतन्ति पितरो ह्येषां लुप्तपिण्डोदकक्रियाः॥42॥ सड्करः-अवांछित बच्चे; नरकाय नारकीय; एव-निश्चय ही; कुल-धयानानं–कुल का विनाश करने वालों के…
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भगवद गीता: अध्याय 1, श्लोक 41
अधर्माभिभवात्कृष्ण प्रदुष्यन्ति कुलस्त्रियः।स्त्रीषु दुष्टासु वार्ष्णेय जायते वर्णसङ्करः॥41॥ अधर्म-अधर्म; अभिभवात्-प्रबलता होने से; कृष्ण-श्रीकृष्ण; प्रदुष्यन्ति-अपवित्र हो जाती हैं; परिवार-कुल; स्त्रिय-परिवार की स्त्रियां;…
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भगवद गीता: अध्याय 1, श्लोक 40
कुलक्षये प्रणश्यन्ति कुलधर्माः सनातनाः।धर्मे नष्टे कुलं कृत्स्नमधर्मोऽभिभवत्युत ॥40॥कुल-क्षये-कुल का नाश; प्रणश्यन्ति–विनष्ट हो जाती हैं; कुल-धर्माः-पारिवारिक परम्पराएं; सनातनाः-शाश्वत; धर्मे-नष्टे-धर्म नष्ट होने…
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