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सावन में शिव की पूजा कैसे करें: एक संपूर्ण मार्गदर्शिका

&NewLine;<p>सावन का महीना हिंदू धर्म में बहुत महत्वपूर्ण माना जाता है। यह महीना भगवान शिव की आराधना के लिए विशेष रूप से समर्पित है। इस समय भक्त अपने आराध्य देव शिव की पूजा करने के लिए विशेष प्रयास करते हैं। आइए जानें कि सावन में शिव की पूजा कैसे करें और इस पवित्र महीने का पूरा लाभ कैसे उठाएं।<&sol;p>&NewLine;&NewLine;&NewLine;&NewLine;<h2 class&equals;"wp-block-heading" id&equals;"h-स-वन-क-महत-व">सावन का महत्व<&sol;h2>&NewLine;&NewLine;&NewLine;&NewLine;<p>सावन हिंदू पंचांग के अनुसार पांचवां महीना होता है। यह आमतौर पर जुलाई-अगस्त के महीनों में पड़ता है। इस दौरान मानसून की बारिश होती है&comma; जो प्रकृति को हरा-भरा कर देती है। सावन को भगवान शिव का प्रिय महीना माना जाता है। इस महीने में शिव की पूजा करने से विशेष फल की प्राप्ति होती है।<&sol;p>&NewLine;&NewLine;&NewLine;&NewLine;<h3 class&equals;"wp-block-heading" id&equals;"h-स-वन-म-श-व-प-ज-क-महत-व">सावन में शिव पूजा का महत्व<&sol;h3>&NewLine;&NewLine;&NewLine;&NewLine;<ol class&equals;"wp-block-list">&NewLine;<li>आध्यात्मिक उन्नति<&sol;li>&NewLine;&NewLine;&NewLine;&NewLine;<li>मनोकामनाओं की पूर्ति<&sol;li>&NewLine;&NewLine;&NewLine;&NewLine;<li>पापों से मुक्ति<&sol;li>&NewLine;&NewLine;&NewLine;&NewLine;<li>जीवन में सुख-शांति<&sol;li>&NewLine;&NewLine;&NewLine;&NewLine;<li>आरोग्य लाभ<&sol;li>&NewLine;<&sol;ol>&NewLine;&NewLine;&NewLine;&NewLine;<h3 class&equals;"wp-block-heading" id&equals;"h-श-व-प-ज-क-त-य-र">शिव पूजा की तैयारी<&sol;h3>&NewLine;&NewLine;&NewLine;&NewLine;<p>शिव की पूजा करने से पहले कुछ तैयारियां करना आवश्यक है। इससे आपकी पूजा सफल होगी और आप पूरी श्रद्धा के साथ भगवान शिव की आराधना कर पाएंगे।<&sol;p>&NewLine;&NewLine;&NewLine;&NewLine;<h3 class&equals;"wp-block-heading" id&equals;"h-आवश-यक-स-मग-र">आवश्यक सामग्री<&sol;h3>&NewLine;&NewLine;&NewLine;&NewLine;<ul class&equals;"wp-block-list">&NewLine;<li>शिवलिंग या शिव की मूर्ति<&sol;li>&NewLine;&NewLine;&NewLine;&NewLine;<li>गंगाजल<&sol;li>&NewLine;&NewLine;&NewLine;&NewLine;<li>दूध&comma; दही&comma; घी&comma; शहद और चीनी<&sol;li>&NewLine;&NewLine;&NewLine;&NewLine;<li>बेलपत्र<&sol;li>&NewLine;&NewLine;&NewLine;&NewLine;<li>धतूरा<&sol;li>&NewLine;&NewLine;&NewLine;&NewLine;<li>रुद्राक्ष माला<&sol;li>&NewLine;&NewLine;&NewLine;&NewLine;<li>चंदन<&sol;li>&NewLine;&NewLine;&NewLine;&NewLine;<li>कुमकुम<&sol;li>&NewLine;&NewLine;&NewLine;&NewLine;<li>अगरबत्ती और दीपक<&sol;li>&NewLine;&NewLine;&NewLine;&NewLine;<li>फूल &lpar;विशेषकर कमल और गुलाब&rpar;<&sol;li>&NewLine;&NewLine;&NewLine;&NewLine;<li>नैवेद्य &lpar;प्रसाद&rpar;<&sol;li>&NewLine;<&sol;ul>&NewLine;&NewLine;&NewLine;&NewLine;<h3 class&equals;"wp-block-heading" id&equals;"h-म-नस-क-त-य-र">मानसिक तैयारी<&sol;h3>&NewLine;&NewLine;&NewLine;&NewLine;<p>शिव पूजा के लिए मानसिक तैयारी भी उतनी ही महत्वपूर्ण है जितनी भौतिक तैयारी। अपने मन को शांत और एकाग्र करें। सभी नकारात्मक विचारों को दूर करें और अपने आप को पूरी तरह से भगवान शिव के प्रति समर्पित कर दें।<&sol;p>&NewLine;&NewLine;&NewLine;&NewLine;<h2 class&equals;"wp-block-heading" id&equals;"h-श-व-प-ज-क-व-ध">शिव पूजा की विधि<&sol;h2>&NewLine;&NewLine;&NewLine;&NewLine;<h3 class&equals;"wp-block-heading" id&equals;"h-1-स-न-न-और-श-द-ध">1&period; स्नान और शुद्धि<&sol;h3>&NewLine;&NewLine;&NewLine;&NewLine;<p>सबसे पहले स्नान करके शुद्ध हो जाएं। साफ वस्त्र पहनें&comma; अधिमानतः सफेद रंग के। अपने पूजा स्थल को साफ और पवित्र करें।<&sol;p>&NewLine;&NewLine;&NewLine;&NewLine;<h3 class&equals;"wp-block-heading" id&equals;"h-2-श-वल-ग-क-स-थ-पन">2&period; शिवलिंग की स्थापना<&sol;h3>&NewLine;&NewLine;&NewLine;&NewLine;<p>शिवलिंग या शिव की मूर्ति को पूजा स्थल पर स्थापित करें। उसके चारों ओर फूल और बेलपत्र रखें।<&sol;p>&NewLine;&NewLine;&NewLine;&NewLine;<h3 class&equals;"wp-block-heading" id&equals;"h-3-ध-य-न-और-स-कल-प">3&period; ध्यान और संकल्प<&sol;h3>&NewLine;&NewLine;&NewLine;&NewLine;<p>पद्मासन या सुखासन में बैठें। अपनी आंखें बंद करें और भगवान शिव का ध्यान करें। अपने मन में पूजा का संकल्प लें।<&sol;p>&NewLine;&NewLine;&NewLine;&NewLine;<h3 class&equals;"wp-block-heading" id&equals;"h-4-प-च-म-त-स-न-न">4&period; पंचामृत स्नान<&sol;h3>&NewLine;&NewLine;&NewLine;&NewLine;<p>शिवलिंग को पंचामृत से स्नान कराएं। पंचामृत दूध&comma; दही&comma; घी&comma; शहद और चीनी के मिश्रण से बनता है। इसे मंत्रोच्चारण के साथ शिवलिंग पर चढ़ाएं।<&sol;p>&NewLine;&NewLine;&NewLine;&NewLine;<h3 class&equals;"wp-block-heading" id&equals;"h-5-जल-भ-ष-क">5&period; जलाभिषेक<&sol;h3>&NewLine;&NewLine;&NewLine;&NewLine;<p>गंगाजल या शुद्ध जल से शिवलिंग का अभिषेक करें। इस दौरान &&num;8220&semi;ॐ नमः शिवाय&&num;8221&semi; मंत्र का जाप करें।<&sol;p>&NewLine;&NewLine;&NewLine;&NewLine;<h3 class&equals;"wp-block-heading" id&equals;"h-6-वस-त-र-और-यज-ञ-पव-त">6&period; वस्त्र और यज्ञोपवीत<&sol;h3>&NewLine;&NewLine;&NewLine;&NewLine;<p>शिवलिंग को वस्त्र पहनाएं और यज्ञोपवीत &lpar;जनेऊ&rpar; चढ़ाएं।<&sol;p>&NewLine;&NewLine;&NewLine;&NewLine;<h3 class&equals;"wp-block-heading" id&equals;"h-7-च-दन-और-क-मक-म-अर-पण">7&period; चंदन और कुमकुम अर्पण<&sol;h3>&NewLine;&NewLine;&NewLine;&NewLine;<p>शिवलिंग पर चंदन का लेप करें और कुमकुम से तिलक लगाएं।<&sol;p>&NewLine;&NewLine;&NewLine;&NewLine;<h3 class&equals;"wp-block-heading" id&equals;"h-8-प-ष-प-अर-पण">8&period; पुष्प अर्पण<&sol;h3>&NewLine;&NewLine;&NewLine;&NewLine;<p>विभिन्न प्रकार के फूल&comma; विशेषकर बेलपत्र&comma; धतूरा और कमल के फूल अर्पित करें।<&sol;p>&NewLine;&NewLine;&NewLine;&NewLine;<h3 class&equals;"wp-block-heading" id&equals;"h-9-ध-प-और-द-प">9&period; धूप और दीप<&sol;h3>&NewLine;&NewLine;&NewLine;&NewLine;<p>अगरबत्ती जलाएं और दीपक प्रज्वलित करें।<&sol;p>&NewLine;&NewLine;&NewLine;&NewLine;<h3 class&equals;"wp-block-heading" id&equals;"h-10-न-व-द-य-अर-पण">10&period; नैवेद्य अर्पण<&sol;h3>&NewLine;&NewLine;&NewLine;&NewLine;<p>भगवान शिव को प्रसाद अर्पित करें। फल&comma; मिठाई या भोग का कोई अन्य रूप चढ़ा सकते हैं।<&sol;p>&NewLine;&NewLine;&NewLine;&NewLine;<h3 class&equals;"wp-block-heading" id&equals;"h-11-आरत">11&period; आरती<&sol;h3>&NewLine;&NewLine;&NewLine;&NewLine;<p>शिव आरती करें। &&num;8220&semi;ॐ जय शिव ओंकारा&&num;8221&semi; या किसी अन्य शिव आरती का गायन करें।<&sol;p>&NewLine;&NewLine;&NewLine;&NewLine;<h3 class&equals;"wp-block-heading" id&equals;"h-12-प-र-र-थन-और-क-षम-य-चन">12&period; प्रार्थना और क्षमा याचना<&sol;h3>&NewLine;&NewLine;&NewLine;&NewLine;<p>अपने मन की बात भगवान शिव से कहें। उनसे आशीर्वाद मांगें और अपनी मनोकामनाओं को व्यक्त करें। किसी भी त्रुटि के लिए क्षमा मांगें।<&sol;p>&NewLine;&NewLine;&NewLine;&NewLine;<h3 class&equals;"wp-block-heading" id&equals;"h-स-वन-क-स-मव-र-क-महत-व">सावन के सोमवार का महत्व<&sol;h3>&NewLine;&NewLine;&NewLine;&NewLine;<p>सावन के सोमवार को विशेष महत्व दिया जाता है। इस दिन शिव की पूजा करने से अतिरिक्त फल की प्राप्ति होती है। सावन के हर सोमवार को व्रत रखने और शिव की विशेष पूजा करने का विधान है।<&sol;p>&NewLine;&NewLine;&NewLine;&NewLine;<h3 class&equals;"wp-block-heading" id&equals;"h-स-मव-र-व-रत-क-व-ध">सोमवार व्रत की विधि<&sol;h3>&NewLine;&NewLine;&NewLine;&NewLine;<ol class&equals;"wp-block-list">&NewLine;<li>सुबह जल्दी उठें और स्नान करें।<&sol;li>&NewLine;&NewLine;&NewLine;&NewLine;<li>पूरे दिन उपवास रखें। कुछ लोग फलाहार या एक समय का भोजन करते हैं।<&sol;li>&NewLine;&NewLine;&NewLine;&NewLine;<li>सफेद वस्त्र धारण करें।<&sol;li>&NewLine;&NewLine;&NewLine;&NewLine;<li>शिव मंदिर जाकर पूजा करें या घर पर ही शिव की पूजा करें।<&sol;li>&NewLine;&NewLine;&NewLine;&NewLine;<li>शिव चालीसा या रुद्राष्टकम का पाठ करें।<&sol;li>&NewLine;&NewLine;&NewLine;&NewLine;<li>शाम को आरती के बाद व्रत का पारण करें।<&sol;li>&NewLine;<&sol;ol>&NewLine;&NewLine;&NewLine;&NewLine;<h3 class&equals;"wp-block-heading" id&equals;"h-श-व-प-ज-क-द-र-न-ध-य-न-रखन-य-ग-य-ब-त">शिव पूजा के दौरान ध्यान रखने योग्य बातें<&sol;h3>&NewLine;&NewLine;&NewLine;&NewLine;<ol class&equals;"wp-block-list">&NewLine;<li>पूजा के समय मन को एकाग्र रखें।<&sol;li>&NewLine;&NewLine;&NewLine;&NewLine;<li>शुद्ध और सात्विक भाव से पूजा करें।<&sol;li>&NewLine;&NewLine;&NewLine;&NewLine;<li>मांसाहार और मदिरा से दूर रहें।<&sol;li>&NewLine;&NewLine;&NewLine;&NewLine;<li>क्रोध&comma; लोभ&comma; मोह जैसे विकारों को त्यागें।<&sol;li>&NewLine;&NewLine;&NewLine;&NewLine;<li>दान और सेवा के कार्य करें।<&sol;li>&NewLine;&NewLine;&NewLine;&NewLine;<li>शिव मंत्रों का जाप करें।<&sol;li>&NewLine;<&sol;ol>&NewLine;&NewLine;&NewLine;&NewLine;<h3 class&equals;"wp-block-heading" id&equals;"h-श-व-प-ज-क-प-रम-ख-म-त-र">शिव पूजा के प्रमुख मंत्र<&sol;h3>&NewLine;&NewLine;&NewLine;&NewLine;<ol class&equals;"wp-block-list">&NewLine;<li>ॐ नमः शिवाय<&sol;li>&NewLine;&NewLine;&NewLine;&NewLine;<li>महामृत्युंजय मंत्र&colon; ॐ त्र्यम्बकं यजामहे सुगन्धिं पुष्टिवर्धनम्। उर्वारुकमिव बन्धनान्मृत्योर्मुक्षीय मामृतात्॥<&sol;li>&NewLine;&NewLine;&NewLine;&NewLine;<li>शिव गायत्री मंत्र&colon; ॐ तत्पुरुषाय विद्महे महादेवाय धीमहि। तन्नो रुद्रः प्रचोदयात्॥<&sol;li>&NewLine;<&sol;ol>&NewLine;&NewLine;&NewLine;&NewLine;<h3 class&equals;"wp-block-heading" id&equals;"h-स-वन-म-श-व-प-ज-क-ल-भ">सावन में शिव पूजा के लाभ<&sol;h3>&NewLine;&NewLine;&NewLine;&NewLine;<p>सावन में नियमित रूप से और पूरी श्रद्धा के साथ शिव पूजा करने से कई लाभ प्राप्त होते हैं&colon;<&sol;p>&NewLine;&NewLine;&NewLine;&NewLine;<ol class&equals;"wp-block-list">&NewLine;<li>आध्यात्मिक उन्नति<&sol;li>&NewLine;&NewLine;&NewLine;&NewLine;<li>मानसिक शांति<&sol;li>&NewLine;&NewLine;&NewLine;&NewLine;<li>नकारात्मक ऊर्जा से मुक्ति<&sol;li>&NewLine;&NewLine;&NewLine;&NewLine;<li>आरोग्य लाभ<&sol;li>&NewLine;&NewLine;&NewLine;&NewLine;<li>परिवार में सुख-शांति<&sol;li>&NewLine;&NewLine;&NewLine;&NewLine;<li>कार्य क्षेत्र में सफलता<&sol;li>&NewLine;&NewLine;&NewLine;&NewLine;<li>आत्मविश्वास में वृद्धि<&sol;li>&NewLine;&NewLine;&NewLine;&NewLine;<li>जीवन में सकारात्मक बदलाव<&sol;li>&NewLine;<&sol;ol>&NewLine;&NewLine;&NewLine;&NewLine;<h3 class&equals;"wp-block-heading" id&equals;"h-श-व-स-स-ब-ध-त-पव-त-र-स-थल">शिव से संबंधित पवित्र स्थल<&sol;h3>&NewLine;&NewLine;&NewLine;&NewLine;<p>भारत में कई ऐसे स्थान हैं जो भगवान शिव से विशेष रूप से जुड़े हुए हैं। सावन के महीने में इन स्थानों पर यात्रा करना या दर्शन करना बहुत शुभ माना जाता है।<&sol;p>&NewLine;&NewLine;&NewLine;&NewLine;<h3 class&equals;"wp-block-heading" id&equals;"h-प-रम-ख-श-व-त-र-थ-स-थल">प्रमुख शिव तीर्थ स्थल<&sol;h3>&NewLine;&NewLine;&NewLine;&NewLine;<ol class&equals;"wp-block-list">&NewLine;<li>केदारनाथ&comma; उत्तराखंड<&sol;li>&NewLine;&NewLine;&NewLine;&NewLine;<li>काशी विश्वनाथ&comma; वाराणसी<&sol;li>&NewLine;&NewLine;&NewLine;&NewLine;<li>सोमनाथ&comma; गुजरात<&sol;li>&NewLine;&NewLine;&NewLine;&NewLine;<li>रामेश्वरम&comma; तमिलनाडु<&sol;li>&NewLine;&NewLine;&NewLine;&NewLine;<li>महाकालेश्वर&comma; उज्जैन<&sol;li>&NewLine;&NewLine;&NewLine;&NewLine;<li>ओंकारेश्वर&comma; मध्य प्रदेश<&sol;li>&NewLine;&NewLine;&NewLine;&NewLine;<li>त्र्यंबकेश्वर&comma; महाराष्ट्र<&sol;li>&NewLine;&NewLine;&NewLine;&NewLine;<li>भीमाशंकर&comma; महाराष्ट्र<&sol;li>&NewLine;&NewLine;&NewLine;&NewLine;<li>मल्लिकार्जुन&comma; आंध्र प्रदेश<&sol;li>&NewLine;&NewLine;&NewLine;&NewLine;<li>अमरनाथ&comma; जम्मू-कश्मीर<&sol;li>&NewLine;<&sol;ol>&NewLine;&NewLine;&NewLine;&NewLine;<h3 class&equals;"wp-block-heading" id&equals;"h-श-व-प-ज-म-प-रय-क-त-वस-त-ओ-क-महत-व">शिव पूजा में प्रयुक्त वस्तुओं का महत्व<&sol;h3>&NewLine;&NewLine;&NewLine;&NewLine;<p>शिव पूजा में प्रयोग की जाने वाली विभिन्न वस्तुओं का अपना विशेष महत्व होता है। ये वस्तुएं न केवल पूजा को पूर्ण बनाती हैं&comma; बल्कि गहरा आध्यात्मिक अर्थ भी रखती हैं।<&sol;p>&NewLine;&NewLine;&NewLine;&NewLine;<figure class&equals;"wp-block-table"><table class&equals;"has-fixed-layout"><thead><tr><th>वस्तु<&sol;th><th>महत्व<&sol;th><&sol;tr><&sol;thead><tbody><tr><td>बेलपत्र<&sol;td><td>त्रिगुण &lpar;सत्व&comma; रज&comma; तम&rpar; का प्रतीक<&sol;td><&sol;tr><tr><td>रुद्राक्ष<&sol;td><td>शिव के आंसू&comma; आध्यात्मिक शक्ति का स्रोत<&sol;td><&sol;tr><tr><td>भस्म<&sol;td><td>वैराग्य और शुद्धता का प्रतीक<&sol;td><&sol;tr><tr><td>त्रिशूल<&sol;td><td>तीन गुणों पर विजय का प्रतीक<&sol;td><&sol;tr><tr><td>डमरू<&sol;td><td>सृष्टि के आदि नाद का प्रतीक<&sol;td><&sol;tr><tr><td>गंगा<&sol;td><td>पवित्रता और शुद्धि का प्रतीक<&sol;td><&sol;tr><tr><td>सर्प<&sol;td><td>कुंडलिनी शक्ति का प्रतीक<&sol;td><&sol;tr><tr><td>चंद्रमा<&sol;td><td>मन का प्रतीक<&sol;td><&sol;tr><&sol;tbody><&sol;table><&sol;figure>&NewLine;&NewLine;&NewLine;&NewLine;<h2 class&equals;"wp-block-heading" id&equals;"h-श-व-प-ज-स-स-ब-ध-त-प-र-ण-क-कथ-ए">शिव पूजा से संबंधित पौराणिक कथाएं<&sol;h2>&NewLine;&NewLine;&NewLine;&NewLine;<p>शिव पुराण और अन्य धार्मिक ग्रंथों में भगवान शिव से जुड़ी कई रोचक कथाएं मिलती हैं। इन कथाओं को जानना और समझना शिव भक्ति को और गहरा बनाता है।<&sol;p>&NewLine;&NewLine;&NewLine;&NewLine;<h3 class&equals;"wp-block-heading" id&equals;"h-1-सम-द-र-म-थन-और-न-लक-ठ">1&period; समुद्र मंथन और नीलकंठ<&sol;h3>&NewLine;&NewLine;&NewLine;&NewLine;<p>देवताओं और असुरों द्वारा समुद्र मंथन के दौरान निकले विष को शिव ने अपने कंठ में धारण कर लिया&comma; जिससे उनका कंठ नीला हो गया और वे &&num;8216&semi;नीलकंठ&&num;8217&semi; कहलाए।<&sol;p>&NewLine;&NewLine;&NewLine;&NewLine;<h3 class&equals;"wp-block-heading" id&equals;"h-2-ग-ग-वतरण">2&period; गंगावतरण<&sol;h3>&NewLine;&NewLine;&NewLine;&NewLine;<p>भगीरथ की तपस्या से प्रसन्न होकर गंगा स्वर्ग से पृथ्वी पर उतरीं। उनके वेग को धारण करने के लिए शिव ने उन्हें अपनी जटाओं में समाहित किया।<&sol;p>&NewLine;&NewLine;&NewLine;&NewLine;<h3 class&equals;"wp-block-heading" id&equals;"h-3-श-व-और-सत">3&period; शिव और सती<&sol;h3>&NewLine;&NewLine;&NewLine;&NewLine;<p>शिव की पहली पत्नी सती ने अपने पिता दक्ष के यज्ञ में अपने प्राण त्याग दिए। इससे व्यथित शिव ने तांडव नृत्य किया और यज्ञ का विनाश कर दिया।<&sol;p>&NewLine;&NewLine;&NewLine;&NewLine;<h3 class&equals;"wp-block-heading" id&equals;"h-4-अर-धन-र-श-वर">4&period; अर्धनारीश्वर<&sol;h3>&NewLine;&NewLine;&NewLine;&NewLine;<p>शिव ने अपनी अर्धांगिनी पार्वती के साथ एकाकार होकर अर्धनारीश्वर रूप धारण किया&comma; जो पुरुष और स्त्री के बीच<&sol;p>&NewLine;&NewLine;&NewLine;&NewLine;<div class&equals;"wp-block-buttons is-content-justification-space-between is-layout-flex wp-container-core-buttons-is-layout-3d213aab wp-block-buttons-is-layout-flex">&NewLine;<div class&equals;"wp-block-button"><a class&equals;"wp-block-button&lowbar;&lowbar;link wp-element-button" href&equals;"https&colon;&sol;&sol;sanatanroots&period;com&sol;what-radha-and-krishna-marriage&sol;">Previous<&sol;a><&sol;div>&NewLine;&NewLine;&NewLine;&NewLine;<div class&equals;"wp-block-button"><a class&equals;"wp-block-button&lowbar;&lowbar;link wp-element-button">Next<&sol;a><&sol;div>&NewLine;<&sol;div>&NewLine;

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