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शिव और सती की अमर प्रेम कथा

प्रस्तावना

हिंदू पौराणिक कथाओं में शिव और सती की प्रेम कहानी एक अत्यंत महत्वपूर्ण स्थान रखती है। यह कहानी प्यार, त्याग और पुनर्मिलन की एक अद्भुत गाथा है।

सती का जन्म और बचपन

दक्ष की पुत्री

सती का जन्म प्रजापति दक्ष के घर हुआ था। वे बचपन से ही शिव की भक्त थीं।

शिव के प्रति आकर्षण

बचपन से ही सती को शिव के प्रति गहरा लगाव था। उन्होंने शिव को पति के रूप में पाने के लिए कठोर तपस्या की।

शिव और सती का मिलन

सती की कठोर तपस्या

सती ने शिव को पाने के लिए घोर तपस्या आरंभ की। वे दिन-रात शिव के ध्यान में लीन रहतीं। उन्होंने भोजन त्याग दिया और केवल पत्तों और फलों पर जीवन बिताने लगीं। धीरे-धीरे उन्होंने जल भी त्याग दिया और केवल हवा पर जीवित रहने लगीं।

शिव द्वारा वरदान

सती की तपस्या से प्रसन्न होकर शिव ने उन्हें वरदान दिया कि वे उनकी पत्नी बनेंगी।

शिव की स्वीकृति

शिव ने मुस्कुराते हुए कहा, “तथास्तु। तुम्हारी भक्ति और समर्पण ने मुझे गहराई से छुआ है। मैं तुम्हें वचन देता हूं कि मैं तुम्हारा पति बनूंगा।”

विवाह समारोह

शिव और सती का विवाह बड़े ही धूमधाम से संपन्न हुआ। सभी देवताओं ने इस विवाह में भाग लिया।

शिव के वचन के बाद, स्वर्ग और पृथ्वी दोनों पर विवाह की तैयारियां शुरू हो गईं। देवताओं ने स्वर्ग को सजाया, जबकि पृथ्वी पर दक्ष ने अपने महल को दुल्हन के स्वागत के लिए तैयार किया।

नए जीवन की शुरुआत

विवाह के बाद शिव सती को अपने निवास कैलाश पर्वत ले गए। वहां दोनों ने एक नए जीवन की शुरुआत की, जो प्रेम और समर्पण से भरा था। सती ने शिव की सेवा में अपना जीवन समर्पित कर दिया, जबकि शिव ने उन्हें अपनी शक्ति का स्रोत माना।

दक्ष का अपमान और सती का त्याग

दक्ष द्वारा शिव का अपमान

दक्ष ने एक बड़े यज्ञ का आयोजन किया जिसमें उन्होंने शिव को आमंत्रित नहीं किया।

सती का प्रतिरोध

सती ने अपने पिता के इस व्यवहार का विरोध किया और बिना आमंत्रण के ही यज्ञ में पहुंच गईं।

सती का आत्मदाह

अपने पिता द्वारा शिव के अपमान को सहन न कर पाने के कारण सती ने यज्ञ की अग्नि में प्रवेश कर आत्मदाह कर लिया।

शिव का विलाप और प्रतिशोध

तांडव नृत्य

सती की मृत्यु से व्यथित शिव ने तांडव नृत्य किया, जिससे सृष्टि के विनाश का खतरा उत्पन्न हो गया।

दक्ष का वध

क्रोधित शिव ने दक्ष का वध कर दिया और उनके यज्ञ को नष्ट कर दिया।

सती का पुनर्जन्म और पुनर्मिलन

पार्वती के रूप में पुनर्जन्म

सती का पुनर्जन्म हिमालय की पुत्री पार्वती के रूप में हुआ।

शिव और पार्वती का मिलन

कठोर तपस्या के बाद पार्वती ने शिव को पति के रूप में प्राप्त किया और दोनों का पुनर्मिलन हुआ।

निष्कर्ष

शिव और सती की प्रेम कथा हमें सिखाती है कि सच्चा प्यार मृत्यु से भी ऊपर है। यह कहानी त्याग, समर्पण और अटूट विश्वास का प्रतीक है।


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