Bhagwat Geeta

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    भगवद गीता: अध्याय 1, श्लोक 28

    अर्जुन उवाच। दृष्ट्वेमं स्वजनं कृष्ण युयुत्सुं समुपस्थितम्।सीदन्ति मम गात्राणि मुखं च परिशुष्यति ॥28॥ अर्जुन:-उवाच-अर्जुन ने कहा; दृष्ट्वा-देख कर; इमम् इन…

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    भगवद गीता: अध्याय 1, श्लोक 27

    तान्समीक्ष्य स कौन्तेयः सर्वान्बन्धूनवस्थितान्।कृपया परयाविष्टो विषीदन्निदमब्रवीत् ॥27॥ तान्-उन्हीं; समीक्ष्य-देखकर; सः-वे; कौन्तेयः-कुन्तीपुत्र, अर्जुनः सर्वान्–सभी प्रकार के; बंधु-बान्धव-सगे सम्बन्धियों को; अवस्थितान्–उपस्थित; कृपया-करुणा…

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    भगवद गीता: अध्याय 1, श्लोक 26

    तत्रापश्यत्स्थितान् पार्थः पितृनथ पितामहान्।आचार्यान्मातुलान्भ्रातृन्पुत्रान्पौत्रान्सखींस्तथाश्वशुरान्सुहृदश्चैव सेनयोरुभयोरपि ॥26॥ तत्र-वहाँ; अपश्यत्-देखा; स्थितान्-खड़े पार्थः-अर्जुन ने; पितॄन्-पिता; अथ-तत्पश्चात; पितामहान–पितामहों को; आचार्यान्–शिक्षकों को; मातुलान्-मामाओं को; भ्रातृन्–भाइयों…

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  • Lord Sri Krishna And Bheeshma In Kurukshetra sanatan

    भगवद गीता: अध्याय 1, श्लोक 25

    भीष्मद्रोणप्रमुखतः सर्वेषां च महीक्षिताम्।उवाच पार्थ पश्यैतान्समवेतान्कुरूनिति ॥25॥भीष्म-भीष्म पितामह; द्रोण-द्रोणाचार्य प्रमुखतः-उपस्थिति में; सर्वेषाम्-सब; च और; मही-क्षिताम्-अन्य राजा; उवाच-कहा; पार्थ-पृथा पुत्र, अर्जुनः…

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    भगवद गीता: अध्याय 1, श्लोक 24

    सञ्जय उवाच।एवमुक्तो हृषीकेशो गुडाकेशेन भारत।सेनयोरुभयोर्मध्ये स्थापयित्वा रथोत्तमम्॥24॥ संजयः उवाच-संजय ने कहा; एवम्-इस प्रकार; उक्त:-व्यक्त किए गये; हृषीकेशः-इन्द्रियों के स्वामी, श्रीकृष्ण…

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    भगवद गीता: अध्याय 1, श्लोक 23

    योत्स्यमानानवेक्षेऽहं य एतेऽत्र समागताः। धार्तराष्ट्रस्य दुर्बुद्धेयुद्धे प्रियचिकीर्षवः ॥23॥ योत्स्यमानान्–युद्ध करने के लिए आए योद्धाओं को; अवेक्षे-अहम्–मै देखना चाहता हूँ; ये-जो;…

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    भगवद गीता: अध्याय 1, श्लोक 21-22

    सेनयोरुभयोर्मध्ये रथं स्थापय मेऽच्युत ॥21॥यावदेतानिरीक्षेऽहं योद्धकामानवस्थितान्।कैर्मया सह योद्धव्यमस्मिन् रणसमुद्यमे ॥22॥ अर्जुनः उवाच-अर्जुन ने कहा; सेनयोः-सेनाएं; उभयोः-दोनों; मध्ये–बीच; रथम्-रथ; स्थापय-खड़ा करें;…

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    भगवद गीता: अध्याय 1, श्लोक 20

    अथ व्यवस्थितान्दृष्ट्वा धार्तराष्ट्रान् कपिध्वजः।प्रवृत्ते शस्त्रसम्पाते धनुरुद्यम्य पाण्डवः।हृषीकेशं तदा वाक्यमिदमाह महीपते ॥20॥अथ तत्पश्चात; व्यवस्थितान्-सुव्यवस्थित; दृष्टा-देखकर; धार्तराष्ट्रान्–धृतराष्ट्र के पुत्रों को; कपिधवजः-वानर चित्र…

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    भगवद गीता: अध्याय 1, श्लोक 19

    स घोषो धार्तराष्ट्राणां हृदयानि व्यदारयत्।नभश्च पृथिवीं चैव तुमुलोऽभ्यनुनादयन् ॥19॥ सः-उस; घोषः-शब्द ध्वनि; धार्तराष्ट्राणाम् धृतराष्ट्र के पुत्रों के; हृदयानि- हृदयों को;…

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    भगवद गीता: अध्याय 1, श्लोक 16-18

    अनन्तविजयं राजा कुन्तीपुत्रो युधिष्ठिरः।नकुलः सहदेवश्च सुघोषमणिपुष्पकौ ॥16॥काश्यश्च परमेष्वासः शिखण्डी च महारथः।धृष्टद्युम्नो विराटश्च सात्यकिश्चापराजितः॥17॥द्रुपदो द्रौपदेयाश्च सर्वशः पृथिवीपते।सौभद्रश्च महाबाहुः शङ्खान्दध्मुः पृथक् पृथक्॥18॥…

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