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भगवद गीता: अध्याय 3, श्लोक 38

&NewLine;<pre id&equals;"tw-target-text" class&equals;"wp-block-preformatted"><strong>धूमेनावियते वह्निर्यथादर्शो मलेन च ।<br>यथोल्बेनावृतो गर्भस्तथा तेनेदमावृतम् ॥38॥<br><&sol;strong><br>धूमेन-धुंए से&semi; आवियते-आच्छादित हो जाती है&semi; वहिन&colon;-अग्नि&semi; यथा—जिस प्रकार&semi; आदर्श&colon;-दर्पण&semi; मलेन-धूल से&semi; च-भी&semi; यथा जिस प्रकार&semi; उल्न–गर्भाशय द्वारा&semi; आवृतः-ढका रहता है। गर्भ&colon;-भ्रूण&comma; तथा उसी प्रकार&semi; तेन–काम से&semi; इदम् यह&semi; आवृतम्-आवरण है।<br><br><strong>Hindi translation&colon;<&sol;strong> जैसे अग्नि धुएँ से ढकी रहती है&comma; दर्पण धूल से आवृत रहता है तथा भ्रूण गर्भाशय से अप्रकट रहता है&comma; उसी प्रकार से कामनाओं के कारण मनुष्य के ज्ञान पर आवरण पड़ा रहता है।<&sol;pre>&NewLine;&NewLine;&NewLine;&NewLine;<h1 class&equals;"wp-block-heading" id&equals;"h-व-व-क-और-क-मन-ज-वन-क-एक-गहन-समझ">विवेक और कामना&colon; जीवन की एक गहन समझ<&sol;h1>&NewLine;&NewLine;&NewLine;&NewLine;<p>मनुष्य के जीवन में विवेक और कामना का महत्वपूर्ण स्थान है। इस लेख में हम इन दोनों तत्वों के बीच संतुलन की आवश्यकता पर प्रकाश डालेंगे और यह समझने का प्रयास करेंगे कि कैसे हमारी कामनाएँ हमारे विवेक को प्रभावित करती हैं।<&sol;p>&NewLine;&NewLine;&NewLine;&NewLine;<h2 class&equals;"wp-block-heading" id&equals;"h-व-व-क-क-महत-व">विवेक का महत्व<&sol;h2>&NewLine;&NewLine;&NewLine;&NewLine;<p>विवेक वह शक्ति है जो हमें सही और गलत के बीच अंतर करना सिखाती है। यह हमारी बुद्धि का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है जो हमें जीवन के विभिन्न परिस्थितियों में उचित निर्णय लेने में मदद करता है।<&sol;p>&NewLine;&NewLine;&NewLine;&NewLine;<h3 class&equals;"wp-block-heading" id&equals;"h-व-व-क-क-पर-भ-ष">विवेक की परिभाषा<&sol;h3>&NewLine;&NewLine;&NewLine;&NewLine;<p>विवेक को इस प्रकार परिभाषित किया जा सकता है&colon;<&sol;p>&NewLine;&NewLine;&NewLine;&NewLine;<ol class&equals;"wp-block-list">&NewLine;<li>उचित और अनुचित के बीच भेद करने की क्षमता<&sol;li>&NewLine;&NewLine;&NewLine;&NewLine;<li>नैतिक मूल्यों पर आधारित निर्णय लेने की योग्यता<&sol;li>&NewLine;&NewLine;&NewLine;&NewLine;<li>परिस्थितियों का सही मूल्यांकन करने की शक्ति<&sol;li>&NewLine;<&sol;ol>&NewLine;&NewLine;&NewLine;&NewLine;<h3 class&equals;"wp-block-heading" id&equals;"h-क-मन-क-स-वर-प">कामना का स्वरूप<&sol;h3>&NewLine;&NewLine;&NewLine;&NewLine;<p>कामना मनुष्य की एक स्वाभाविक प्रवृत्ति है। यह वह शक्ति है जो हमें आगे बढ़ने और कुछ प्राप्त करने के लिए प्रेरित करती है। हालाँकि&comma; अनियंत्रित कामना विवेक को आच्छादित कर सकती है।<&sol;p>&NewLine;&NewLine;&NewLine;&NewLine;<h3 class&equals;"wp-block-heading" id&equals;"h-क-मन-क-प-रक-र">कामना के प्रकार<&sol;h3>&NewLine;&NewLine;&NewLine;&NewLine;<p>श्रीकृष्ण ने कामना के तीन प्रकारों का वर्णन किया है&colon;<&sol;p>&NewLine;&NewLine;&NewLine;&NewLine;<figure class&equals;"wp-block-table"><table class&equals;"has-fixed-layout"><thead><tr><th>प्रकार<&sol;th><th>विशेषताएँ<&sol;th><th>प्रभाव<&sol;th><&sol;tr><&sol;thead><tbody><tr><td>सात्विक<&sol;td><td>शुद्ध और उच्च लक्ष्य<&sol;td><td>आंशिक अंधकार<&sol;td><&sol;tr><tr><td>राजसिक<&sol;td><td>भौतिक सुख की इच्छा<&sol;td><td>अर्ध-अपारदर्शिता<&sol;td><&sol;tr><tr><td>तामसिक<&sol;td><td>निम्न स्तर की वासनाएँ<&sol;td><td>पूर्ण धुंधलापन<&sol;td><&sol;tr><&sol;tbody><&sol;table><&sol;figure>&NewLine;&NewLine;&NewLine;&NewLine;<h3 class&equals;"wp-block-heading" id&equals;"h-व-व-क-पर-क-मन-क-प-रभ-व">विवेक पर कामना का प्रभाव<&sol;h3>&NewLine;&NewLine;&NewLine;&NewLine;<p>श्रीकृष्ण ने तीन उदाहरणों के माध्यम से यह समझाया है कि कैसे कामना विवेक को प्रभावित करती है&colon;<&sol;p>&NewLine;&NewLine;&NewLine;&NewLine;<ol class&equals;"wp-block-list">&NewLine;<li><strong>अग्नि और धुआँ<&sol;strong>&colon; जैसे धुआँ अग्नि को ढक लेता है&comma; वैसे ही सात्विक कामनाएँ विवेक पर हल्का आवरण डालती हैं।<&sol;li>&NewLine;&NewLine;&NewLine;&NewLine;<li><strong>दर्पण और धूल<&sol;strong>&colon; जैसे धूल दर्पण को धुंधला कर देती है&comma; वैसे ही राजसिक कामनाएँ विवेक को अस्पष्ट कर देती हैं।<&sol;li>&NewLine;&NewLine;&NewLine;&NewLine;<li><strong>भ्रूण और गर्भाशय<&sol;strong>&colon; जैसे गर्भाशय भ्रूण को पूरी तरह से ढक लेता है&comma; वैसे ही तामसिक कामनाएँ विवेक को पूरी तरह से आच्छादित कर देती हैं।<&sol;li>&NewLine;<&sol;ol>&NewLine;&NewLine;&NewLine;&NewLine;<h3 class&equals;"wp-block-heading" id&equals;"h-एक-व-लक-षण-कथ-ज-वन-क-व-स-तव-कत">एक विलक्षण कथा&colon; जीवन की वास्तविकता<&sol;h3>&NewLine;&NewLine;&NewLine;&NewLine;<p>इस विषय को और अधिक स्पष्ट करने के लिए&comma; एक रोचक कथा का उल्लेख किया गया है। यह कथा हमारे जीवन की वास्तविकता को दर्शाती है और बताती है कि कैसे हम अपने विवेक को खो देते हैं।<&sol;p>&NewLine;&NewLine;&NewLine;&NewLine;<h3 class&equals;"wp-block-heading" id&equals;"h-कथ-क-स-र-श">कथा का सारांश<&sol;h3>&NewLine;&NewLine;&NewLine;&NewLine;<p>एक व्यक्ति जंगल में भटक जाता है और खतरनाक परिस्थितियों में फँस जाता है। वह जंगली जानवरों&comma; डायन&comma; और अन्य खतरों से घिर जाता है। अंत में वह एक गड्ढे के ऊपर लटक जाता है&comma; जहाँ नीचे एक सर्प उसकी प्रतीक्षा कर रहा है। इतने खतरों के बावजूद&comma; वह कुछ मधु की बूँदों का आनंद लेता है और अपने चारों ओर के खतरों को भूल जाता है।<&sol;p>&NewLine;&NewLine;&NewLine;&NewLine;<h3 class&equals;"wp-block-heading" id&equals;"h-कथ-क-अर-थ">कथा का अर्थ<&sol;h3>&NewLine;&NewLine;&NewLine;&NewLine;<p>इस कथा के माध्यम से निम्नलिखित बिंदुओं को समझाया गया है&colon;<&sol;p>&NewLine;&NewLine;&NewLine;&NewLine;<ol class&equals;"wp-block-list">&NewLine;<li><strong>जंगल<&sol;strong>&colon; यह हमारा संसार है&comma; जो खतरों से भरा है।<&sol;li>&NewLine;&NewLine;&NewLine;&NewLine;<li><strong>जंगली जानवर<&sol;strong>&colon; ये हमारे जीवन में आने वाले रोग हैं।<&sol;li>&NewLine;&NewLine;&NewLine;&NewLine;<li><strong>डायन<&sol;strong>&colon; यह वृद्धावस्था का प्रतीक है।<&sol;li>&NewLine;&NewLine;&NewLine;&NewLine;<li><strong>सर्प<&sol;strong>&colon; यह मृत्यु का प्रतीक है।<&sol;li>&NewLine;&NewLine;&NewLine;&NewLine;<li><strong>सफेद और काले चूहे<&sol;strong>&colon; ये दिन और रात हैं&comma; जो हमारे जीवन को कम करते जाते हैं।<&sol;li>&NewLine;&NewLine;&NewLine;&NewLine;<li><strong>ततैये<&sol;strong>&colon; ये हमारी असीम कामनाएँ हैं।<&sol;li>&NewLine;&NewLine;&NewLine;&NewLine;<li><strong>मधु<&sol;strong>&colon; यह इंद्रिय सुखों का प्रतीक है।<&sol;li>&NewLine;<&sol;ol>&NewLine;&NewLine;&NewLine;&NewLine;<h2 class&equals;"wp-block-heading" id&equals;"h-न-ष-कर-ष">निष्कर्ष<&sol;h2>&NewLine;&NewLine;&NewLine;&NewLine;<p>यह कथा हमें सिखाती है कि हम अक्सर अपने जीवन की वास्तविकता को नजरअंदाज कर देते हैं और क्षणिक सुखों में लिप्त हो जाते हैं। हमारी कामनाएँ हमारे विवेक को इस तरह से आच्छादित कर देती हैं कि हम अपनी वास्तविक स्थिति को समझ नहीं पाते।<&sol;p>&NewLine;&NewLine;&NewLine;&NewLine;<p>अंत में&comma; यह समझना महत्वपूर्ण है कि हमें अपने विवेक और कामनाओं के बीच एक संतुलन बनाना चाहिए। हमें अपनी कामनाओं पर नियंत्रण रखना चाहिए ताकि वे हमारे विवेक को धुंधला न कर सकें। केवल तभी हम जीवन की सच्चाई को समझ सकते हैं और सही मार्ग पर चल सकते हैं।<&sol;p>&NewLine;&NewLine;&NewLine;&NewLine;<p>इस प्रकार&comma; श्रीकृष्ण के उपदेश हमें एक महत्वपूर्ण जीवन पाठ सिखाते हैं &&num;8211&semi; अपने विवेक को जागृत रखें और कामनाओं के जाल में न फँसें। यही मनुष्य जीवन की सफलता का मार्ग है।<&sol;p>&NewLine;&NewLine;&NewLine;&NewLine;<div class&equals;"wp-block-buttons is-content-justification-space-between is-layout-flex wp-container-core-buttons-is-layout-3d213aab wp-block-buttons-is-layout-flex">&NewLine;<div class&equals;"wp-block-button"><a class&equals;"wp-block-button&lowbar;&lowbar;link wp-element-button" href&equals;"https&colon;&sol;&sol;sanatanroots&period;com&sol;bhagavad-gita-chapter-3-verse-37&sol;">Previous<&sol;a><&sol;div>&NewLine;&NewLine;&NewLine;&NewLine;<div class&equals;"wp-block-button"><a class&equals;"wp-block-button&lowbar;&lowbar;link wp-element-button" href&equals;"https&colon;&sol;&sol;sanatanroots&period;com&sol;bhagavad-gita-chapter-3-verse-39&sol;">Next<&sol;a><&sol;div>&NewLine;<&sol;div>&NewLine;

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