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भगवद गीता: अध्याय 6, श्लोक 29

सर्वभूतस्थमात्मानं सर्वभूतानि चात्मनि ।
ईक्षते योगयुक्तात्मा सर्वत्र समदर्शनः ॥29॥


सर्व-भूत-स्थम्-सभी प्राणियों में स्थित; आत्मानम्-परमात्मा; सर्व-सभी; भूतानि-जीवों को; च–भी; आत्मनि–भगवान में; ईक्षते-देखता है; योग-युक्त-आत्मा अपनी चेतना को भगवान के साथ जोड़ने वाला; सर्वत्र-सभी जगह; सम-दर्शनः-सम दृष्टि।

Hindi translation: सच्चा योगी अपनी चेतना को भगवान के साथ एकीकृत कर समान दृष्टि से सभी जीवों में भगवान और भगवान को सभी जीवों में देखता है।

दीपावली: मिठास और आध्यात्मिकता का त्योहार

भारत के सबसे लोकप्रिय त्योहारों में से एक, दीपावली, केवल रोशनी और खुशियों का त्योहार नहीं है। यह हमारे जीवन में गहरे आध्यात्मिक अर्थ को भी प्रतिबिंबित करता है। आइए इस त्योहार के विभिन्न पहलुओं को समझें और देखें कि कैसे एक सरल मिठाई भी गहन दार्शनिक सिद्धांतों को दर्शा सकती है।

दीपावली की मिठाइयाँ: बाल्यावस्था की यादें

मिठाई की दुकान: एक रंगीन संसार

दीपावली के समय, भारत की गलियाँ रंग-बिरंगी मिठाइयों की दुकानों से सज जाती हैं। ये दुकानें बच्चों के लिए एक जादुई दुनिया जैसी होती हैं, जहाँ हर तरह के आकार और रंग की मिठाइयाँ उन्हें लुभाती हैं।

बच्चों का आकर्षण

ये विभिन्न आकृतियाँ बच्चों को मोहित कर लेती हैं। वे अपने माता-पिता से इन्हें खरीदने की जिद करते हैं, बिना यह जाने कि इनका स्वाद एक जैसा ही होगा।

अभिभावकों की समझ

अभिभावक अपने बच्चों की इस मासूम जिद पर मुस्कुराते हैं। वे जानते हैं कि चाहे आकार अलग-अलग हों, लेकिन सभी मिठाइयाँ एक ही सामग्री से बनी हैं और उनका स्वाद भी एक समान है।

मिठाई से परे: एक गहन दार्शनिक दृष्टिकोण

भगवान की सर्वव्यापकता

जैसे सभी मिठाइयाँ एक ही चीनी से बनी होती हैं, वैसे ही इस ब्रह्मांड में सभी पदार्थों में भगवान की उपस्थिति होती है। वे अपनी विभिन्न शक्तियों के रूप में हर जगह मौजूद रहते हैं।

नारद पंचरात्र का श्लोक

एक देशस्थितस्याअग्निरज्योत्स्ना विस्तारिणी यथा।
परस्य ब्रह्मणः शक्तिस्तथैदखिलं जगत्।।

इस श्लोक का अर्थ है:

“जिस प्रकार सूर्य एक स्थान पर स्थित रहता है और अपना प्रकाश सब जगह फैला देता है उसी प्रकार से भगवान अपनी विभिन्न शक्तियों द्वारा सभी अस्तित्त्वों में व्याप्त रहते हैं और इनका पोषण करते हैं।”

योगी का दृष्टिकोण

एक पूर्ण सिद्ध योगी, जो दिव्य ज्ञान के प्रकाश में देखता है, सभी वस्तुओं को भगवान से जुड़ा हुआ मानता है। उसके लिए, हर एक पदार्थ, चाहे वह जीवित हो या निर्जीव, भगवान की अभिव्यक्ति का एक रूप है।

दीपावली: आध्यात्मिक प्रकाश का त्योहार

दीपों का महत्व

दीपावली के दौरान जलाए जाने वाले दीप केवल घरों को रोशन नहीं करते, बल्कि वे आंतरिक प्रकाश के महत्व को भी दर्शाते हैं।

दीपों का संदेश

  1. अज्ञान पर ज्ञान की विजय
  2. अंधकार पर प्रकाश की जीत
  3. बुराई पर अच्छाई की श्रेष्ठता

आत्म-चिंतन का समय

दीपावली हमें अपने अंदर झाँकने और आत्म-सुधार का अवसर देती है। यह समय है:

दीपावली की परंपराएँ: गहरे अर्थ के साथ

घर की सफाई

दीपावली से पहले घर की सफाई केवल बाहरी स्वच्छता नहीं, बल्कि आंतरिक शुद्धि का भी प्रतीक है।

बाहरी सफाईआंतरिक शुद्धि
धूल हटानानकारात्मक विचारों को दूर करना
कचरा फेंकनाबुरी आदतों को त्यागना
नए रंग-रोगननए विचारों और दृष्टिकोण को अपनाना

लक्ष्मी पूजन

लक्ष्मी देवी केवल धन की देवी नहीं हैं। वे समृद्धि, शांति और सद्भाव की भी प्रतीक हैं।

लक्ष्मी के विभिन्न रूप

  1. धन लक्ष्मी: भौतिक समृद्धि
  2. धान्य लक्ष्मी: अन्न की प्रचुरता
  3. धैर्य लक्ष्मी: धैर्य और साहस
  4. विद्या लक्ष्मी: ज्ञान और बुद्धि

मिठाइयों का आदान-प्रदान

मिठाइयाँ बाँटना केवल एक रीति-रिवाज नहीं है। यह प्रेम, सद्भावना और एकता का प्रतीक है।

निष्कर्ष: एकता में विविधता

दीपावली हमें सिखाती है कि जैसे विभिन्न आकार की मिठाइयाँ एक ही स्वाद देती हैं, वैसे ही इस विविधतापूर्ण संसार में भी एक अंतर्निहित एकता है।

आध्यात्मिक संदेश

  1. सभी में दिव्यता की पहचान
  2. प्रेम और करुणा का विस्तार
  3. विविधता में एकता का अनुभव

दीपावली केवल एक त्योहार नहीं है; यह जीवन जीने का एक तरीका है। यह हमें सिखाती है कि कैसे हम अपने दैनिक जीवन में प्रकाश फैला सकते हैं, दूसरों के जीवन को मिठास से भर सकते हैं, और अपने आस-पास की हर चीज में दिव्यता को देख सकते हैं।

इस दीपावली, आइए हम न केवल अपने घरों को, बल्कि अपने हृदय और मन को भी प्रकाशित करें। आइए हम सभी प्राणियों में एक ही दिव्य शक्ति को पहचानें और इस दुनिया को एक बेहतर स्थान बनाने में अपना योगदान दें।

शुभ दीपावली!

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