Bhagwat Geeta

  • Changing Bodies Large 1 sanatan

    भगवद गीता: अध्याय 2, श्लोक 22

    वासांसि जीर्णानि यथा विहाय नवानि गृह्वाति नरोऽपराणि।तथा शरीराणि विहाय जीर्णा न्यन्यानि संयाति नवानि देही ॥22॥ वासांसि-वस्त्र; जीर्णानि-फटे पुराने; यथा-जिस प्रकार;…

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  • 1000 F 574817620 UH6Fluit0eSnuP9ym1wAuVIA8UyQMepn sanatan

    भगवद गीता: अध्याय 2, श्लोक 21

    वेदाविनाशिनं नित्यं य एनमजमव्ययम्।कथं स पुरुषः पार्थ कं घातयति हन्ति कम्॥21॥वेद-जानता है; अवनाशिनम्-अविनाशी को; नित्यम्-शाश्वत; यः-वह जो; एनम्-इस; अजम्-अजन्मा; अव्यम्-अपरिवर्तनीय;…

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  • human body have a soul txj9 sanatan

    भगवद गीता: अध्याय 2, श्लोक 20

    न जायते म्रियते वा कदाचिनायं भूत्वा भविता वा न भूयः।अजो नित्यः शाश्वतोऽयं पुराणोन हन्यते हन्यमाने शरीरे ॥20॥ न-जायते जन्म नहीं…

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  • soul and body 1 sanatan

    भगवद गीता: अध्याय 2, श्लोक 19

    य एनं वेत्ति हन्तारं यश्चैनं मन्यते हतम्।उभौ तौ न विजानीतो नायं हन्ति न हन्यते॥19॥ यः-वह जो; एनम् इसे; वेत्ति–जानता है;…

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  • 1000 F 574817620 UH6Fluit0eSnuP9ym1wAuVIA8UyQMepn sanatan

    भगवद गीता: अध्याय 2, श्लोक 18

    अन्तवन्त इमे देहा नित्यस्योक्ताः शरीरिणः।अनाशिनोऽप्रमेयस्य तस्माद्युध्यस्व भारत॥18॥ अन्तवन्त–नष्ट होने वाला; इमे-ये; देहाः-भौतिक शरीर; नित्यस्य-शाश्वत; उक्ताः-कहा गया है; शरीरिणः-देहधारी आत्मा का;…

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  • human body have a soul txj9 sanatan

    भगवद गीता: अध्याय 2, श्लोक 17

    अविनाशि तु तद्विद्धि येन सर्वमिदं ततम् ।विनाशमव्ययस्यास्य न कश्चित्कर्तुमर्हति॥17॥ अविनाशि-अनश्वर; तु–वास्तव में; तत्-उसे; विद्धि-जानो; येन-किसके द्वारा; सर्वम् सम्पूर्ण; इदम् यह;…

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  • Designer 19 sanatan

    भगवद गीता: अध्याय 2, श्लोक 16

    नासतो विद्यते भावो नाभावो विद्यते सतः।उभयोरपि दृष्टोऽन्तस्त्वनयोस्तत्त्वदर्शिभिः ॥16॥ न–नहीं; असतः-अस्थायी का; विद्यते-वहां है; भावः-सत्ता है; न कभी नहीं; अभावः-अन्त; विद्यते-वहाँ…

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  • krishna1 sanatan

    भगवद गीता: अध्याय 2, श्लोक 15

    यं हि न व्यथयन्त्येते पुरुषं पुरुषर्षभ।समदुःखसुखं धीरं सोऽमृतत्वाय कल्पते॥15॥ यम्-जिस; हि-निश्चित रूप से; न कभी नहीं; व्यथयन्ति–दुखी नहीं होते; एते…

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  • 7 yogic chakras sanatan

    भगवद गीता: अध्याय 2, श्लोक 14

    मात्रास्पर्शास्तु कौन्तेय शीतोष्णसुखदुःखदाः।आगमापायिनोऽनित्यास्तांस्तितिक्षस्व भारत॥14॥ मात्रा-स्पर्श:-इन्द्रिय विषयों के साथ संपर्क; तु–वास्तव में; कौन्तेय-कुन्तीपुत्र, अर्जुन; शीत-जाड़ा; उष्ण-ग्रीष्म; सुख-सुख, दुःख-दुख; दाः-देने वाले; आगम-आना;…

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  • krishna1 sanatan

    भगवद गीता: अध्याय 2, श्लोक 13

    देहिनोऽस्मिन्यथा देहे कौमारं यौवनं जरा।तथा देहान्तरप्राप्तिर्षीरस्तत्र न मुह्यति ॥13॥ देहिनः-देहधारी की; अस्मिन्-इसमें; यथा-जैसे; देहै-शरीर में; कौमारम्-बाल्यावस्था; यौवनम्-यौवन; जरा-वृद्धावस्था; तथा समान…

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