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Shivratri – मासिक शिवरात्रि – हर महीने की वह रात जब शिव स्वयं निकट होते हैं

Masik Shivratri

&NewLine;<p>Shivratri &&num;8211&semi; भारत भूमि में भगवान शिव की उपासना जितनी प्राचीन है&comma; उतनी ही गूढ़ भी। शिव न केवल देवों के देव महादेव हैं&comma; बल्कि वह <em>अनंत चेतना<&sol;em> हैं — जो सृष्टि के हर कण में व्याप्त हैं।<br>इसी शिव-तत्व को स्मरण करने&comma; अपने भीतर के अंधकार को प्रकाश में बदलने&comma; और आत्मा को शुद्ध करने का अवसर हमें हर महीने मिलता है — <strong>मासिक शिवरात्रि<&sol;strong> के रूप में।<&sol;p>&NewLine;&NewLine;&NewLine;&NewLine;<hr class&equals;"wp-block-separator has-alpha-channel-opacity"&sol;>&NewLine;&NewLine;&NewLine;&NewLine;<h3 class&equals;"wp-block-heading"><strong>मासिक शिवरात्रि &lpar;Masik Shivratri&rpar; क्या है&quest;<&sol;strong><&sol;h3>&NewLine;&NewLine;&NewLine;&NewLine;<p>मासिक शिवरात्रि का अर्थ है – &OpenCurlyDoubleQuote;हर मास में आने वाली शिव की रात।”<br>यह दिन <strong>कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी तिथि<&sol;strong> को पड़ता है&comma; अर्थात जब चंद्रमा घटते हुए अपने अंतिम चरण में होता है। इस तिथि को प्रकृति की ऊर्जा भीतर की ओर मुड़ती है&comma; और ध्यान&comma; व्रत&comma; साधना के लिए यह सबसे अनुकूल समय माना जाता है।<&sol;p>&NewLine;&NewLine;&NewLine;&NewLine;<p>महा शिवरात्रि तो वर्ष में एक बार आती है&comma; परंतु मासिक शिवरात्रि हमें याद दिलाती है कि भक्ति का अर्थ केवल वार्षिक पर्व नहीं&comma; बल्कि <em>निरंतर साधना<&sol;em> है।<&sol;p>&NewLine;&NewLine;&NewLine;&NewLine;<hr class&equals;"wp-block-separator has-alpha-channel-opacity"&sol;>&NewLine;&NewLine;&NewLine;&NewLine;<h3 class&equals;"wp-block-heading"><strong>मासिक शिवरात्रि का आध्यात्मिक अर्थ<&sol;strong><&sol;h3>&NewLine;&NewLine;&NewLine;&NewLine;<p>यह रात केवल पूजा का समय नहीं&comma; बल्कि अपने भीतर झाँकने का अवसर है।<br>शिव स्वयं &OpenCurlyQuote;आदियोगी’ हैं — ध्यान के प्रथम गुरु।<br>जब हम मासिक शिवरात्रि के दिन उपवास करते हैं&comma; संयम रखते हैं&comma; और &OpenCurlyDoubleQuote;ॐ नमः शिवाय” का जप करते हैं&comma; तो हम अपने भीतर के विकारों से ऊपर उठते हैं।<&sol;p>&NewLine;&NewLine;&NewLine;&NewLine;<p>यह रात हमें सिखाती है&colon;<&sol;p>&NewLine;&NewLine;&NewLine;&NewLine;<ul class&equals;"wp-block-list">&NewLine;<li>मौन में शक्ति है।<&sol;li>&NewLine;&NewLine;&NewLine;&NewLine;<li>ध्यान में मुक्ति है।<&sol;li>&NewLine;&NewLine;&NewLine;&NewLine;<li>और भक्ति में अनंतता है।<&sol;li>&NewLine;<&sol;ul>&NewLine;&NewLine;&NewLine;&NewLine;<p>शिव कोई बाहरी देवता नहीं — वह हमारे भीतर की जागृति हैं।<br>जब हम अपने अहंकार&comma; क्रोध&comma; वासना&comma; और भय को त्याग देते हैं&comma; तब हम &OpenCurlyDoubleQuote;शिव” के निकट पहुँचते हैं।<&sol;p>&NewLine;&NewLine;&NewLine;&NewLine;<hr class&equals;"wp-block-separator has-alpha-channel-opacity"&sol;>&NewLine;&NewLine;&NewLine;&NewLine;<h3 class&equals;"wp-block-heading"><strong>मासिक शिवरात्रि का व्रत – शुद्धि और संयम का प्रतीक<&sol;strong><&sol;h3>&NewLine;&NewLine;&NewLine;&NewLine;<p>मासिक शिवरात्रि के दिन श्रद्धालु प्रातः स्नान कर&comma; पवित्र वस्त्र धारण करते हैं और उपवास का संकल्प लेते हैं।<br>दिनभर फलाहार या निर्जल व्रत रखा जाता है।<br>संध्या के समय शिवलिंग की पूजा आरंभ होती है&comma; जिसमें जल&comma; दूध&comma; दही&comma; शहद&comma; घी&comma; और बेलपत्र अर्पित किए जाते हैं।<&sol;p>&NewLine;&NewLine;&NewLine;&NewLine;<p>रात में &OpenCurlyDoubleQuote;निशीथ काल” — अर्थात मध्यरात्रि के समय — भगवान शिव का विशेष <em>अभिषेक<&sol;em> किया जाता है।<br>उस समय वातावरण शांत होता है&comma; मन स्थिर होता है&comma; और मंत्रों की ध्वनि में आत्मा गूंज उठती है।<&sol;p>&NewLine;&NewLine;&NewLine;&NewLine;<p>पूजा के बाद भक्तगण भजन&comma; ध्यान और जागरण में रात्रि बिताते हैं।<br>यह जागरण केवल शरीर से जागने का नहीं&comma; बल्कि <strong>आत्मा को जगाने का<&sol;strong> प्रतीक है।<&sol;p>&NewLine;&NewLine;&NewLine;&NewLine;<hr class&equals;"wp-block-separator has-alpha-channel-opacity"&sol;>&NewLine;&NewLine;&NewLine;&NewLine;<h3 class&equals;"wp-block-heading">🪔 <strong>मासिक <a href&equals;"https&colon;&sol;&sol;sanatanroots&period;com&sol;wp-content&sol;uploads&sol;2024&sol;07&sol;maha-shivratri-2024-dreaming-about-lord-shiva1-1709091027&period;jpg" data-type&equals;"attachment" data-id&equals;"2102">शिवरात्रि<&sol;a> का महत्व – भक्ति का अनुशासन<&sol;strong><&sol;h3>&NewLine;&NewLine;&NewLine;&NewLine;<p>हमारा जीवन गति और व्यस्तता से भरा है।<br>हम अक्सर काम&comma; परिवार और जिम्मेदारियों में इतने डूब जाते हैं कि आत्मा की आवाज सुनना भूल जाते हैं।<br>मासिक शिवरात्रि हमें रोकती है — कहती है&comma;<br><em>&OpenCurlyDoubleQuote;थोड़ा ठहरो&comma; भीतर देखो&comma; तुम कहाँ जा रहे हो&quest;”<&sol;em><&sol;p>&NewLine;&NewLine;&NewLine;&NewLine;<p>इस व्रत का नियमित पालन जीवन में अद्भुत परिवर्तन लाता है&colon;<&sol;p>&NewLine;&NewLine;&NewLine;&NewLine;<ul class&equals;"wp-block-list">&NewLine;<li>मन शांत और स्थिर होता है।<&sol;li>&NewLine;&NewLine;&NewLine;&NewLine;<li>क्रोध&comma; चिंता और बेचैनी कम होती है।<&sol;li>&NewLine;&NewLine;&NewLine;&NewLine;<li>आत्म-विश्वास और ध्यान की शक्ति बढ़ती है।<&sol;li>&NewLine;&NewLine;&NewLine;&NewLine;<li>परिवार और समाज के प्रति दृष्टिकोण अधिक प्रेमपूर्ण बनता है।<&sol;li>&NewLine;<&sol;ul>&NewLine;&NewLine;&NewLine;&NewLine;<p>जो व्यक्ति हर माह शिवरात्रि का पालन करता है&comma; उसका जीवन अनुशासित और पवित्र बनता जाता है।<&sol;p>&NewLine;&NewLine;&NewLine;&NewLine;<hr class&equals;"wp-block-separator has-alpha-channel-opacity"&sol;>&NewLine;&NewLine;&NewLine;&NewLine;<h3 class&equals;"wp-block-heading">🔱 <strong>क्यों करते हैं जागरण&quest;<&sol;strong><&sol;h3>&NewLine;&NewLine;&NewLine;&NewLine;<p>जागरण का अर्थ केवल रातभर न सोना नहीं है।<br>शिवरात्रि का जागरण <em>अज्ञान की नींद से जागने का प्रतीक<&sol;em> है।<br>जब हम पूरी रात भगवान शिव के नाम का जप करते हैं&comma; तब हमारी चेतना धीरे-धीरे ऊँचाई पर पहुँचती है।<br>यह वह रात होती है जब आत्मा परमात्मा से संवाद करती है — बिना शब्दों के&comma; केवल मौन में।<&sol;p>&NewLine;&NewLine;&NewLine;&NewLine;<hr class&equals;"wp-block-separator has-alpha-channel-opacity"&sol;>&NewLine;&NewLine;&NewLine;&NewLine;<h3 class&equals;"wp-block-heading">🌼 <strong>घर में पूजा कैसे करें&quest;<&sol;strong><&sol;h3>&NewLine;&NewLine;&NewLine;&NewLine;<p>आप चाहे किसी मंदिर में जाएँ या घर पर ही पूजा करें&comma; भावना सबसे महत्वपूर्ण है।<br>घर में पूजा करने के लिए&colon;<&sol;p>&NewLine;&NewLine;&NewLine;&NewLine;<ol class&equals;"wp-block-list">&NewLine;<li>एक स्वच्छ स्थान पर शिवलिंग या शिवजी की तस्वीर स्थापित करें।<&sol;li>&NewLine;&NewLine;&NewLine;&NewLine;<li>दीप जलाएँ और जल&comma; दूध या गंगाजल से अभिषेक करें।<&sol;li>&NewLine;&NewLine;&NewLine;&NewLine;<li>बेलपत्र&comma; आक&comma; धतूरा या सफेद फूल अर्पित करें।<&sol;li>&NewLine;&NewLine;&NewLine;&NewLine;<li>&&num;8220&semi;ॐ नमः शिवाय&&num;8221&semi; का 108 बार जप करें।<&sol;li>&NewLine;&NewLine;&NewLine;&NewLine;<li>रात्रि के दौरान शिव भजन सुनें या ध्यान करें।<&sol;li>&NewLine;&NewLine;&NewLine;&NewLine;<li>अगले दिन सूर्योदय के बाद व्रत का पारण करें और गरीबों को भोजन या दान दें।<&sol;li>&NewLine;<&sol;ol>&NewLine;&NewLine;&NewLine;&NewLine;<hr class&equals;"wp-block-separator has-alpha-channel-opacity"&sol;>&NewLine;&NewLine;&NewLine;&NewLine;<h3 class&equals;"wp-block-heading">🌺 <strong>मासिक शिवरात्रि – गृहस्थ जीवन में संतुलन का संदेश<&sol;strong><&sol;h3>&NewLine;&NewLine;&NewLine;&NewLine;<p>भगवान शिव स्वयं <em>गृहस्थ योगी<&sol;em> हैं — जो ध्यान में भी हैं और परिवार के साथ भी।<br>उनका जीवन हमें सिखाता है कि आध्यात्मिकता और संसार एक-दूसरे के विरोधी नहीं&comma; बल्कि संतुलन के दो पक्ष हैं।<br>मासिक शिवरात्रि इस संतुलन का अभ्यास कराती है —<br>कर्म में रहकर भी भक्ति को न खोना&comma;<br>परिवार में रहकर भी आत्मा को न भूलना।<&sol;p>&NewLine;&NewLine;&NewLine;&NewLine;<hr class&equals;"wp-block-separator has-alpha-channel-opacity"&sol;>&NewLine;&NewLine;&NewLine;&NewLine;<h3 class&equals;"wp-block-heading">💫 <strong>मासिक शिवरात्रि का मनोवैज्ञानिक और ऊर्जा दृष्टिकोण<&sol;strong><&sol;h3>&NewLine;&NewLine;&NewLine;&NewLine;<p>वैज्ञानिक दृष्टि से देखें तो चतुर्दशी की रात को पृथ्वी और चंद्रमा की ऊर्जा विशेष स्थिति में होती है।<br>इस समय शरीर की ऊर्जा ऊपर की ओर प्रवाहित होती है।<br>इसलिए ध्यान और योग की साधना इस दिन सबसे फलदायी मानी जाती है।<br>यदि आप इस दिन 10 मिनट भी शांत बैठकर &OpenCurlyDoubleQuote;शिव” का ध्यान करें&comma; तो मन की बेचैनी मिट सकती है।<&sol;p>&NewLine;&NewLine;&NewLine;&NewLine;<hr class&equals;"wp-block-separator has-alpha-channel-opacity"&sol;>&NewLine;&NewLine;&NewLine;&NewLine;<h3 class&equals;"wp-block-heading">🌕 <strong>हर महीने की याद – निरंतर भक्ति का संकल्प<&sol;strong><&sol;h3>&NewLine;&NewLine;&NewLine;&NewLine;<p>मासिक शिवरात्रि हमें सिखाती है कि भक्ति कोई एक दिन का कार्य नहीं — यह जीवन का निरंतर प्रवाह है।<br>हर महीने आने वाली यह रात हमें बार-बार याद दिलाती है कि शिव हमारे भीतर हैं&comma; और उन्हें पाने के लिए बाहर जाने की नहीं&comma; भीतर उतरने की आवश्यकता है।<&sol;p>&NewLine;&NewLine;&NewLine;&NewLine;<hr class&equals;"wp-block-separator has-alpha-channel-opacity"&sol;>&NewLine;&NewLine;&NewLine;&NewLine;<h3 class&equals;"wp-block-heading">🙏 <strong>समापन&colon; शिव ही शून्य हैं&comma; शिव ही सम्पूर्ण हैं<&sol;strong><&sol;h3>&NewLine;&NewLine;&NewLine;&NewLine;<p>मासिक शिवरात्रि का मूल संदेश यही है — <em>शिव सबमें हैं।<&sol;em><br>वह सृष्टि के आरंभ हैं&comma; मध्य हैं और अंत भी वही हैं।<br>जब हम इस सत्य को समझ लेते हैं&comma; तब जीवन में शांति स्वतः उतर आती है।<&sol;p>&NewLine;&NewLine;&NewLine;&NewLine;<p>तो इस मासिक शिवरात्रि पर —<br>थोड़ा ठहरिए&comma;<br>गहरी साँस लीजिए&comma;<br>शिव का नाम लीजिए।<br>आप पाएँगे —<br>बाहर का संसार भले बदल न रहा हो&comma;<br>पर भीतर कुछ बहुत सुंदर जाग उठा है।<&sol;p>&NewLine;&NewLine;&NewLine;&NewLine;<p>🕉️ <strong>हर मास&comma; हर क्षण – शिवोऽहम्।<&sol;strong><br><strong>हर हर महादेव&excl; 🔱<&sol;strong><&sol;p>&NewLine;&NewLine;&NewLine;&NewLine;<p><&sol;p>&NewLine;&NewLine;&NewLine;&NewLine;<p><&sol;p>&NewLine;&NewLine;&NewLine;&NewLine;<p>Follow us on <a href&equals;"http&colon;&sol;&sol;x&period;com&sol;sanatanroots1">x&period;com<&sol;a><&sol;p>&NewLine;&NewLine;&NewLine;&NewLine;<p><&sol;p>&NewLine;

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