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भगवद गीता: अध्याय 1, श्लोक 27

bhagavad gita 6 chapter meditation 1 sanatan

&NewLine;<p><strong>तान्समीक्ष्य स कौन्तेयः सर्वान्बन्धूनवस्थितान्।<br>कृपया परयाविष्टो विषीदन्निदमब्रवीत् ॥27॥<&sol;strong><&sol;p>&NewLine;&NewLine;&NewLine;&NewLine;<p><audio src&equals;"https&colon;&sol;&sol;www&period;holy-bhagavad-gita&period;org&sol;public&sol;audio&sol;001&lowbar;027&period;mp3"><&sol;audio>तान्-उन्हीं&semi; समीक्ष्य-देखकर&semi; सः-वे&semi; कौन्तेयः-कुन्तीपुत्र&comma; अर्जुनः सर्वान्–सभी प्रकार के&semi; बंधु-बान्धव-सगे सम्बन्धियों को&semi; अवस्थितान्–उपस्थित&semi; कृपया-करुणा से&semi; परया अत्यधिक&semi; आविष्ट&colon;-अभिभूत&semi; विषीदन्–गहन शोक प्रकट करता हुआ&semi; इदम्-इस प्रकार&semi; अब्रवीत् बोला।<&sol;p>&NewLine;&NewLine;&NewLine;&NewLine;<p><strong>Hindi translation &colon;<&sol;strong>&nbsp&semi;जब कुन्तिपुत्र अर्जुन ने अपने बंधु बान्धवों को वहाँ देखा तब उसका मन अत्यधिक करुणा से भर गया और फिर गहन शोक के साथ उसने निम्न वचन कहे।<&sol;p>&NewLine;&NewLine;&NewLine;&NewLine;<h2 class&equals;"wp-block-heading" id&equals;"h-अर-ज-न-क-म-नस-क-द-व-द-व-मह-भ-रत-य-द-ध-क-प-ष-ठभ-म-म">अर्जुन का मानसिक द्वंद्व&colon; महाभारत युद्ध की पृष्ठभूमि में<&sol;h2>&NewLine;&NewLine;&NewLine;&NewLine;<h2 class&equals;"wp-block-heading" id&equals;"h-प-रस-त-वन">प्रस्तावना<&sol;h2>&NewLine;&NewLine;&NewLine;&NewLine;<p>महाभारत का युद्ध भारतीय इतिहास का एक महत्वपूर्ण मोड़ था। इस युद्ध ने न केवल राजनीतिक परिदृश्य को बदला&comma; बल्कि मानवीय मूल्यों और नैतिकता के प्रश्नों को भी उठाया। इस युद्ध के केंद्र में थे अर्जुन&comma; जो अपने कौशल और वीरता के लिए जाने जाते थे। लेकिन जब वह युद्धभूमि पर पहुंचे&comma; तो उन्होंने एक ऐसी परिस्थिति का सामना किया&comma; जिसने उनके मन में गहरा द्वंद्व पैदा कर दिया।<&sol;p>&NewLine;&NewLine;&NewLine;&NewLine;<h3 class&equals;"wp-block-heading" id&equals;"h-अर-ज-न-क-प-र-र-भ-क-द-ष-ट-क-ण">अर्जुन का प्रारंभिक दृष्टिकोण<&sol;h3>&NewLine;&NewLine;&NewLine;&NewLine;<h3 class&equals;"wp-block-heading" id&equals;"h-य-द-ध-क-ल-ए-तत-परत">युद्ध के लिए तत्परता<&sol;h3>&NewLine;&NewLine;&NewLine;&NewLine;<p>अर्जुन&comma; पांडवों के पांच भाइयों में से एक&comma; एक महान योद्धा थे। वे युद्ध की कला में निपुण थे और अपने धनुर्विद्या कौशल के लिए प्रसिद्ध थे। वे इस युद्ध को न्याय प्राप्ति का एक माध्यम मानते थे&comma; क्योंकि उन्हें और उनके भाइयों को कौरवों द्वारा अन्यायपूर्ण व्यवहार का सामना करना पड़ा था।<&sol;p>&NewLine;&NewLine;&NewLine;&NewLine;<h4 class&equals;"wp-block-heading" id&equals;"h-प-रत-श-ध-क-भ-वन">प्रतिशोध की भावना<&sol;h4>&NewLine;&NewLine;&NewLine;&NewLine;<p>अर्जुन के मन में कौरवों के प्रति प्रतिशोध की भावना थी। वे अपने और अपने परिवार के साथ किए गए अन्याय का बदला लेना चाहते थे। उनका मानना था कि यह युद्ध उनके लिए अपने अधिकारों को पुनः प्राप्त करने का एक अवसर है।<&sol;p>&NewLine;&NewLine;&NewLine;&NewLine;<h4 class&equals;"wp-block-heading" id&equals;"h-य-द-धभ-म-पर-पर-वर-तन">युद्धभूमि पर परिवर्तन<&sol;h4>&NewLine;&NewLine;&NewLine;&NewLine;<h5 class&equals;"wp-block-heading" id&equals;"h-अपन-क-स-मन-द-खन">अपनों को सामने देखना<&sol;h5>&NewLine;&NewLine;&NewLine;&NewLine;<p>जब अर्जुन ने युद्धभूमि पर कदम रखा&comma; तो उन्होंने एक ऐसा दृश्य देखा जिसने उनके हृदय को झकझोर दिया। उन्होंने अपने रिश्तेदारों&comma; गुरुओं और मित्रों को विपक्षी सेना में खड़ा देखा। यह दृश्य उनके लिए अप्रत्याशित था और उन्हें गहरे सोच में डाल दिया।<&sol;p>&NewLine;&NewLine;&NewLine;&NewLine;<h4 class&equals;"wp-block-heading" id&equals;"h-भ-वन-ओ-क-उद-व-लन">भावनाओं का उद्वेलन<&sol;h4>&NewLine;&NewLine;&NewLine;&NewLine;<p>अर्जुन के मन में भावनाओं का तूफान उठ खड़ा हुआ। एक ओर उनका कर्तव्य था कि वे अपने भाइयों के पक्ष में लड़ें&comma; दूसरी ओर उनके सामने खड़े थे वे लोग जिन्हें वे सम्मान देते थे और प्यार करते थे। यह स्थिति उनके लिए असहनीय थी।<&sol;p>&NewLine;&NewLine;&NewLine;&NewLine;<h4 class&equals;"wp-block-heading" id&equals;"h-अर-ज-न-क-म-नस-क-स-घर-ष">अर्जुन का मानसिक संघर्ष<&sol;h4>&NewLine;&NewLine;&NewLine;&NewLine;<h5 class&equals;"wp-block-heading" id&equals;"h-कर-तव-य-बन-म-भ-वन">कर्तव्य बनाम भावना<&sol;h5>&NewLine;&NewLine;&NewLine;&NewLine;<p>अर्जुन एक क्षत्रिय थे&comma; जिनका कर्तव्य था युद्ध में भाग लेना और अपने राज्य की रक्षा करना। लेकिन इस युद्ध में उन्हें अपने ही परिवार के विरुद्ध लड़ना था। यह उनके लिए एक बड़ी नैतिक दुविधा थी।<&sol;p>&NewLine;&NewLine;&NewLine;&NewLine;<h4 class&equals;"wp-block-heading" id&equals;"h-य-द-ध-क-पर-ण-म-पर-च-तन">युद्ध के परिणामों पर चिंतन<&sol;h4>&NewLine;&NewLine;&NewLine;&NewLine;<p>अर्जुन ने युद्ध के दूरगामी परिणामों पर विचार किया। उन्होंने सोचा कि इस युद्ध में जीत हासिल करने के बाद भी वे क्या खोएंगे। उनके मन में प्रश्न उठा कि क्या इस विजय का कोई अर्थ होगा जब उनके अपने ही लोग मारे जाएंगे।<&sol;p>&NewLine;&NewLine;&NewLine;&NewLine;<h4 class&equals;"wp-block-heading" id&equals;"h-म-नव-य-म-ल-य-क-स-घर-ष">मानवीय मूल्यों का संघर्ष<&sol;h4>&NewLine;&NewLine;&NewLine;&NewLine;<p>अर्जुन के मन में मानवीय मूल्यों और युद्ध की क्रूरता के बीच एक गहरा संघर्ष चल रहा था। वे सोच रहे थे कि क्या हिंसा के माध्यम से प्राप्त किया गया राज्य वास्तव में न्यायसंगत होगा।<&sol;p>&NewLine;&NewLine;&NewLine;&NewLine;<h4 class&equals;"wp-block-heading" id&equals;"h-अर-ज-न-क-मन-स-थ-त-म-पर-वर-तन">अर्जुन की मनःस्थिति में परिवर्तन<&sol;h4>&NewLine;&NewLine;&NewLine;&NewLine;<h5 class&equals;"wp-block-heading" id&equals;"h-व-रत-स-क-यरत-क-ओर">वीरता से कायरता की ओर<&sol;h5>&NewLine;&NewLine;&NewLine;&NewLine;<p>जो अर्जुन कभी युद्ध के लिए उत्साहित था&comma; वह अब युद्ध से विमुख हो गया। उनकी वीरता कायरता में बदल गई। वे अपने धनुष को छोड़ना चाहते थे और युद्ध से पीछे हटना चाहते थे।<&sol;p>&NewLine;&NewLine;&NewLine;&NewLine;<h4 class&equals;"wp-block-heading" id&equals;"h-ह-दय-क-क-मलत-क-प-रकट-करण">हृदय की कोमलता का प्रकटीकरण<&sol;h4>&NewLine;&NewLine;&NewLine;&NewLine;<p>इस क्षण में अर्जुन की वास्तविक प्रकृति सामने आई। उनके हृदय की कोमलता और संवेदनशीलता प्रकट हुई। वे अपने परिवार और मित्रों के प्रति अपने प्रेम को नकार नहीं सके।<&sol;p>&NewLine;&NewLine;&NewLine;&NewLine;<h4 class&equals;"wp-block-heading" id&equals;"h-न-त-क-प-रश-न-क-उदय">नैतिक प्रश्नों का उदय<&sol;h4>&NewLine;&NewLine;&NewLine;&NewLine;<p>अर्जुन के मन में अनेक नैतिक प्रश्न उठे। क्या युद्ध वास्तव में समस्याओं का समाधान है&quest; क्या हिंसा के माध्यम से प्राप्त किया गया राज्य टिकाऊ होगा&quest; क्या वे अपने परिवार के सदस्यों की हत्या करके शांति से जी पाएंगे&quest;<&sol;p>&NewLine;&NewLine;&NewLine;&NewLine;<h4 class&equals;"wp-block-heading" id&equals;"h-श-र-क-ष-ण-क-भ-म-क">श्रीकृष्ण की भूमिका<&sol;h4>&NewLine;&NewLine;&NewLine;&NewLine;<h5 class&equals;"wp-block-heading" id&equals;"h-म-र-गदर-शक-क-र-प-म">मार्गदर्शक के रूप में<&sol;h5>&NewLine;&NewLine;&NewLine;&NewLine;<p>इस कठिन समय में श्रीकृष्ण अर्जुन के सारथी और मार्गदर्शक के रूप में सामने आए। उन्होंने अर्जुन की मनःस्थिति को समझा और उन्हें समझाने का प्रयास किया।<&sol;p>&NewLine;&NewLine;&NewLine;&NewLine;<h5 class&equals;"wp-block-heading" id&equals;"h-ग-त-क-उपद-श">गीता का उपदेश<&sol;h5>&NewLine;&NewLine;&NewLine;&NewLine;<p>यहीं से भगवद्गीता का उपदेश शुरू होता है&comma; जहां श्रीकृष्ण अर्जुन को कर्म&comma; धर्म और आत्मा के बारे में ज्ञान देते हैं। वे अर्जुन को समझाते हैं कि कर्तव्य का पालन करना क्यों महत्वपूर्ण है।<&sol;p>&NewLine;&NewLine;&NewLine;&NewLine;<h3 class&equals;"wp-block-heading" id&equals;"h-न-ष-कर-ष">निष्कर्ष<&sol;h3>&NewLine;&NewLine;&NewLine;&NewLine;<p>अर्जुन का यह मानसिक द्वंद्व हमें दिखाता है कि युद्ध कितना जटिल और मानवीय भावनाओं से भरा हो सकता है। यह हमें यह भी सिखाता है कि कभी-कभी हमें अपने व्यक्तिगत भावनाओं से ऊपर उठकर अपने कर्तव्य का पालन करना होता है। अर्जुन की यह मनःस्थिति हमें मानवीय मूल्यों&comma; नैतिकता और कर्तव्य के बीच संतुलन बनाने की चुनौती के बारे में सोचने पर मजबूर करती है।<&sol;p>&NewLine;&NewLine;&NewLine;&NewLine;<h4 class&equals;"wp-block-heading" id&equals;"h-अर-ज-न-क-म-नस-क-द-व-द-व-स-स-ख">अर्जुन के मानसिक द्वंद्व से सीख<&sol;h4>&NewLine;&NewLine;&NewLine;&NewLine;<h5 class&equals;"wp-block-heading" id&equals;"h-व-यक-त-गत-और-स-म-ज-क-द-य-त-व">व्यक्तिगत और सामाजिक दायित्व<&sol;h5>&NewLine;&NewLine;&NewLine;&NewLine;<p>अर्जुन की स्थिति हमें व्यक्तिगत भावनाओं और सामाजिक दायित्वों के बीच संतुलन बनाने की आवश्यकता के बारे में सोचने पर मजबूर करती है। कभी-कभी हमें अपने व्यक्तिगत हितों से ऊपर उठकर समाज के लिए कार्य करना पड़ सकता है।<&sol;p>&NewLine;&NewLine;&NewLine;&NewLine;<h4 class&equals;"wp-block-heading" id&equals;"h-न-त-क-न-र-णय-ल-न-क-च-न-त">नैतिक निर्णय लेने की चुनौती<&sol;h4>&NewLine;&NewLine;&NewLine;&NewLine;<p>अर्जुन का संघर्ष हमें दिखाता है कि जीवन में कई बार हमें ऐसे निर्णय लेने पड़ते हैं जहां सही और गलत के बीच की रेखा धुंधली हो जाती है। ऐसे में&comma; हमें अपने विवेक का उपयोग करना चाहिए और परिस्थितियों को गहराई से समझना चाहिए।<&sol;p>&NewLine;&NewLine;&NewLine;&NewLine;<h4 class&equals;"wp-block-heading" id&equals;"h-भ-वन-ओ-और-तर-क-क-स-त-लन">भावनाओं और तर्क का संतुलन<&sol;h4>&NewLine;&NewLine;&NewLine;&NewLine;<p>अर्जुन की मनःस्थिति हमें सिखाती है कि महत्वपूर्ण निर्णय लेते समय भावनाओं और तर्क के बीच संतुलन बनाना आवश्यक है। केवल भावनाओं के आधार पर या केवल तर्क के आधार पर लिए गए निर्णय गलत हो सकते हैं।<&sol;p>&NewLine;&NewLine;&NewLine;&NewLine;<h4 class&equals;"wp-block-heading" id&equals;"h-अर-ज-न-क-द-व-द-व-क-वर-तम-न-स-दर-भ">अर्जुन के द्वंद्व का वर्तमान संदर्भ<&sol;h4>&NewLine;&NewLine;&NewLine;&NewLine;<h5 class&equals;"wp-block-heading" id&equals;"h-आध-न-क-ज-वन-म-न-त-क-द-व-ध-ए">आधुनिक जीवन में नैतिक दुविधाएं<&sol;h5>&NewLine;&NewLine;&NewLine;&NewLine;<p>आज के समय में भी हम कई बार ऐसी परिस्थितियों का सामना करते हैं जहां हमें अर्जुन जैसी नैतिक दुविधाओं का सामना करना पड़ता है। उदाहरण के लिए&comma; कार्यस्थल पर नैतिक मुद्दे&comma; पारिवारिक संघर्ष&comma; या सामाजिक मुद्दों पर स्टैंड लेना।<&sol;p>&NewLine;&NewLine;&NewLine;&NewLine;<h4 class&equals;"wp-block-heading" id&equals;"h-व-यक-त-गत-व-क-स-क-महत-व">व्यक्तिगत विकास का महत्व<&sol;h4>&NewLine;&NewLine;&NewLine;&NewLine;<p>अर्जुन की यात्रा हमें सिखाती है कि व्यक्तिगत विकास और आत्म-चिंतन महत्वपूर्ण हैं। जैसे अर्जुन ने अपने विचारों और भावनाओं पर गहराई से विचार किया&comma; वैसे ही हमें भी अपने जीवन में आत्म-मंथन करना चाहिए।<&sol;p>&NewLine;&NewLine;&NewLine;&NewLine;<h5 class&equals;"wp-block-heading" id&equals;"h-न-त-त-व-और-न-र-णय-ल-न-क-क-षमत">नेतृत्व और निर्णय लेने की क्षमता<&sol;h5>&NewLine;&NewLine;&NewLine;&NewLine;<p>अर्जुन की स्थिति नेताओं और निर्णय लेने वालों के लिए एक महत्वपूर्ण सबक है। यह दिखाता है कि कठिन परिस्थितियों में भी स्पष्ट सोच और दृढ़ निर्णय लेने की क्षमता का होना कितना महत्वपूर्ण है।<&sol;p>&NewLine;&NewLine;&NewLine;&NewLine;<h4 class&equals;"wp-block-heading" id&equals;"h-स-र-श">सारांश<&sol;h4>&NewLine;&NewLine;&NewLine;&NewLine;<p>अर्जुन का मानसिक द्वंद्व हमें मानव स्वभाव की जटिलताओं को समझने में मदद करता है। यह हमें दिखाता है कि कैसे एक व्यक्ति अपने कर्तव्य और भावनाओं के बीच फंस सकता है। यह कहानी हमें सिखाती है कि जीवन में कभी-कभी हमें कठिन निर्णय लेने पड़ते हैं&comma; और इन निर्णयों को लेते समय हमें अपने विवेक&comma; नैतिकता और कर्तव्य का ध्यान रखना चाहिए।<&sol;p>&NewLine;&NewLine;&NewLine;&NewLine;<p>अंत में&comma; अर्जुन की कहानी हमें यह भी याद दिलाती है कि हर व्यक्ति के अंदर एक संवेदनशील हृदय होता है&comma; और यही हमारी मानवता का सार है। हमें अपने कर्तव्यों का पालन करते हुए भी अपनी मानवीयता को नहीं भूलना चाहिए।<&sol;p>&NewLine;&NewLine;&NewLine;&NewLine;<h4 class&equals;"wp-block-heading" id&equals;"h-अर-ज-न-क-म-नस-क-द-व-द-व-क-प-रम-ख-पहल">अर्जुन के मानसिक द्वंद्व के प्रमुख पहलू<&sol;h4>&NewLine;&NewLine;&NewLine;&NewLine;<figure class&equals;"wp-block-table"><table><thead><tr><th>पहलू<&sol;th><th>विवरण<&sol;th><&sol;tr><&sol;thead><tbody><tr><td>कर्तव्य<&sol;td><td>क्षत्रिय के रूप में युद्ध लड़ना<&sol;td><&sol;tr><tr><td>भावनात्मक संघर्ष<&sol;td><td>परिवार और मित्रों के विरुद्ध लड़ने की दुविधा<&sol;td><&sol;tr><tr><td>नैतिक प्रश्न<&sol;td><td>युद्ध की उचितता पर सवाल<&sol;td><&sol;tr><tr><td>मानवीय मूल्य<&sol;td><td>करुणा और प्रेम की भावना<&sol;td><&sol;tr><tr><td>आत्म-चिंतन<&sol;td><td>अप<&sol;td><&sol;tr><&sol;tbody><&sol;table><&sol;figure>&NewLine;&NewLine;&NewLine;&NewLine;<div class&equals;"wp-block-buttons is-content-justification-space-between is-layout-flex wp-container-core-buttons-is-layout-3d213aab wp-block-buttons-is-layout-flex">&NewLine;<div class&equals;"wp-block-button"><a class&equals;"wp-block-button&lowbar;&lowbar;link wp-element-button" href&equals;"https&colon;&sol;&sol;sanatanroots&period;com&sol;&percnt;e0&percnt;a4&percnt;ad&percnt;e0&percnt;a4&percnt;97&percnt;e0&percnt;a4&percnt;b5&percnt;e0&percnt;a4&percnt;a6-&percnt;e0&percnt;a4&percnt;97&percnt;e0&percnt;a5&percnt;80&percnt;e0&percnt;a4&percnt;a4&percnt;e0&percnt;a4&percnt;be-&percnt;e0&percnt;a4&percnt;85&percnt;e0&percnt;a4&percnt;a7&percnt;e0&percnt;a5&percnt;8d&percnt;e0&percnt;a4&percnt;af&percnt;e0&percnt;a4&percnt;be&percnt;e0&percnt;a4&percnt;af-1-&percnt;e0&percnt;a4&percnt;b6&percnt;e0&percnt;a5&percnt;8d&percnt;e0&percnt;a4&percnt;b2&percnt;e0&percnt;a5&percnt;8b&percnt;e0&percnt;a4&percnt;95-26&sol;">Previous<&sol;a><&sol;div>&NewLine;&NewLine;&NewLine;&NewLine;<div class&equals;"wp-block-button"><a class&equals;"wp-block-button&lowbar;&lowbar;link wp-element-button" href&equals;"https&colon;&sol;&sol;sanatanroots&period;com&sol;&percnt;e0&percnt;a4&percnt;ad&percnt;e0&percnt;a4&percnt;97&percnt;e0&percnt;a4&percnt;b5&percnt;e0&percnt;a4&percnt;a6-&percnt;e0&percnt;a4&percnt;97&percnt;e0&percnt;a5&percnt;80&percnt;e0&percnt;a4&percnt;a4&percnt;e0&percnt;a4&percnt;be-&percnt;e0&percnt;a4&percnt;85&percnt;e0&percnt;a4&percnt;a7&percnt;e0&percnt;a5&percnt;8d&percnt;e0&percnt;a4&percnt;af&percnt;e0&percnt;a4&percnt;be&percnt;e0&percnt;a4&percnt;af-1-&percnt;e0&percnt;a4&percnt;b6&percnt;e0&percnt;a5&percnt;8d&percnt;e0&percnt;a4&percnt;b2&percnt;e0&percnt;a5&percnt;8b&percnt;e0&percnt;a4&percnt;95-28&sol;">Next<&sol;a><&sol;div>&NewLine;<&sol;div>&NewLine;

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