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भगवद गीता: अध्याय 3, श्लोक 39

&NewLine;<pre id&equals;"tw-target-text" class&equals;"wp-block-preformatted"><strong>आवृतं ज्ञानमेतेन ज्ञानिनो नित्यवैरिणा ।<br>कामरूपेण कौन्तेय दुष्पूरेणानलेन च ॥39॥<br><&sol;strong><br>आवृतम्-आच्छादित होना&semi; ज्ञानम्-ज्ञान&semi; एतेन–इससे&semi; ज्ञानिन–ज्ञानी पुरुष&semi; नित्यवैरिणा-कट्टर शत्रु द्वारा&semi; कामरूपेण-कामना के रूप में&semi; कौन्तेय-कुन्तीपुत्र&comma; अर्जुन&semi; दुष्पूरेण-तुष्ट न होने वाली&semi; अनलेन-अग्नि के समान&semi; च-भी।<br><strong><br>Hindi translation&colon;<&sol;strong> हे कुन्ती पुत्र&excl; इस प्रकार ज्ञानी पुरुष का ज्ञान भी अतृप्त कामना रूपी नित्य शत्रु से आच्छादित रहता है जो कभी संतुष्ट नहीं होता और अग्नि के समान जलता रहता है।<&sol;pre>&NewLine;&NewLine;&NewLine;&NewLine;<h1 class&equals;"wp-block-heading" id&equals;"h-क-म-और-व-सन-आध-य-त-म-क-व-क-स-म-ब-ध">काम और वासना&colon; आध्यात्मिक विकास में बाधा<&sol;h1>&NewLine;&NewLine;&NewLine;&NewLine;<h2 class&equals;"wp-block-heading" id&equals;"h-श-र-क-ष-ण-क-स-द-श-क-म-क-ह-न-क-रक-प-रक-त">श्रीकृष्ण का संदेश&colon; काम की हानिकारक प्रकृति<&sol;h2>&NewLine;&NewLine;&NewLine;&NewLine;<p>श्रीकृष्ण ने गीता में काम या वासना की हानिकारक प्रकृति पर विस्तार से चर्चा की है। उन्होंने इसे मनुष्य के आध्यात्मिक विकास में एक बड़ी बाधा के रूप में वर्णित किया है। आइए इस विषय को गहराई से समझें।<&sol;p>&NewLine;&NewLine;&NewLine;&NewLine;<h3 class&equals;"wp-block-heading" id&equals;"h-क-म-क-अर-थ-और-प-रभ-व">काम का अर्थ और प्रभाव<&sol;h3>&NewLine;&NewLine;&NewLine;&NewLine;<p>काम का शाब्दिक अर्थ है &&num;8216&semi;इच्छा&&num;8217&semi;। यह एक ऐसी शक्ति है जो मनुष्य को निरंतर किसी न किसी वस्तु की प्राप्ति के लिए प्रेरित करती रहती है। श्रीकृष्ण के अनुसार&colon;<&sol;p>&NewLine;&NewLine;&NewLine;&NewLine;<ol class&equals;"wp-block-list">&NewLine;<li>काम दुष्प्रेरणा का स्रोत है<&sol;li>&NewLine;&NewLine;&NewLine;&NewLine;<li>यह अतृप्ति पैदा करता है<&sol;li>&NewLine;&NewLine;&NewLine;&NewLine;<li>इसकी प्रकृति अग्नि के समान है<&sol;li>&NewLine;<&sol;ol>&NewLine;&NewLine;&NewLine;&NewLine;<p>काम की यह तीन विशेषताएँ मिलकर मनुष्य के जीवन में अशांति और दुःख का कारण बनती हैं।<&sol;p>&NewLine;&NewLine;&NewLine;&NewLine;<h3 class&equals;"wp-block-heading" id&equals;"h-ब-द-ध-पर-क-म-क-प-रभ-व">बुद्धि पर काम का प्रभाव<&sol;h3>&NewLine;&NewLine;&NewLine;&NewLine;<p>श्रीकृष्ण बताते हैं कि कामनाएँ बुद्धिमान व्यक्ति के विवेक को भी परास्त कर सकती हैं। यह एक महत्वपूर्ण बिंदु है क्योंकि यह दर्शाता है कि केवल बौद्धिक ज्ञान काम पर विजय पाने के लिए पर्याप्त नहीं है।<&sol;p>&NewLine;&NewLine;&NewLine;&NewLine;<blockquote class&equals;"wp-block-quote is-layout-flow wp-block-quote-is-layout-flow">&NewLine;<p>&&num;8220&semi;काम एक ऐसी शक्ति है जो बुद्धिमान व्यक्ति को भी अपने वश में कर लेती है।&&num;8221&semi;<&sol;p>&NewLine;<&sol;blockquote>&NewLine;&NewLine;&NewLine;&NewLine;<h2 class&equals;"wp-block-heading" id&equals;"h-क-म-क-अत-प-त-प-रक-त">काम की अतृप्त प्रकृति<&sol;h2>&NewLine;&NewLine;&NewLine;&NewLine;<h3 class&equals;"wp-block-heading" id&equals;"h-अग-न-क-सम-न-क-म">अग्नि के समान काम<&sol;h3>&NewLine;&NewLine;&NewLine;&NewLine;<p>श्रीकृष्ण ने काम की तुलना अग्नि से की है। जैसे-जैसे आप अग्नि में ईंधन डालते जाते हैं&comma; वह और अधिक भड़कती जाती है&comma; ठीक उसी प्रकार कामनाओं की तृप्ति का प्रयास उन्हें और अधिक उत्तेजित करता है।<&sol;p>&NewLine;&NewLine;&NewLine;&NewLine;<h3 class&equals;"wp-block-heading" id&equals;"h-मह-त-म-ब-द-ध-क-द-ष-ट-क-ण">महात्मा बुद्ध का दृष्टिकोण<&sol;h3>&NewLine;&NewLine;&NewLine;&NewLine;<p>इस संदर्भ में महात्मा बुद्ध के विचार भी बहुत महत्वपूर्ण हैं। धम्मपद के श्लोक 186 में वे कहते हैं&colon;<&sol;p>&NewLine;&NewLine;&NewLine;&NewLine;<p><strong><em>न कहापणवस्सेन&comma; तित्ति कामेसु विज्जति<&sol;em><&sol;strong><br><strong><em>अप्पस्सादा दुखा कामा&comma; इति विज्ञाय पण्डितो।<&sol;em><&sol;strong><&sol;p>&NewLine;&NewLine;&NewLine;&NewLine;<p>इसका अर्थ है&colon;<&sol;p>&NewLine;&NewLine;&NewLine;&NewLine;<p>&&num;8220&semi;कामनाएँ अशमनीय अग्नि के समान भड़कती हैं जो कभी भी किसी को सुख प्रदान नहीं करतीं। ज्ञानी पुरुष इसे दुख का मूल जानकर इसका परित्याग करते हैं।&&num;8221&semi;<&sol;p>&NewLine;&NewLine;&NewLine;&NewLine;<h2 class&equals;"wp-block-heading" id&equals;"h-क-म-स-म-क-त-क-म-र-ग">काम से मुक्ति का मार्ग<&sol;h2>&NewLine;&NewLine;&NewLine;&NewLine;<h3 class&equals;"wp-block-heading" id&equals;"h-आत-मज-ञ-न-क-महत-व">आत्मज्ञान का महत्व<&sol;h3>&NewLine;&NewLine;&NewLine;&NewLine;<p>काम से मुक्ति पाने के लिए आत्मज्ञान अत्यंत आवश्यक है। जब व्यक्ति अपने वास्तविक स्वरूप को जान लेता है&comma; तो उसे काम की व्यर्थता का बोध होता है।<&sol;p>&NewLine;&NewLine;&NewLine;&NewLine;<h3 class&equals;"wp-block-heading" id&equals;"h-न-य-त-रण-और-स-यम">नियंत्रण और संयम<&sol;h3>&NewLine;&NewLine;&NewLine;&NewLine;<p>काम पर विजय पाने के लिए नियंत्रण और संयम का अभ्यास आवश्यक है। यह एक धीमी लेकिन निश्चित प्रक्रिया है जिसमें धैर्य की आवश्यकता होती है।<&sol;p>&NewLine;&NewLine;&NewLine;&NewLine;<h3 class&equals;"wp-block-heading" id&equals;"h-ध-य-न-और-य-ग-क-अभ-य-स">ध्यान और योग का अभ्यास<&sol;h3>&NewLine;&NewLine;&NewLine;&NewLine;<p>ध्यान और योग के नियमित अभ्यास से मन की शक्ति बढ़ती है&comma; जो काम पर नियंत्रण पाने में सहायक होती है।<&sol;p>&NewLine;&NewLine;&NewLine;&NewLine;<h3 class&equals;"wp-block-heading" id&equals;"h-क-म-क-प-रभ-व-एक-त-लन-त-मक-अध-ययन">काम के प्रभाव&colon; एक तुलनात्मक अध्ययन<&sol;h3>&NewLine;&NewLine;&NewLine;&NewLine;<p>निम्नलिखित तालिका काम के प्रभाव को समझने में मदद करेगी&colon;<&sol;p>&NewLine;&NewLine;&NewLine;&NewLine;<figure class&equals;"wp-block-table"><table class&equals;"has-fixed-layout"><thead><tr><th>क्षेत्र<&sol;th><th>काम का प्रभाव<&sol;th><th>काम पर नियंत्रण का प्रभाव<&sol;th><&sol;tr><&sol;thead><tbody><tr><td>मानसिक स्थिति<&sol;td><td>अशांति और चिंता<&sol;td><td>शांति और संतुष्टि<&sol;td><&sol;tr><tr><td>शारीरिक स्वास्थ्य<&sol;td><td>अनियंत्रित व्यवहार&comma; थकान<&sol;td><td>स्वस्थ जीवनशैली&comma; ऊर्जा में वृद्धि<&sol;td><&sol;tr><tr><td>आध्यात्मिक विकास<&sol;td><td>रुकावट<&sol;td><td>तीव्र प्रगति<&sol;td><&sol;tr><tr><td>संबंध<&sol;td><td>स्वार्थपूर्ण&comma; अस्थिर<&sol;td><td>प्रेममय&comma; स्थिर<&sol;td><&sol;tr><tr><td>कार्य क्षमता<&sol;td><td>कम एकाग्रता&comma; कम उत्पादकता<&sol;td><td>बेहतर एकाग्रता&comma; उच्च उत्पादकता<&sol;td><&sol;tr><&sol;tbody><&sol;table><&sol;figure>&NewLine;&NewLine;&NewLine;&NewLine;<h2 class&equals;"wp-block-heading" id&equals;"h-क-म-पर-व-जय-प-र-च-न-ऋष-य-क-उपद-श">काम पर विजय&colon; प्राचीन ऋषियों के उपदेश<&sol;h2>&NewLine;&NewLine;&NewLine;&NewLine;<h3 class&equals;"wp-block-heading" id&equals;"h-वश-ष-ठ-म-न-क-द-ष-ट-क-ण">वशिष्ठ मुनि का दृष्टिकोण<&sol;h3>&NewLine;&NewLine;&NewLine;&NewLine;<p>वशिष्ठ मुनि ने योगवासिष्ठ में काम पर विजय पाने के लिए विवेक के महत्व पर जोर दिया है। उनके अनुसार&comma; जब मनुष्य अपने विवेक को जागृत करता है&comma; तो वह काम की असारता को समझ लेता है।<&sol;p>&NewLine;&NewLine;&NewLine;&NewLine;<blockquote class&equals;"wp-block-quote is-layout-flow wp-block-quote-is-layout-flow">&NewLine;<p>&&num;8220&semi;विवेक जागृत होने पर काम स्वतः ही क्षीण हो जाता है।&&num;8221&semi; &&num;8211&semi; वशिष्ठ मुनि<&sol;p>&NewLine;<&sol;blockquote>&NewLine;&NewLine;&NewLine;&NewLine;<h3 class&equals;"wp-block-heading" id&equals;"h-पत-जल-क-य-ग-दर-शन">पतंजलि का योग दर्शन<&sol;h3>&NewLine;&NewLine;&NewLine;&NewLine;<p>महर्षि पतंजलि ने अपने योग सूत्रों में काम पर नियंत्रण पाने के लिए अष्टांग योग का मार्ग सुझाया है। यह आठ चरणों का मार्ग है जो व्यक्ति को क्रमशः आत्मसंयम की ओर ले जाता है।<&sol;p>&NewLine;&NewLine;&NewLine;&NewLine;<ol class&equals;"wp-block-list">&NewLine;<li>यम &lpar;नैतिक नियम&rpar;<&sol;li>&NewLine;&NewLine;&NewLine;&NewLine;<li>नियम &lpar;व्यक्तिगत अनुशासन&rpar;<&sol;li>&NewLine;&NewLine;&NewLine;&NewLine;<li>आसन &lpar;शारीरिक मुद्राएँ&rpar;<&sol;li>&NewLine;&NewLine;&NewLine;&NewLine;<li>प्राणायाम &lpar;श्वास नियंत्रण&rpar;<&sol;li>&NewLine;&NewLine;&NewLine;&NewLine;<li>प्रत्याहार &lpar;इंद्रियों का नियंत्रण&rpar;<&sol;li>&NewLine;&NewLine;&NewLine;&NewLine;<li>धारणा &lpar;एकाग्रता&rpar;<&sol;li>&NewLine;&NewLine;&NewLine;&NewLine;<li>ध्यान &lpar;चिंतन&rpar;<&sol;li>&NewLine;&NewLine;&NewLine;&NewLine;<li>समाधि &lpar;परम चेतना की अवस्था&rpar;<&sol;li>&NewLine;<&sol;ol>&NewLine;&NewLine;&NewLine;&NewLine;<h2 class&equals;"wp-block-heading" id&equals;"h-आध-न-क-सम-ज-म-क-म-क-प-रभ-व">आधुनिक समाज में काम का प्रभाव<&sol;h2>&NewLine;&NewLine;&NewLine;&NewLine;<h3 class&equals;"wp-block-heading" id&equals;"h-स-शल-म-ड-य-और-क-म">सोशल मीडिया और काम<&sol;h3>&NewLine;&NewLine;&NewLine;&NewLine;<p>आधुनिक युग में सोशल मीडिया ने काम को एक नया आयाम दिया है। लाइक्स&comma; कमेंट्स और फॉलोअर्स की चाह ने एक नए प्रकार की वासना को जन्म दिया है।<&sol;p>&NewLine;&NewLine;&NewLine;&NewLine;<h3 class&equals;"wp-block-heading" id&equals;"h-उपभ-क-त-व-द-और-क-म">उपभोक्तावाद और काम<&sol;h3>&NewLine;&NewLine;&NewLine;&NewLine;<p>आज का उपभोक्तावादी समाज लगातार नए उत्पादों और अनुभवों की ओर आकर्षित होता है। यह प्रवृत्ति काम को और बढ़ावा देती है।<&sol;p>&NewLine;&NewLine;&NewLine;&NewLine;<h3 class&equals;"wp-block-heading" id&equals;"h-तन-व-और-क-म-क-स-ब-ध">तनाव और काम का संबंध<&sol;h3>&NewLine;&NewLine;&NewLine;&NewLine;<p>आधुनिक जीवन में बढ़ता तनाव अक्सर लोगों को काम की ओर धकेलता है। कई लोग तनाव से मुक्ति पाने के लिए विभिन्न प्रकार की कामनाओं का सहारा लेते हैं।<&sol;p>&NewLine;&NewLine;&NewLine;&NewLine;<h2 class&equals;"wp-block-heading" id&equals;"h-क-म-पर-न-य-त-रण-व-य-वह-र-क-स-झ-व">काम पर नियंत्रण&colon; व्यावहारिक सुझाव<&sol;h2>&NewLine;&NewLine;&NewLine;&NewLine;<h3 class&equals;"wp-block-heading" id&equals;"h-ज-गर-कत-क-व-क-स">जागरूकता का विकास<&sol;h3>&NewLine;&NewLine;&NewLine;&NewLine;<p>अपनी कामनाओं के प्रति जागरूक रहना पहला कदम है। जब आप अपनी इच्छाओं को पहचानना सीख जाते हैं&comma; तो उन पर नियंत्रण पाना आसान हो जाता है।<&sol;p>&NewLine;&NewLine;&NewLine;&NewLine;<h3 class&equals;"wp-block-heading" id&equals;"h-स-त-ल-त-ज-वनश-ल">संतुलित जीवनशैली<&sol;h3>&NewLine;&NewLine;&NewLine;&NewLine;<p>एक संतुलित जीवनशैली अपनाएं जिसमें शारीरिक व्यायाम&comma; स्वस्थ भोजन और पर्याप्त नींद शामिल हो। यह आपके मन को संतुलित रखने में मदद करेगा।<&sol;p>&NewLine;&NewLine;&NewLine;&NewLine;<h3 class&equals;"wp-block-heading" id&equals;"h-ध-य-न-क-अभ-य-स">ध्यान का अभ्यास<&sol;h3>&NewLine;&NewLine;&NewLine;&NewLine;<p>नियमित ध्यान अभ्यास से मन की शक्ति बढ़ती है। यह आपको अपनी कामनाओं पर नियंत्रण पाने में मदद करेगा।<&sol;p>&NewLine;&NewLine;&NewLine;&NewLine;<h3 class&equals;"wp-block-heading" id&equals;"h-सक-र-त-मक-स-गत">सकारात्मक संगति<&sol;h3>&NewLine;&NewLine;&NewLine;&NewLine;<p>ऐसे लोगों के साथ समय बिताएं जो आध्यात्मिक और नैतिक मूल्यों को महत्व देते हैं। अच्छी संगति का प्रभाव आपके विचारों और व्यवहार पर पड़ेगा।<&sol;p>&NewLine;&NewLine;&NewLine;&NewLine;<h3 class&equals;"wp-block-heading" id&equals;"h-स-व-क-भ-व">सेवा का भाव<&sol;h3>&NewLine;&NewLine;&NewLine;&NewLine;<p>दूसरों की निःस्वार्थ सेवा करने से अहंकार कम होता है और काम पर नियंत्रण पाने में मदद मिलती है।<&sol;p>&NewLine;&NewLine;&NewLine;&NewLine;<h2 class&equals;"wp-block-heading" id&equals;"h-न-ष-कर-ष">निष्कर्ष<&sol;h2>&NewLine;&NewLine;&NewLine;&NewLine;<p>काम या वासना मनुष्य के आध्यात्मिक विकास में एक बड़ी बाधा है। श्रीकृष्ण&comma; महात्मा बुद्ध और अन्य महान ऋषियों ने इसके हानिकारक प्रभावों के बारे में चेतावनी दी है। काम की प्रकृति अग्नि के समान है&comma; जो कभी तृप्त नहीं होती।<&sol;p>&NewLine;&NewLine;&NewLine;&NewLine;<p>हालांकि&comma; यह समझना महत्वपूर्ण है कि काम पर पूर्ण नियंत्रण पाना एक धीमी और चुनौतीपूर्ण प्रक्रिया है। इसके लिए धैर्य&comma; दृढ़ संकल्प और निरंतर प्रयास की आवश्यकता होती है। आत्मज्ञान&comma; नियंत्रण&comma; संयम और ध्यान के अभ्यास से इस मार्ग पर प्रगति की जा सकती है।<&sol;p>&NewLine;&NewLine;&NewLine;&NewLine;<p>आधुनिक समाज में काम के नए रूप सामने आए हैं&comma; जैसे सोशल मीडिया की लत और उपभोक्तावाद। इन चुनौतियों का सामना करने के लिए जागरूकता&comma; संतुलित जीवनशैली और सकारात्मक संगति महत्वपूर्ण हैं।<&sol;p>&NewLine;&NewLine;&NewLine;&NewLine;<p>अंत में&comma; यह याद रखना चाहिए कि काम पर विजय पाना एक व्यक्तिगत यात्रा है। प्रत्येक व्यक्ति को अपने जीवन की परिस्थितियों के अनुसार इस चुनौती का सामना करना होता है। लेकिन इस मार्ग पर चलने से न केवल व्यक्तिगत शांति और संतुष्टि मिलती है&comma; बल्कि यह समाज के कल्याण में भी योगदान देता है।<&sol;p>&NewLine;&NewLine;&NewLine;&NewLine;<div class&equals;"wp-block-buttons is-content-justification-space-between is-layout-flex wp-container-core-buttons-is-layout-3d213aab wp-block-buttons-is-layout-flex">&NewLine;<div class&equals;"wp-block-button"><a class&equals;"wp-block-button&lowbar;&lowbar;link wp-element-button" href&equals;"https&colon;&sol;&sol;sanatanroots&period;com&sol;bhagavad-gita-chapter-3-verse-38&sol;">Previous<&sol;a><&sol;div>&NewLine;&NewLine;&NewLine;&NewLine;<div class&equals;"wp-block-button"><a class&equals;"wp-block-button&lowbar;&lowbar;link wp-element-button" href&equals;"https&colon;&sol;&sol;sanatanroots&period;com&sol;bhagavad-gita-chapter-3-verse-40&sol;">Next<&sol;a><&sol;div>&NewLine;<&sol;div>&NewLine;

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