भगवद गीता: अध्याय 1, श्लोक 2

सञ्जय उवाच।
दृष्ट्वा तु पाण्डवानीकं व्यूढं दुर्योधनस्तदा।
आचार्यमुपसङ्गम्य राजा वचनमब्रवीत् ॥2॥
संजय उवाच-संजय ने कहा; दृष्टा-देखकर; तु-किन्तु; पाण्डव-अनीकम्-पाण्डव सेना; व्यूढं-व्यूह रचना में खड़े होना; दुर्योधनः-राजा दुर्योधन; तदा-तब; आचार्यम्-गुरु, उपसंगम्य-पास जाकर; राजा-राजा; वचनम्-शब्द; अब्रवीत्-कहा।
Hindi translation : संजय ने कहाः हे राजन्! पाण्डवों की सेना की व्यूहरचना का अवलोकन कर राजा दुर्योधन ने अपने गुरु द्रोणाचार्य के पास जाकर इस प्रकार के शब्द कहे।
महाभारत का प्रमुख प्रसंग: कुरुक्षेत्र की रणभूमि पर भीष्म पितामह
युद्ध के लिए प्रस्तुत पाण्डव सेना
भगवान् श्रीकृष्ण ने अर्जुन को कुरुक्षेत्र की रणभूमि पर पाण्डव सेना की व्यूहरचना दिखाई। यह दृश्य देखकर दुर्योधन भी आश्चर्यचकित रह गया और उसने अपने गुरु द्रोणाचार्य से इस विषय में विस्तार से बताने के लिए कहा।
पाण्डव सेना के प्रमुख योद्धा
दुर्योधन ने द्रोणाचार्य से पाण्डव सेना के प्रमुख योद्धाओं के बारे में पूछा। द्रोणाचार्य ने उसे बताया कि पाण्डव सेना में भीम, अर्जुन, नकुल, सहदेव, धृष्टद्युम्न, विराट, द्रुपद, धृष्टकेतु और अन्य महारथी योद्धा शामिल हैं।
| योद्धा का नाम | विशेषता |
|---|---|
| भीम | बलशाली और निडर |
| अर्जुन | महान धनुर्धारी और गांडीव धनुष का स्वामी |
| नकुल और सहदेव | युवा और निपुण योद्धा |
| धृष्टद्युम्न | द्रुपद का पुत्र और युधिष्ठिर का सारथी |
| विराट | मत्स्य देश का राजा |
| द्रुपद | महान योद्धा और पाँचाल देश का राजा |
| धृष्टकेतु | चेदी राज्य का शासक |
पाण्डवों की विशाल सेना
द्रोणाचार्य ने बताया कि पाण्डव सेना में सात अक्षौहिणी सेनाएं शामिल हैं, जिनमें लाखों योद्धा हैं। उन्होंने कहा कि पाण्डव सेना शक्तिशाली और संगठित है, और उनके पास अनेक महारथी योद्धा भी हैं।
युधिष्ठिर का शांतिपूर्ण प्रयास
दुर्योधन ने युधिष्ठिर द्वारा किए गए शांतिपूर्ण प्रयासों का भी उल्लेख किया, लेकिन उसने इन प्रयासों को नकार दिया था। अब युद्ध ही एकमात्र विकल्प बचा था।
युधिष्ठिर का संदेश
युधिष्ठिर ने दुर्योधन को एक संदेश भेजा था कि वह शांति चाहते हैं, लेकिन यदि युद्ध ही अनिवार्य है तो वे युद्ध के लिए भी तैयार हैं।
“हम शांति चाहते हैं, लेकिन यदि युद्ध ही अनिवार्य है तो हम उसके लिए भी तैयार हैं। हमारी सेना में अनेक महान योद्धा हैं और हम अपने अधिकारों की रक्षा करेंगे।” – युधिष्ठिर
यह सुनकर दुर्योधन और भी अधिक क्रोधित हुआ और उसने युद्ध की घोषणा कर दी।
Discover more from Sanatan Roots
Subscribe to get the latest posts sent to your email.




I always was concerned in this topic and still am, thankyou for putting up.