छठ पूजा 2025 के नियम और विधियाँ: सूर्य उपासना का पवित्र पर्व

छठ पूजा भारत के सबसे प्राचीन और पवित्र हिंदू त्योहारों में से एक है। यह पर्व सूर्य देव की जीवनदायी ऊर्जा और शक्ति के प्रति श्रद्धा का प्रतीक है। मुख्य रूप से बिहार, झारखंड, उत्तर प्रदेश और नेपाल के कुछ हिस्सों में मनाया जाने वाला यह चार दिवसीय पर्व अत्यंत अनुशासन, शुद्धता और भक्ति का उदाहरण है।
जैसे-जैसे हम छठ पूजा 2025 के करीब आ रहे हैं, आइए जानते हैं इस पावन पर्व के नियम, परंपराएँ और इसके पीछे की गहराई।
छठ पूजा 2025 कब है?
छठ पूजा हर साल हिंदू पंचांग के अनुसार कार्तिक मास के शुक्ल पक्ष की षष्ठी तिथि को मनाई जाती है।
वर्ष 2025 में यह पर्व 28 अक्टूबर से 31 अक्टूबर तक मनाया जाएगा। चार दिनों तक चलने वाले इस पर्व के अलग-अलग दिन अपने-अपने विशेष महत्व रखते हैं।
छठ पूजा के चार पवित्र दिन
पहला दिन – नहाय खाय (28 अक्टूबर 2025)
छठ पर्व की शुरुआत ‘नहाय खाय’ से होती है। इस दिन व्रती (उपवास करने वाले) पवित्र नदी में स्नान करते हैं, विशेष रूप से गंगा जल लाकर घर में प्रसाद बनाने के लिए उपयोग करते हैं।
नियम और विधियाँ:
- सूर्योदय से पहले पवित्र नदी या स्वच्छ जल में स्नान करें।
- घर को पूरी तरह से साफ-सुथरा रखें।
- सात्विक (शुद्ध शाकाहारी) भोजन तैयार करें।
- प्रसाद में सामान्यतः कद्दू-भात (कद्दू और चावल) शामिल होता है।
- दिन में केवल एक बार भोजन करें।
- पूर्ण शुद्धता और स्वच्छता का पालन करें।
दूसरा दिन – खरना (29 अक्टूबर 2025)
यह दिन कठिन तपस्या का होता है। सूर्योदय से सूर्यास्त तक व्रती बिना जल के उपवास रखते हैं।
नियम और विधियाँ:
- पूरा दिन निर्जला व्रत रखें (जल तक का सेवन नहीं)।
- सूर्यास्त के बाद चंद्रमा को अर्घ्य देकर व्रत तोड़ें।
- खरना प्रसाद में गुड़ से बनी खीर, रोटी और केले शामिल होते हैं।
- परिवार के सभी सदस्य प्रसाद ग्रहण करते हैं।
- इसके बाद 36 घंटे का निर्जला उपवास आरंभ होता है।
तीसरा दिन – संध्या अर्घ्य (30 अक्टूबर 2025)
यह दिन सबसे भव्य और आध्यात्मिक होता है, जब व्रती अस्ताचलगामी सूर्य को अर्घ्य अर्पित करते हैं।
नियम और विधियाँ:
- पिछले दिन आरंभ हुआ निर्जला व्रत जारी रखें।
- पूजन की टोकरी (डउरा) में मौसमी फल, ठेकुआ, चावल के लड्डू, नारियल आदि रखें।
- शाम के समय नदी, तालाब या घाट पर एकत्रित हों।
- कमर-भर पानी में खड़े होकर डूबते सूर्य को अर्घ्य दें।
- पारंपरिक छठ गीत और लोकगीत गाएँ।
- पूरी रात जागरण और भक्ति में बिताएँ।
चौथा दिन – उषा अर्घ्य (31 अक्टूबर 2025)
अंतिम दिन व्रती उगते सूर्य को अर्घ्य देकर पूजा का समापन करते हैं।
नियम और विधियाँ:
- सूर्योदय से पहले घाट या जलाशय पर पहुँचें।
- पूरब दिशा की ओर मुख करके पानी में खड़े हों।
- उगते सूर्य को अर्घ्य अर्पित करें और परिवार की समृद्धि की कामना करें।
- अर्घ्य के बाद अदरक और जल ग्रहण करके व्रत तोड़ें।
- प्रसाद परिवार और समुदाय के साथ साझा करें।
छठ पूजा के दौरान पालन किए जाने वाले आवश्यक नियम
1. शुद्धता और स्वच्छता
- पूरे पर्व के दौरान शारीरिक और मानसिक शुद्धता बनाए रखें।
- साफ, अधिमानतः नए वस्त्र पहनें।
- महिलाएँ बिना सिले वस्त्र (जैसे धोती या साड़ी) पहनती हैं।
- पुरुष प्रायः धोती-कुर्ता धारण करते हैं।
- पूजा के समय जूते-चप्पल और चमड़े के सामान का प्रयोग न करें।
- पर्व के दिनों में ज़मीन या चटाई पर सोने की परंपरा है।
2. आहार संबंधी नियम
- भोजन में प्याज, लहसुन और साधारण नमक का प्रयोग वर्जित है।
- आवश्यक हो तो केवल सेंधा नमक का उपयोग करें।
- ‘नहाय खाय’ के बाद से व्रत समाप्त होने तक मांसाहार पूर्णतः निषिद्ध है।
- शराब, तंबाकू और नशे का सेवन वर्जित है।
- प्रसाद और भोजन शुद्ध घी में पकाएँ, तेल का प्रयोग न करें।
- बर्तनों को नए या पूर्ण रूप से साफ करके ही उपयोग करें।
3. व्यवहारिक नियम
- पूरे पर्व के दौरान ब्रह्मचर्य का पालन करें।
- नाखून या बाल न काटें।
- झूठ बोलने या कटु वचन कहने से बचें।
- धैर्य और भक्ति बनाए रखें।
- खरना के दिन दिन में न सोएँ।
- मन को शांत और सकारात्मक रखें।
पारंपरिक प्रसाद के प्रमुख प्रकार
- ठेकुआ: गेहूं के आटे, गुड़ और घी से बना छठ का मुख्य प्रसाद।
- खीर: गुड़, चावल और दूध से बनी मीठी खीर (खरना के दिन)।
- फल: मौसमी फल जैसे केला, नारियल, गन्ना, सीताफल, सेव, सिंघाड़ा आदि।
- चावल के लड्डू: चावल के आटे और गुड़ से बने मीठे लड्डू।
छठ पूजा का वैज्ञानिक दृष्टिकोण
छठ पूजा केवल धार्मिक पर्व नहीं बल्कि एक वैज्ञानिक साधना भी है।
- सूर्यास्त और सूर्योदय के समय सूर्य की किरणें शरीर के लिए सबसे लाभदायक होती हैं — इनसे विटामिन D और ऊर्जा प्राप्त होती है।
- जल में खड़े होकर सूर्य उपासना करना शरीर के लिए हाइड्रोथेरेपी का कार्य करता है।
- निर्जला व्रत शरीर को डिटॉक्स करता है और मौसम परिवर्तन के समय प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाता है।
परंपरा के साथ आधुनिक रूप
आज शहरी क्षेत्रों में भी छठ पर्व पूरे श्रद्धा और अनुशासन के साथ मनाया जाता है।
जहाँ नदी या तालाब उपलब्ध नहीं हैं, वहाँ कृत्रिम घाट या टैंक बनाए जाते हैं।
- स्थान चाहे कोई भी हो, भक्ति और शुद्धता समान रखनी चाहिए।
- स्वच्छ बहते जल का प्रयोग करें।
- सामुदायिक स्थानों में अस्थायी जलाशय बनाए जा सकते हैं।
- सभी नियमों का पालन घर या अपार्टमेंट में भी संभव है।
कौन कर सकता है छठ पूजा?
हालाँकि परंपरागत रूप से विवाहित महिलाएँ अपने परिवार के कल्याण के लिए छठ व्रत करती हैं,
परंतु यह पर्व हर कोई कर सकता है — पुरुष, अविवाहित महिलाएँ और यहाँ तक कि बच्चे भी।
एक बार व्रत आरंभ करने के बाद इसे आजीवन या अगली पीढ़ी को सौंपना शुभ माना जाता है।
महत्वपूर्ण सुझाव:
- गर्भवती महिलाएँ या अस्वस्थ व्यक्ति व्रत रखने से पहले बुजुर्गों से परामर्श लें।
- 12 वर्ष से कम उम्र के बच्चों को पूर्ण उपवास करने की आवश्यकता नहीं होती।
- श्रद्धा, भक्ति और निष्ठा ही सबसे महत्वपूर्ण हैं।
निष्कर्ष
छठ पूजा 2025 हमें एक बार फिर उस प्राचीन परंपरा से जोड़ती है जो सूर्य देव की आराधना और प्रकृति के प्रति आभार व्यक्त करने का प्रतीक है।
इसके कठोर नियम और अनुशासन हमें आत्मसंयम, शुद्धता और सामुदायिक एकता का पाठ पढ़ाते हैं।
चाहे आप पहली बार व्रत कर रहे हों या वर्षों से इसका पालन कर रहे हों, इसे श्रद्धा और सच्चे मन से करने पर यह पर्व जीवन में सुख, समृद्धि और स्वास्थ्य लेकर आता है।
छठी मैया की जय! सूर्य देव आप सबको सुख, स्वास्थ्य और समृद्धि प्रदान करें।
क्या आप इस वर्ष छठ पूजा करने जा रहे हैं? इस पवित्र पर्व का कौन-सा हिस्सा आपको सबसे अधिक प्रभावित करता है?
अपना अनुभव और परंपराएँ नीचे टिप्पणी में साझा करें।
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