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भगवद गीता: अध्याय 1, श्लोक  29-31

&NewLine;<p><strong>वेपथुश्च शरीरे मे रोमहर्षश्च जायते ॥29॥<br>गाण्डीवं स्रंसते हस्तात्त्वक्चै व परिदह्यते।<br>न च शक्नोम्यवस्थातुं भ्रमतीव च मे मनः ॥30॥<br>निमित्तानि च पश्यामि विपरीतानि केशव।<br>न च श्रेयोऽनुपश्यामि हत्वा स्वजनमाहवे ॥31॥<br><&sol;strong><br>वेपथुः-कम्पन&semi; च-भी&semi; शरीरे-शरीर में&semi; मे मेरे&semi; रोम-हर्षः-शरीर के रोम कूप खड़े होना&semi; च-भी&semi; जायते-उत्पन्न हो रहा है&semi; गाण्डीवम्-अर्जुन का धनुष&semi; स्रंसते-सरक रहा है&semi; हस्तात्-हाथ से&semi; त्वक्-त्वचा&semi; च-भी&semi; एव–वास्तव में&semi; परिदह्यते-सब ओर जल रही है। न-नही&semi; च-भी&semi; शक्नोमि-समर्थ हूँ&semi; अवस्थातुम् स्थिर खड़े होने में&semi; भ्रमतीव-झूलता हुआ&semi; च-और&semi; मे–मेरा&semi; मनः-मन&semi; निमित्तानि-अशुभ लक्षण&semi; च-भी&semi; पश्यामि-देखता हूँ&semi; विपरीतानि दुर्भाग्य&semi; केशव हे केशी असुर को मारने वाले&comma; श्रीकृष्ण&semi; न-न तो&semi; च-भी&semi; श्रेयः-कल्याण&semi; अनुपश्यामि-पहले से देख रहा हूँ&semi; हत्वा-वध करना&semi; स्वजनम् सगे संबंधी को&semi; आहवे यद्ध में।<br><br><strong>Hindi translation &colon;<&sol;strong> मेरा सारा शरीर काँप रहा है&comma; मेरे शरीर के रोएं खड़े हो रहे हैं&comma; मेरा धनुष &OpenCurlyQuote;गाण्डीव&&num;8217&semi; मेरे हाथ से सरक रहा है और मेरी पूरी त्वचा में जलन हो रही है। मेरा मन उलझ रहा है और मुझे घबराहट हो रही है। अब मैं यहाँ और अधिक खड़ा रहने में समर्थ नहीं हूँ। केशी राक्षस को मारने वाले हे केशव&excl; मुझे केवल अमंगल के लक्षण दिखाई दे रहे हैं। युद्ध में अपने वंश के बंधु बान्धवों का वध करने में मुझे कोई अच्छाई नही दिखाई देती है और उन्हें मारकर मैं कैसे सुख पा सकता हूँ&quest;<br><br> <&sol;p>&NewLine;&NewLine;&NewLine;&NewLine;<h2 class&equals;"wp-block-heading" id&equals;"h-भ-रत-य-स-स-क-त-म-य-ग-क-महत-व">भारतीय संस्कृति में योग का महत्व<&sol;h2>&NewLine;&NewLine;&NewLine;&NewLine;<p>भारत की प्राचीन विरासत में योग एक अनमोल रत्न है। यह केवल शारीरिक व्यायाम नहीं&comma; बल्कि मन&comma; शरीर और आत्मा के बीच संतुलन स्थापित करने की एक समग्र विधि है। आइए इस गहन विषय पर एक विस्तृत नज़र डालें।<&sol;p>&NewLine;&NewLine;&NewLine;&NewLine;<h3 class&equals;"wp-block-heading" id&equals;"h-य-ग-क-इत-ह-स-और-व-क-स">योग का इतिहास और विकास<&sol;h3>&NewLine;&NewLine;&NewLine;&NewLine;<h3 class&equals;"wp-block-heading" id&equals;"h-प-र-च-न-क-ल-म-य-ग">प्राचीन काल में योग<&sol;h3>&NewLine;&NewLine;&NewLine;&NewLine;<p>योग की उत्पत्ति हजारों साल पहले हुई थी। सिंधु घाटी सभ्यता के अवशेषों में पाए गए चित्रों से पता चलता है कि योग का अभ्यास उस समय से चला आ रहा है। वेदों और उपनिषदों में भी योग का उल्लेख मिलता है&comma; जो इसकी प्राचीनता को दर्शाता है।<&sol;p>&NewLine;&NewLine;&NewLine;&NewLine;<h4 class&equals;"wp-block-heading" id&equals;"h-मध-यक-ल-न-य-ग-म-य-ग-क-व-क-स">मध्यकालीन युग में योग का विकास<&sol;h4>&NewLine;&NewLine;&NewLine;&NewLine;<p>मध्यकाल में योग ने कई नए रूप लिए। इस दौरान भक्ति योग&comma; ज्ञान योग और कर्म योग जैसी अवधारणाएं विकसित हुईं। साथ ही&comma; हठ योग जैसी शारीरिक प्रथाओं का भी विकास हुआ।<&sol;p>&NewLine;&NewLine;&NewLine;&NewLine;<h4 class&equals;"wp-block-heading" id&equals;"h-आध-न-क-क-ल-म-य-ग">आधुनिक काल में योग<&sol;h4>&NewLine;&NewLine;&NewLine;&NewLine;<p>20वीं सदी में योग ने वैश्विक पहचान हासिल की। स्वामी विवेकानंद जैसे महान योगियों ने पश्चिमी दुनिया में योग का प्रचार किया। आज&comma; योग दुनिया भर में लोकप्रिय है और इसे स्वास्थ्य और कल्याण के लिए अपनाया जाता है।<&sol;p>&NewLine;&NewLine;&NewLine;&NewLine;<h4 class&equals;"wp-block-heading" id&equals;"h-य-ग-क-प-रक-र">योग के प्रकार<&sol;h4>&NewLine;&NewLine;&NewLine;&NewLine;<p>योग के कई प्रकार हैं&comma; जो विभिन्न उद्देश्यों और व्यक्तिगत आवश्यकताओं को पूरा करते हैं। कुछ प्रमुख प्रकार निम्नलिखित हैं&colon;<&sol;p>&NewLine;&NewLine;&NewLine;&NewLine;<ol class&equals;"wp-block-list">&NewLine;<li>हठ योग<&sol;li>&NewLine;&NewLine;&NewLine;&NewLine;<li>राज योग<&sol;li>&NewLine;&NewLine;&NewLine;&NewLine;<li>कर्म योग<&sol;li>&NewLine;&NewLine;&NewLine;&NewLine;<li>भक्ति योग<&sol;li>&NewLine;&NewLine;&NewLine;&NewLine;<li>ज्ञान योग<&sol;li>&NewLine;&NewLine;&NewLine;&NewLine;<li>कुंडलिनी योग<&sol;li>&NewLine;<&sol;ol>&NewLine;&NewLine;&NewLine;&NewLine;<h4 class&equals;"wp-block-heading" id&equals;"h-हठ-य-ग">हठ योग<&sol;h4>&NewLine;&NewLine;&NewLine;&NewLine;<p>हठ योग शारीरिक अभ्यास पर केंद्रित है। इसमें आसन&comma; प्राणायाम और मुद्राएं शामिल हैं। यह शरीर और मन को शुद्ध करने का एक माध्यम है।<&sol;p>&NewLine;&NewLine;&NewLine;&NewLine;<h3 class&equals;"wp-block-heading" id&equals;"h-र-ज-य-ग">राज योग<&sol;h3>&NewLine;&NewLine;&NewLine;&NewLine;<p>राज योग को &&num;8220&semi;योग का राजा&&num;8221&semi; कहा जाता है। यह मन के नियंत्रण और आत्म-साक्षात्कार पर केंद्रित है। ध्यान इसका एक महत्वपूर्ण अंग है।<&sol;p>&NewLine;&NewLine;&NewLine;&NewLine;<h3 class&equals;"wp-block-heading" id&equals;"h-य-ग-क-ल-भ">योग के लाभ<&sol;h3>&NewLine;&NewLine;&NewLine;&NewLine;<p>योग के नियमित अभ्यास से शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य में सुधार होता है। कुछ प्रमुख लाभ इस प्रकार हैं&colon;<&sol;p>&NewLine;&NewLine;&NewLine;&NewLine;<ol class&equals;"wp-block-list">&NewLine;<li>तनाव में कमी<&sol;li>&NewLine;&NewLine;&NewLine;&NewLine;<li>लचीलेपन में वृद्धि<&sol;li>&NewLine;&NewLine;&NewLine;&NewLine;<li>मानसिक स्पष्टता में सुधार<&sol;li>&NewLine;&NewLine;&NewLine;&NewLine;<li>रक्तचाप का नियंत्रण<&sol;li>&NewLine;&NewLine;&NewLine;&NewLine;<li>पाचन में सुधार<&sol;li>&NewLine;&NewLine;&NewLine;&NewLine;<li>नींद की गुणवत्ता में वृद्धि<&sol;li>&NewLine;<&sol;ol>&NewLine;&NewLine;&NewLine;&NewLine;<h3 class&equals;"wp-block-heading" id&equals;"h-श-र-र-क-ल-भ">शारीरिक लाभ<&sol;h3>&NewLine;&NewLine;&NewLine;&NewLine;<p>योग शरीर को मजबूत और लचीला बनाता है। नियमित अभ्यास से मांसपेशियों की ताकत बढ़ती है और जोड़ों की गतिशीलता में सुधार होता है। इससे पीठ दर्द&comma; गर्दन दर्द जैसी समस्याओं में राहत मिलती है।<&sol;p>&NewLine;&NewLine;&NewLine;&NewLine;<h3 class&equals;"wp-block-heading" id&equals;"h-म-नस-क-ल-भ">मानसिक लाभ<&sol;h3>&NewLine;&NewLine;&NewLine;&NewLine;<p>योग मन को शांत करने में मदद करता है। ध्यान और प्राणायाम से तनाव कम होता है और एकाग्रता बढ़ती है। इससे चिंता और अवसाद जैसी मानसिक समस्याओं से निपटने में मदद मिलती है।<&sol;p>&NewLine;&NewLine;&NewLine;&NewLine;<h4 class&equals;"wp-block-heading" id&equals;"h-य-ग-क-द-न-क-ज-वन-म-भ-म-क">योग की दैनिक जीवन में भूमिका<&sol;h4>&NewLine;&NewLine;&NewLine;&NewLine;<p>आधुनिक जीवन की भागदौड़ में योग एक वरदान है। यह न केवल शारीरिक स्वास्थ्य बल्कि मानसिक संतुलन भी प्रदान करता है। आइए देखें कैसे योग हमारे दैनिक जीवन को प्रभावित करता है&colon;<&sol;p>&NewLine;&NewLine;&NewLine;&NewLine;<h4 class&equals;"wp-block-heading" id&equals;"h-क-र-यस-थल-पर-य-ग">कार्यस्थल पर योग<&sol;h4>&NewLine;&NewLine;&NewLine;&NewLine;<p>कई कंपनियाँ अब अपने कर्मचारियों के लिए योग कक्षाएँ आयोजित कर रही हैं। इससे कर्मचारियों का तनाव कम होता है और उत्पादकता बढ़ती है। कुछ सरल योगासन और प्राणायाम कार्यालय में भी किए जा सकते हैं।<&sol;p>&NewLine;&NewLine;&NewLine;&NewLine;<h4 class&equals;"wp-block-heading" id&equals;"h-घर-पर-य-ग">घर पर योग<&sol;h4>&NewLine;&NewLine;&NewLine;&NewLine;<p>घर पर योग करना आसान और सुविधाजनक है। सुबह की शुरुआत कुछ सूर्य नमस्कार से करने से दिनभर ऊर्जा बनी रहती है। शाम को कुछ शांत आसन और ध्यान से दिन का तनाव दूर हो जाता है।<&sol;p>&NewLine;&NewLine;&NewLine;&NewLine;<h4 class&equals;"wp-block-heading" id&equals;"h-बच-च-क-ल-ए-य-ग">बच्चों के लिए योग<&sol;h4>&NewLine;&NewLine;&NewLine;&NewLine;<p>बच्चों को योग सिखाना उनके समग्र विकास के लिए लाभदायक है। इससे उनकी एकाग्रता बढ़ती है और शारीरिक विकास सुनिश्चित होता है। कई स्कूल अब अपने पाठ्यक्रम में योग को शामिल कर रहे हैं।<&sol;p>&NewLine;&NewLine;&NewLine;&NewLine;<h4 class&equals;"wp-block-heading" id&equals;"h-य-ग-और-आय-र-व-द-क-स-ब-ध">योग और आयुर्वेद का संबंध<&sol;h4>&NewLine;&NewLine;&NewLine;&NewLine;<p>योग और आयुर्वेद&comma; दोनों भारतीय ज्ञान प्रणालियाँ हैं जो एक-दूसरे की पूरक हैं। दोनों का उद्देश्य शरीर और मन के बीच संतुलन बनाना है। आयुर्वेद में वर्णित दिनचर्या में योग एक महत्वपूर्ण हिस्सा है।<&sol;p>&NewLine;&NewLine;&NewLine;&NewLine;<h4 class&equals;"wp-block-heading" id&equals;"h-प-रक-त-क-अन-स-र-य-ग">प्रकृति के अनुसार योग<&sol;h4>&NewLine;&NewLine;&NewLine;&NewLine;<p>आयुर्वेद के अनुसार&comma; हर व्यक्ति की प्रकृति अलग होती है। इसी प्रकार&comma; हर व्यक्ति के लिए योग का अभ्यास भी अलग हो सकता है। उदाहरण के लिए&colon;<&sol;p>&NewLine;&NewLine;&NewLine;&NewLine;<figure class&equals;"wp-block-table"><table><thead><tr><th>प्रकृति<&sol;th><th>अनुशंसित योग प्रकार<&sol;th><&sol;tr><&sol;thead><tbody><tr><td>वात<&sol;td><td>शांत और स्थिर आसन<&sol;td><&sol;tr><tr><td>पित्त<&sol;td><td>शीतल और शांत आसन<&sol;td><&sol;tr><tr><td>कफ<&sol;td><td>गतिशील और ऊर्जावान आसन<&sol;td><&sol;tr><&sol;tbody><&sol;table><&sol;figure>&NewLine;&NewLine;&NewLine;&NewLine;<h4 class&equals;"wp-block-heading" id&equals;"h-य-ग-और-आध-न-क-च-क-त-स">योग और आधुनिक चिकित्सा<&sol;h4>&NewLine;&NewLine;&NewLine;&NewLine;<p>आधुनिक चिकित्सा विज्ञान भी योग के लाभों को स्वीकार कर रहा है। कई अस्पताल अब योग को पूरक चिकित्सा के रूप में अपना रहे हैं। विशेष रूप से&comma; तनाव से संबंधित बीमारियों और पीठ दर्द जैसी समस्याओं में योग बहुत प्रभावी साबित हुआ है।<&sol;p>&NewLine;&NewLine;&NewLine;&NewLine;<h4 class&equals;"wp-block-heading" id&equals;"h-य-ग-और-मध-म-ह">योग और मधुमेह<&sol;h4>&NewLine;&NewLine;&NewLine;&NewLine;<p>शोध से पता चला है कि नियमित योगाभ्यास से मधुमेह के रोगियों में रक्त शर्करा का नियंत्रण बेहतर होता है। कुछ विशेष आसन जैसे अर्ध मत्स्येंद्रासन और धनुरासन इंसुलिन संवेदनशीलता को बढ़ाते हैं।<&sol;p>&NewLine;&NewLine;&NewLine;&NewLine;<h4 class&equals;"wp-block-heading" id&equals;"h-य-ग-और-ह-दय-र-ग">योग और हृदय रोग<&sol;h4>&NewLine;&NewLine;&NewLine;&NewLine;<p>योग हृदय रोग के जोखिम को कम करने में मदद करता है। नियमित अभ्यास से रक्तचाप नियंत्रित रहता है और कोलेस्ट्रॉल का स्तर कम होता है।<&sol;p>&NewLine;&NewLine;&NewLine;&NewLine;<h4 class&equals;"wp-block-heading" id&equals;"h-य-ग-क-व-श-व-क-प-रभ-व">योग का वैश्विक प्रभाव<&sol;h4>&NewLine;&NewLine;&NewLine;&NewLine;<p>योग अब केवल भारत तक सीमित नहीं है। यह एक वैश्विक घटना बन गया है। दुनिया भर में लाखों लोग योग का अभ्यास कर रहे हैं।<&sol;p>&NewLine;&NewLine;&NewLine;&NewLine;<h3 class&equals;"wp-block-heading" id&equals;"h-अ-तरर-ष-ट-र-य-य-ग-द-वस">अंतरराष्ट्रीय योग दिवस<&sol;h3>&NewLine;&NewLine;&NewLine;&NewLine;<p>संयुक्त राष्ट्र ने 21 जून को अंतरराष्ट्रीय योग दिवस घोषित किया है। यह दिन दुनिया भर में योग के महत्व को रेखांकित करता है। इस दिन विभिन्न देशों में बड़े पैमाने पर योग कार्यक्रम आयोजित किए जाते हैं।<&sol;p>&NewLine;&NewLine;&NewLine;&NewLine;<h3 class&equals;"wp-block-heading" id&equals;"h-पश-च-म-द-श-म-य-ग">पश्चिमी देशों में योग<&sol;h3>&NewLine;&NewLine;&NewLine;&NewLine;<p>अमेरिका&comma; यूरोप और ऑस्ट्रेलिया जैसे देशों में योग बहुत लोकप्रिय है। वहां के लोग इसे न केवल शारीरिक व्यायाम के रूप में बल्कि जीवन शैली के रूप में अपना रहे हैं। कई पश्चिमी विश्वविद्यालयों में अब योग पर शोध हो रहा है।<&sol;p>&NewLine;&NewLine;&NewLine;&NewLine;<h4 class&equals;"wp-block-heading" id&equals;"h-य-ग-और-आध-य-त-म-कत">योग और आध्यात्मिकता<&sol;h4>&NewLine;&NewLine;&NewLine;&NewLine;<p>योग का मूल उद्देश्य आध्यात्मिक उन्नति है। हालांकि आजकल इसे ज्यादातर शारीरिक व्यायाम के रूप में देखा जाता है&comma; लेकिन इसका आध्यात्मिक पहलू भी उतना ही महत्वपूर्ण है।<&sol;p>&NewLine;&NewLine;&NewLine;&NewLine;<h4 class&equals;"wp-block-heading" id&equals;"h-ध-य-न-क-महत-व">ध्यान का महत्व<&sol;h4>&NewLine;&NewLine;&NewLine;&NewLine;<p>ध्यान योग का एक अभिन्न अंग है। यह मन को शांत करने और आत्म-जागरूकता बढ़ाने में मदद करता है। नियमित ध्यान से व्यक्ति अपने आंतरिक स्वभाव को बेहतर समझ पाता है।<&sol;p>&NewLine;&NewLine;&NewLine;&NewLine;<h4 class&equals;"wp-block-heading" id&equals;"h-य-ग-और-ज-वन-दर-शन">योग और जीवन दर्शन<&sol;h4>&NewLine;&NewLine;&NewLine;&NewLine;<p>योग केवल शारीरिक अभ्यास नहीं है&comma; यह एक जीवन दर्शन है। यह हमें सिखाता है कि कैसे संतुलित और सार्थक जीवन जिया जाए। योग के नैतिक सिद्धांत&comma; जैसे अहिंसा और सत्य&comma; आज भी उतने ही प्रासंगिक हैं।<&sol;p>&NewLine;&NewLine;&NewLine;&NewLine;<h3 class&equals;"wp-block-heading" id&equals;"h-य-ग-श-क-ष-और-प-रश-क-षण">योग शिक्षा और प्रशिक्षण<&sol;h3>&NewLine;&NewLine;&NewLine;&NewLine;<p>योग की बढ़ती लोकप्रियता के साथ&comma; योग शिक्षकों की मांग भी बढ़ रही है। कई संस्थान अब योग शिक्षक प्रशिक्षण पाठ्यक्रम प्रदान कर रहे हैं।<&sol;p>&NewLine;&NewLine;&NewLine;&NewLine;<h3 class&equals;"wp-block-heading" id&equals;"h-य-ग-श-क-षक-बनन-क-प-रक-र-य">योग शिक्षक बनने की प्रक्रिया<&sol;h3>&NewLine;&NewLine;&NewLine;&NewLine;<p>योग शिक्षक बनने के लिए गहन प्रशिक्षण की आवश्यकता होती है। इसमें न केवल आसनों का ज्ञान बल्कि योग के दर्शन और शरीर विज्ञान का अध्ययन भी शामिल है। आमतौर पर&comma; एक प्रमाणित योग शिक्षक बनने के लिए कम से कम 200 घंटे का प्रशिक्षण आवश्यक होता है।<&sol;p>&NewLine;&NewLine;&NewLine;&NewLine;<h3 class&equals;"wp-block-heading" id&equals;"h-ऑनल-इन-य-ग-कक-ष-ए">ऑनलाइन योग कक्षाएँ<&sol;h3>&NewLine;&NewLine;&NewLine;&NewLine;<p>कोविड-19 महामारी के बाद&comma; ऑनलाइन योग कक्षाओं की लोकप्रियता बढ़ी है। यह लोगों को घर बैठे योग सीखने का अवसर प्रदान करता है। हालांकि&comma; शुरुआती लोगों के लिए व्यक्तिगत मार्गदर्शन महत्वपूर्ण है।<&sol;p>&NewLine;&NewLine;&NewLine;&NewLine;<h3 class&equals;"wp-block-heading" id&equals;"h-न-ष-कर-ष">निष्कर्ष<&sol;h3>&NewLine;&NewLine;&NewLine;&NewLine;<p>योग भारतीय संस्कृति का एक अमूल्य योगदान है जो आज पूरी दुनिया को लाभान्वित कर रहा है। यह न केवल शारीरिक स्वास्थ्य बल्कि मानसिक शांति और आध्यात्मिक उन्नति का भी माध्यम है। आधुनिक जीवन की चुनौतियों का सामना करने के लि<&sol;p>&NewLine;&NewLine;&NewLine;&NewLine;<div class&equals;"wp-block-buttons is-content-justification-space-between is-layout-flex wp-container-core-buttons-is-layout-3d213aab wp-block-buttons-is-layout-flex">&NewLine;<div class&equals;"wp-block-button"><a class&equals;"wp-block-button&lowbar;&lowbar;link wp-element-button" href&equals;"https&colon;&sol;&sol;sanatanroots&period;com&sol;&percnt;e0&percnt;a4&percnt;ad&percnt;e0&percnt;a4&percnt;97&percnt;e0&percnt;a4&percnt;b5&percnt;e0&percnt;a4&percnt;a6-&percnt;e0&percnt;a4&percnt;97&percnt;e0&percnt;a5&percnt;80&percnt;e0&percnt;a4&percnt;a4&percnt;e0&percnt;a4&percnt;be-&percnt;e0&percnt;a4&percnt;85&percnt;e0&percnt;a4&percnt;a7&percnt;e0&percnt;a5&percnt;8d&percnt;e0&percnt;a4&percnt;af&percnt;e0&percnt;a4&percnt;be&percnt;e0&percnt;a4&percnt;af-1-&percnt;e0&percnt;a4&percnt;b6&percnt;e0&percnt;a5&percnt;8d&percnt;e0&percnt;a4&percnt;b2&percnt;e0&percnt;a5&percnt;8b&percnt;e0&percnt;a4&percnt;95-28&sol;">Previous<&sol;a><&sol;div>&NewLine;&NewLine;&NewLine;&NewLine;<div class&equals;"wp-block-button"><a class&equals;"wp-block-button&lowbar;&lowbar;link wp-element-button" href&equals;"https&colon;&sol;&sol;sanatanroots&period;com&sol;&percnt;e0&percnt;a4&percnt;ad&percnt;e0&percnt;a4&percnt;97&percnt;e0&percnt;a4&percnt;b5&percnt;e0&percnt;a4&percnt;a6-&percnt;e0&percnt;a4&percnt;97&percnt;e0&percnt;a5&percnt;80&percnt;e0&percnt;a4&percnt;a4&percnt;e0&percnt;a4&percnt;be-&percnt;e0&percnt;a4&percnt;85&percnt;e0&percnt;a4&percnt;a7&percnt;e0&percnt;a5&percnt;8d&percnt;e0&percnt;a4&percnt;af&percnt;e0&percnt;a4&percnt;be&percnt;e0&percnt;a4&percnt;af-1-&percnt;e0&percnt;a4&percnt;b6&percnt;e0&percnt;a5&percnt;8d&percnt;e0&percnt;a4&percnt;b2&percnt;e0&percnt;a5&percnt;8b&percnt;e0&percnt;a4&percnt;95-32-33&sol;">Next<&sol;a><&sol;div>&NewLine;<&sol;div>&NewLine;

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