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भगवद गीता: अध्याय 6, श्लोक 8

&NewLine;<pre id&equals;"tw-target-text" class&equals;"wp-block-preformatted"><strong>ज्ञानविज्ञानतृप्तात्मा कूटस्थो विजितेन्द्रियः।<br>युक्त इत्युच्यते योगी समलोष्टाश्मकाञ्चनः ॥8॥<br><&sol;strong><br>ज्ञान-ज्ञान&semi; विज्ञान-आंतरिक ज्ञान&semi; तृप्त-आत्मा पूर्णतया संतुष्ट मनुष्य&semi; कूट-स्थ&colon;-अक्षुब्ध&semi; विजित-इन्द्रियः-इन्द्रियों को वश में करने वाला&semi; युक्तः-भगवान से निरन्तर साक्षात्कार करने वाला&semi; इति–इस प्रकार&semi; उच्यते-कहा जाता है&semi; योगी-योगी&semi; सम-समदर्शी&semi; लोष्ट्र-कंकड़&semi; अश्म-पत्थर&semi; काञ्चनः-स्वर्ण&semi;<br><br><strong>Hindi translation&colon;<&sol;strong> वे योगी जो ज्ञान और विवेक से संतुष्ट होते हैं और जो इन्द्रियों पर विजय पा लेते हैं&comma; वे सभी परिस्थितियों में अविचलित रहते हैं। वे धूल&comma; पत्थर और सोने को एक समान देखते हैं।<&sol;pre>&NewLine;&NewLine;&NewLine;&NewLine;<h1 class&equals;"wp-block-heading" id&equals;"h-ज-ञ-न-और-व-ज-ञ-न-क-स-गम-आध-य-त-म-क-उन-नत-क-म-र-ग">ज्ञान और विज्ञान का संगम&colon; आध्यात्मिक उन्नति का मार्ग<&sol;h1>&NewLine;&NewLine;&NewLine;&NewLine;<h2 class&equals;"wp-block-heading" id&equals;"h-प-रस-त-वन">प्रस्तावना<&sol;h2>&NewLine;&NewLine;&NewLine;&NewLine;<p>आज के युग में&comma; जहाँ विज्ञान और तकनीक का बोलबाला है&comma; हम अक्सर अपनी आध्यात्मिक जड़ों से दूर हो जाते हैं। लेकिन क्या आप जानते हैं कि प्राचीन भारतीय दर्शन में ज्ञान और विज्ञान को एक दूसरे का पूरक माना गया है&quest; आइए&comma; इस रहस्यमय संबंध को समझें और देखें कि कैसे यह हमारे जीवन को समृद्ध बना सकता है।<&sol;p>&NewLine;&NewLine;&NewLine;&NewLine;<h2 class&equals;"wp-block-heading" id&equals;"h-ज-ञ-न-ब-हर-ज-ञ-न-क-स-र-त">ज्ञान&colon; बाहरी ज्ञान का स्रोत<&sol;h2>&NewLine;&NewLine;&NewLine;&NewLine;<p>ज्ञान वह है जो हम बाहरी स्रोतों से प्राप्त करते हैं। यह हमारे गुरुओं&comma; धार्मिक ग्रंथों&comma; और जीवन के अनुभवों से मिलता है। ज्ञान के कुछ प्रमुख स्रोत हैं&colon;<&sol;p>&NewLine;&NewLine;&NewLine;&NewLine;<ol class&equals;"wp-block-list">&NewLine;<li>गुरु के वचन<&sol;li>&NewLine;&NewLine;&NewLine;&NewLine;<li>धार्मिक ग्रंथों का अध्ययन<&sol;li>&NewLine;&NewLine;&NewLine;&NewLine;<li>परंपराओं और रीति-रिवाजों का पालन<&sol;li>&NewLine;&NewLine;&NewLine;&NewLine;<li>समाज और परिवार से सीखना<&sol;li>&NewLine;<&sol;ol>&NewLine;&NewLine;&NewLine;&NewLine;<p>ज्ञान हमें सैद्धांतिक समझ प्रदान करता है&comma; जो हमारे जीवन के लिए एक मार्गदर्शक की भूमिका निभाता है।<&sol;p>&NewLine;&NewLine;&NewLine;&NewLine;<h2 class&equals;"wp-block-heading" id&equals;"h-व-ज-ञ-न-आ-तर-क-ज-ञ-न-क-प-रक-श">विज्ञान&colon; आंतरिक ज्ञान का प्रकाश<&sol;h2>&NewLine;&NewLine;&NewLine;&NewLine;<p>विज्ञान&comma; इस संदर्भ में&comma; केवल प्रयोगशाला में किए जाने वाले परीक्षणों तक सीमित नहीं है। यह वह अनुभूति है जो हमारे भीतर से उत्पन्न होती है। विज्ञान के कुछ पहलू हैं&colon;<&sol;p>&NewLine;&NewLine;&NewLine;&NewLine;<ol class&equals;"wp-block-list">&NewLine;<li>आत्म-चिंतन<&sol;li>&NewLine;&NewLine;&NewLine;&NewLine;<li>ध्यान और योग<&sol;li>&NewLine;&NewLine;&NewLine;&NewLine;<li>आंतरिक जागरण<&sol;li>&NewLine;&NewLine;&NewLine;&NewLine;<li>अनुभवजन्य ज्ञान<&sol;li>&NewLine;<&sol;ol>&NewLine;&NewLine;&NewLine;&NewLine;<p>विज्ञान हमें ज्ञान को व्यावहारिक रूप से समझने और अनुभव करने में मदद करता है।<&sol;p>&NewLine;&NewLine;&NewLine;&NewLine;<h2 class&equals;"wp-block-heading" id&equals;"h-ज-ञ-न-और-व-ज-ञ-न-क-समन-वय">ज्ञान और विज्ञान का समन्वय<&sol;h2>&NewLine;&NewLine;&NewLine;&NewLine;<p>उन्नत योगी वह है जो ज्ञान और विज्ञान दोनों में पारंगत होता है। उसकी बुद्धि&colon;<&sol;p>&NewLine;&NewLine;&NewLine;&NewLine;<ul class&equals;"wp-block-list">&NewLine;<li>बाहरी ज्ञान से प्रबुद्ध होती है<&sol;li>&NewLine;&NewLine;&NewLine;&NewLine;<li>आंतरिक अनुभूति से प्रकाशित रहती है<&sol;li>&NewLine;&NewLine;&NewLine;&NewLine;<li>सैद्धांतिक और व्यावहारिक समझ का संगम होती है<&sol;li>&NewLine;<&sol;ul>&NewLine;&NewLine;&NewLine;&NewLine;<p>यह समन्वय योगी को एक अद्वितीय दृष्टिकोण प्रदान करता है&comma; जिससे वह जीवन के हर पहलू को गहराई से समझ सकता है।<&sol;p>&NewLine;&NewLine;&NewLine;&NewLine;<h2 class&equals;"wp-block-heading" id&equals;"h-व-व-कश-ल-य-ग-क-द-ष-ट-क-ण">विवेकशील योगी का दृष्टिकोण<&sol;h2>&NewLine;&NewLine;&NewLine;&NewLine;<p>एक विवेकशील योगी संसार को एक अलग नजरिए से देखता है। उसके लिए&colon;<&sol;p>&NewLine;&NewLine;&NewLine;&NewLine;<ol class&equals;"wp-block-list">&NewLine;<li>सभी भौतिक वस्तुएँ ऊर्जा के विभिन्न रूप हैं<&sol;li>&NewLine;&NewLine;&NewLine;&NewLine;<li>हर चीज का मूल स्रोत एक ही है &&num;8211&semi; भगवान<&sol;li>&NewLine;&NewLine;&NewLine;&NewLine;<li>सांसारिक विषय क्षणिक और परिवर्तनशील हैं<&sol;li>&NewLine;<&sol;ol>&NewLine;&NewLine;&NewLine;&NewLine;<p>यह दृष्टिकोण योगी को मोह और आसक्ति से मुक्त रहने में मदद करता है।<&sol;p>&NewLine;&NewLine;&NewLine;&NewLine;<h2 class&equals;"wp-block-heading" id&equals;"h-भगव-न-क-स-थ-स-ब-ध">भगवान के साथ संबंध<&sol;h2>&NewLine;&NewLine;&NewLine;&NewLine;<p>सिद्ध योगी हर वस्तु में भगवान का अंश देखता है। उसके लिए&colon;<&sol;p>&NewLine;&NewLine;&NewLine;&NewLine;<ul class&equals;"wp-block-list">&NewLine;<li>सभी पदार्थों का संबंध भगवान से है<&sol;li>&NewLine;&NewLine;&NewLine;&NewLine;<li>प्रत्येक वस्तु भगवान की सेवा के लिए है<&sol;li>&NewLine;&NewLine;&NewLine;&NewLine;<li>भौतिक ऊर्जा भी भगवान का ही रूप है<&sol;li>&NewLine;<&sol;ul>&NewLine;&NewLine;&NewLine;&NewLine;<p>यह दृष्टिकोण योगी को सर्वव्यापी ईश्वरीय उपस्थिति का अनुभव कराता है।<&sol;p>&NewLine;&NewLine;&NewLine;&NewLine;<h2 class&equals;"wp-block-heading" id&equals;"h-क-टस-थ-स-थ-र-और-अड-ग">कूटस्थ&colon; स्थिर और अडिग<&sol;h2>&NewLine;&NewLine;&NewLine;&NewLine;<p>कूटस्थ शब्द उन योगियों के लिए प्रयोग किया जाता है जो&colon;<&sol;p>&NewLine;&NewLine;&NewLine;&NewLine;<ol class&equals;"wp-block-list">&NewLine;<li>मन की अस्थिर अवस्थाओं से प्रभावित नहीं होते<&sol;li>&NewLine;&NewLine;&NewLine;&NewLine;<li>इंद्रियों के विषयों से दूर रहते हैं<&sol;li>&NewLine;&NewLine;&NewLine;&NewLine;<li>माया की शक्ति से अप्रभावित रहते हैं<&sol;li>&NewLine;<&sol;ol>&NewLine;&NewLine;&NewLine;&NewLine;<p>कूटस्थ योगी न तो सुख की इच्छा करता है&comma; न ही दुख से बचने की कोशिश करता है। वह हर परिस्थिति में समभाव रखता है।<&sol;p>&NewLine;&NewLine;&NewLine;&NewLine;<h2 class&equals;"wp-block-heading" id&equals;"h-इ-द-र-य-पर-व-जय-व-ज-त-द-र-य">इंद्रियों पर विजय&colon; विजितेंद्रिय<&sol;h2>&NewLine;&NewLine;&NewLine;&NewLine;<p>विजितेंद्रिय वह व्यक्ति है जिसने अपनी इंद्रियों पर नियंत्रण प्राप्त कर लिया है। इसका मतलब है&colon;<&sol;p>&NewLine;&NewLine;&NewLine;&NewLine;<ol class&equals;"wp-block-list">&NewLine;<li>इच्छाओं पर नियंत्रण<&sol;li>&NewLine;&NewLine;&NewLine;&NewLine;<li>भावनाओं का संतुलन<&sol;li>&NewLine;&NewLine;&NewLine;&NewLine;<li>विवेकपूर्ण निर्णय लेने की क्षमता<&sol;li>&NewLine;&NewLine;&NewLine;&NewLine;<li>आत्म-अनुशासन<&sol;li>&NewLine;<&sol;ol>&NewLine;&NewLine;&NewLine;&NewLine;<p>इंद्रियों पर विजय प्राप्त करना आध्यात्मिक उन्नति का एक महत्वपूर्ण चरण है।<&sol;p>&NewLine;&NewLine;&NewLine;&NewLine;<h2 class&equals;"wp-block-heading" id&equals;"h-य-क-त-भगव-न-म-एकन-ष-ठ">युक्त&colon; भगवान में एकनिष्ठ<&sol;h2>&NewLine;&NewLine;&NewLine;&NewLine;<p>युक्त शब्द का अर्थ है भगवान के साथ जुड़ा हुआ। एक युक्त व्यक्ति&colon;<&sol;p>&NewLine;&NewLine;&NewLine;&NewLine;<ol class&equals;"wp-block-list">&NewLine;<li>हर समय भगवान के प्रति समर्पित रहता है<&sol;li>&NewLine;&NewLine;&NewLine;&NewLine;<li>अपने सभी कर्मों को भगवान को अर्पित करता है<&sol;li>&NewLine;&NewLine;&NewLine;&NewLine;<li>भगवान के दिव्य आनंद का अनुभव करता है<&sol;li>&NewLine;<&sol;ol>&NewLine;&NewLine;&NewLine;&NewLine;<p>युक्त अवस्था आध्यात्मिक साधना का चरम लक्ष्य है।<&sol;p>&NewLine;&NewLine;&NewLine;&NewLine;<h2 class&equals;"wp-block-heading" id&equals;"h-त-प-त-त-म-प-र-ण-स-त-ष-ट">तृप्तात्मा&colon; पूर्ण संतुष्टि<&sol;h2>&NewLine;&NewLine;&NewLine;&NewLine;<p>तृप्तात्मा वह व्यक्ति है जो पूर्णतया संतुष्ट है। यह संतुष्टि&colon;<&sol;p>&NewLine;&NewLine;&NewLine;&NewLine;<ol class&equals;"wp-block-list">&NewLine;<li>आत्मज्ञान से प्राप्त होती है<&sol;li>&NewLine;&NewLine;&NewLine;&NewLine;<li>भौतिक वस्तुओं पर निर्भर नहीं करती<&sol;li>&NewLine;&NewLine;&NewLine;&NewLine;<li>स्थायी और अटल होती है<&sol;li>&NewLine;<&sol;ol>&NewLine;&NewLine;&NewLine;&NewLine;<p>तृप्तात्मा व्यक्ति को किसी बाहरी वस्तु की आवश्यकता नहीं होती&comma; क्योंकि वह अपने भीतर ही पूर्णता का अनुभव करता है।<&sol;p>&NewLine;&NewLine;&NewLine;&NewLine;<h2 class&equals;"wp-block-heading" id&equals;"h-आध-न-क-ज-वन-म-ज-ञ-न-और-व-ज-ञ-न-क-महत-व">आधुनिक जीवन में ज्ञान और विज्ञान का महत्व<&sol;h2>&NewLine;&NewLine;&NewLine;&NewLine;<p>आज के तनावपूर्ण जीवन में&comma; ज्ञान और विज्ञान का समन्वय अत्यंत महत्वपूर्ण है। यह हमें&colon;<&sol;p>&NewLine;&NewLine;&NewLine;&NewLine;<ol class&equals;"wp-block-list">&NewLine;<li>जीवन के प्रति संतुलित दृष्टिकोण देता है<&sol;li>&NewLine;&NewLine;&NewLine;&NewLine;<li>तनाव और चिंता को कम करने में मदद करता है<&sol;li>&NewLine;&NewLine;&NewLine;&NewLine;<li>आत्म-जागरूकता बढ़ाता है<&sol;li>&NewLine;&NewLine;&NewLine;&NewLine;<li>जीवन के उद्देश्य को समझने में सहायक होता है<&sol;li>&NewLine;<&sol;ol>&NewLine;&NewLine;&NewLine;&NewLine;<h2 class&equals;"wp-block-heading" id&equals;"h-ज-ञ-न-और-व-ज-ञ-न-क-समन-वय-क-ल-भ">ज्ञान और विज्ञान के समन्वय के लाभ<&sol;h2>&NewLine;&NewLine;&NewLine;&NewLine;<figure class&equals;"wp-block-table"><table class&equals;"has-fixed-layout"><thead><tr><th>लाभ<&sol;th><th>ज्ञान का योगदान<&sol;th><th>विज्ञान का योगदान<&sol;th><&sol;tr><&sol;thead><tbody><tr><td>मानसिक शांति<&sol;td><td>सैद्धांतिक समझ<&sol;td><td>व्यावहारिक अनुभव<&sol;td><&sol;tr><tr><td>आत्म-विश्वास<&sol;td><td>शास्त्रों का ज्ञान<&sol;td><td>आत्म-अनुभूति<&sol;td><&sol;tr><tr><td>निर्णय क्षमता<&sol;td><td>नैतिक मूल्य<&sol;td><td>विवेक<&sol;td><&sol;tr><tr><td>जीवन का उद्देश्य<&sol;td><td>आध्यात्मिक लक्ष्य<&sol;td><td>व्यक्तिगत अनुभव<&sol;td><&sol;tr><tr><td>संबंधों में सुधार<&sol;td><td>सामाजिक मूल्य<&sol;td><td>भावनात्मक बुद्धिमत्ता<&sol;td><&sol;tr><&sol;tbody><&sol;table><&sol;figure>&NewLine;&NewLine;&NewLine;&NewLine;<h2 class&equals;"wp-block-heading" id&equals;"h-ज-ञ-न-और-व-ज-ञ-न-क-अभ-य-स-व-य-वह-र-क-स-झ-व">ज्ञान और विज्ञान का अभ्यास&colon; व्यावहारिक सुझाव<&sol;h2>&NewLine;&NewLine;&NewLine;&NewLine;<ol class&equals;"wp-block-list">&NewLine;<li>नियमित अध्ययन&colon; रोज कुछ समय धार्मिक या आध्यात्मिक ग्रंथों के अध्ययन के लिए निकालें।<&sol;li>&NewLine;&NewLine;&NewLine;&NewLine;<li>ध्यान&colon; दैनिक ध्यान अभ्यास शुरू करें। शुरुआत में 5-10 मिनट भी पर्याप्त है।<&sol;li>&NewLine;&NewLine;&NewLine;&NewLine;<li>सत्संग&colon; समान विचारधारा वाले लोगों के साथ समय बिताएं और विचारों का आदान-प्रदान करें।<&sol;li>&NewLine;&NewLine;&NewLine;&NewLine;<li>सेवा&colon; निःस्वार्थ सेवा करें। यह आपको व्यावहारिक अनुभव देगा।<&sol;li>&NewLine;&NewLine;&NewLine;&NewLine;<li>आत्म-चिंतन&colon; रोज कुछ समय अपने विचारों और कर्मों पर चिंतन करें।<&sol;li>&NewLine;&NewLine;&NewLine;&NewLine;<li>योग&colon; शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य के लिए योग का अभ्यास करें।<&sol;li>&NewLine;&NewLine;&NewLine;&NewLine;<li>प्रकृति के साथ जुड़ाव&colon; प्रकृति के साथ समय बिताएं। यह आपको आंतरिक शांति प्रदान करेगा।<&sol;li>&NewLine;<&sol;ol>&NewLine;&NewLine;&NewLine;&NewLine;<h2 class&equals;"wp-block-heading" id&equals;"h-च-न-त-य-और-सम-ध-न">चुनौतियाँ और समाधान<&sol;h2>&NewLine;&NewLine;&NewLine;&NewLine;<p>ज्ञान और विज्ञान के मार्ग पर चलने में कुछ चुनौतियाँ हो सकती हैं&colon;<&sol;p>&NewLine;&NewLine;&NewLine;&NewLine;<ol class&equals;"wp-block-list">&NewLine;<li>समय की कमी&colon; दैनिक जीवन में थोड़ा-थोड़ा समय निकालें।<&sol;li>&NewLine;&NewLine;&NewLine;&NewLine;<li>एकाग्रता की कमी&colon; धीरे-धीरे अभ्यास बढ़ाएं।<&sol;li>&NewLine;&NewLine;&NewLine;&NewLine;<li>संदेह&colon; गुरु या अनुभवी व्यक्ति से मार्गदर्शन लें।<&sol;li>&NewLine;&NewLine;&NewLine;&NewLine;<li>सामाजिक दबाव&colon; अपने लक्ष्य पर दृढ़ रहें।<&sol;li>&NewLine;&NewLine;&NewLine;&NewLine;<li>असफलता का भय&colon; याद रखें&comma; हर असफलता एक सीख है।<&sol;li>&NewLine;<&sol;ol>&NewLine;&NewLine;&NewLine;&NewLine;<h2 class&equals;"wp-block-heading" id&equals;"h-न-ष-कर-ष">निष्कर्ष<&sol;h2>&NewLine;&NewLine;&NewLine;&NewLine;<p>ज्ञान और विज्ञान का संगम हमें एक संपूर्ण व्यक्तित्व विकसित करने में मदद करता है। यह हमें न केवल बौद्धिक रूप से समृद्ध बनाता है&comma; बल्कि आंतरिक शांति और संतोष भी प्रदान करता है।<&sol;p>&NewLine;&NewLine;&NewLine;&NewLine;<p>आज के भागदौड़ भरे जीवन में&comma; यह समन्वय हमें संतुलित और साथर्क जीवन जीने में मदद कर सकता है। याद रखें&comma; यह एक यात्रा है&comma; एक गंतव्य नहीं। धैर्य रखें&comma; लगातार प्रयास करें&comma; और अपने आंतरिक ज्ञान पर भरोसा करें।<&sol;p>&NewLine;&NewLine;&NewLine;&NewLine;<p>जैसे-जैसे आप इस मार्ग पर आगे बढ़ेंगे&comma; आप पाएंगे कि आपका जीवन अधिक अर्थपूर्ण&comma; शांतिपूर्ण और आनंदमय हो रहा है। ज्ञान और विज्ञान के इस अद्भुत संगम को अपने जीवन में उतारें और देखें कैसे यह आपके अस्तित्व के हर पहलू को प्रकाशित करता है।<&sol;p>&NewLine;&NewLine;&NewLine;&NewLine;<p>अंत में&comma; याद रखें कि हर व्यक्ति अपने आप में एक अनूठा संगम है &&num;8211&semi; बाहरी ज्ञान और आंतरिक अनुभूति का। अपनी इस विशिष्टता को पहचानें&comma; उसका सम्मान करें&comma; और उसे विकसित करें। यही सच्चे अर्थों में ज्ञान और विज्ञान का संगम है&comma; जो आपको एक उन्नत योगी&comma; एक विवेकशील व्यक्ति&comma; और एक तृप्तात्मा बनने की ओर ले जाएगा।<&sol;p>&NewLine;&NewLine;&NewLine;&NewLine;<div class&equals;"wp-block-buttons is-content-justification-space-between is-layout-flex wp-container-core-buttons-is-layout-3d213aab wp-block-buttons-is-layout-flex">&NewLine;<div class&equals;"wp-block-button"><a class&equals;"wp-block-button&lowbar;&lowbar;link wp-element-button" href&equals;"https&colon;&sol;&sol;sanatanroots&period;com&sol;bhagavad-gita-chapter-6-verse-7&sol;">Previous<&sol;a><&sol;div>&NewLine;&NewLine;&NewLine;&NewLine;<div class&equals;"wp-block-button"><a class&equals;"wp-block-button&lowbar;&lowbar;link wp-element-button" href&equals;"https&colon;&sol;&sol;sanatanroots&period;com&sol;bhagavad-gita-chapter-6-verse-9&sol;">Next<&sol;a><&sol;div>&NewLine;<&sol;div>&NewLine;

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