दीवाली 2025: माँ लक्ष्मी की कृपा पाने का सबसे पवित्र अवसर

साल की सबसे प्रतीक्षित रात अब बस आने ही वाली है—दीवाली 2025, जब लाखों दीपक घर-आँगन में जगमगाएँगे, दिल खुशियों से भर उठेंगे, और माँ लक्ष्मी का दिव्य आशीर्वाद हर घर में समृद्धि की वर्षा करेगा।
सोमवार, 20 अक्टूबर 2025 को अमावस्या की रात जब चारों ओर अंधकार छा जाएगा, तब माँ लक्ष्मी का स्वागत पूरे विधि-विधान और अटूट श्रद्धा से करने का समय होगा।
यह विस्तृत मार्गदर्शिका आपको लक्ष्मी पूजा 2025 के हर पहलू से परिचित कराएगी — शुभ मुहूर्त से लेकर चरणबद्ध पूजा विधि, शक्तिशाली मंत्र, आवश्यक सामग्री और उन आध्यात्मिक रहस्यों तक, जो आपके भाग्य को बदल सकते हैं।
चाहे आप पहली बार यह पूजा कर रहे हों या अपनी साधना को और गहरा बनाना चाहते हों — यह लेख सुनिश्चित करेगा कि माँ लक्ष्मी की कृपा आप पर पूर्ण रूप से बरसे।
🌸 दीवाली पर लक्ष्मी पूजा क्यों की जाती है?
🔱 दैविक संबंध
हिंदू ग्रंथों के अनुसार, माँ लक्ष्मी का प्रकट होना समुद्र मंथन के समय अमावस्या की रात हुआ था, जब वे स्वर्ण कलश के साथ प्रकट हुईं — जो अनंत समृद्धि का प्रतीक है। यही कारण है कि दीवाली की रात को माँ लक्ष्मी की उपासना अत्यंत शुभ मानी जाती है।
ऐसा माना जाता है कि इस रात माँ लक्ष्मी अपने भक्तों के घरों में आती हैं और जो घर स्वच्छ, अनुशासित और भक्ति से परिपूर्ण होता है, वहाँ स्थायी रूप से निवास करती हैं।
वे केवल धन ही नहीं, बल्कि स्वास्थ्य, ज्ञान, शांति और आध्यात्मिक उन्नति का वरदान देती हैं।
🪔 अंधकार पर प्रकाश की विजय
दीवाली भगवान राम के 14 वर्ष के वनवास के बाद अयोध्या आगमन और रावण पर विजय का पर्व है।
जब पूरी अयोध्या ने उनके स्वागत में दीप जलाए, तभी से दीपावली की परंपरा शुरू हुई।
माँ लक्ष्मी की पूजा इस रात केवल धन के लिए नहीं, बल्कि जीवन से अज्ञान, दुर्भाग्य और नकारात्मकता को मिटाकर प्रकाश, समृद्धि और सकारात्मकता का स्वागत करने के लिए की जाती है।
🌑 अमावस्या का रहस्य
अमावस्या की रात पूर्ण अंधकार का प्रतीक है — और यही समय होता है जब दिव्य प्रकाश को सबसे गहराई से ग्रहण किया जा सकता है।
इस रात की गई लक्ष्मी पूजा अत्यधिक शक्तिशाली होती है और आपके जीवन में धन और सौभाग्य के द्वार खोलती है।
📅 लक्ष्मी पूजा 2025: तिथि और शुभ मुहूर्त
मुख्य तिथि:
🗓️ सोमवार, 20 अक्टूबर 2025 (कार्तिक अमावस्या)
शुभ मुहूर्त (लक्ष्मी पूजा का सर्वश्रेष्ठ समय):
🕖 शाम 7:08 बजे से 8:18 बजे तक (अवधि – 1 घंटा 11 मिनट)
विस्तृत समयावधि:
- प्रदोष काल: 5:46 PM – 8:18 PM
- लक्ष्मी पूजा मुहूर्त: 7:08 PM – 8:18 PM
- वृषभ लग्न (स्थिर लग्न): 7:08 PM – 9:03 PM
- अमावस्या तिथि आरंभ: 20 अक्टूबर, 3:44 PM
- अमावस्या समाप्ति: 21 अक्टूबर, 5:54 PM
यह समय क्यों शुभ माना जाता है:
प्रदोष काल सूर्यास्त के बाद लगभग 2 घंटे 24 मिनट तक रहता है।
वृषभ लग्न (स्थिर लग्न) के समय लक्ष्मी पूजा करने से माँ लक्ष्मी स्थायी रूप से घर में निवास करती हैं।
इसलिए 7:08 PM से 8:18 PM का संयोजन काल सबसे श्रेष्ठ माना गया है।
(ध्यान दें: आपके नगर के अनुसार समय थोड़ा भिन्न हो सकता है। अपने स्थानीय पंचांग से अवश्य पुष्टि करें।)
वैकल्पिक मुहूर्त:
- दोपहर मुहूर्त: 3:44 PM – 5:46 PM
- निषीथ काल: 11:41 PM – 12:31 AM (मुख्यतः तांत्रिक साधकों के लिए)
🪙 लक्ष्मी पूजा की आवश्यक सामग्री (पूजा सामग्री सूची)
मंदिर / वेदी के लिए:
- माँ लक्ष्मी की प्रतिमा या फोटो
- भगवान गणेश और माँ सरस्वती की प्रतिमा
- लाल कपड़ा (वेदी ढकने हेतु)
- चौकी या बाजोट
- कलश (ताँबे या पीतल का)
- आम के पत्ते, नारियल, चावल, सिक्के
पूजा सामग्री:
- रोली, हल्दी, अक्षत, चंदन
- ताजे फूल (कमल सबसे शुभ)
- फूलों की माला
- सुपारी, पान, दूर्वा
- मिठाइयाँ, फल, पंचामृत, सूखे मेवे
- घी और तेल के दीये, कपूर, अगरबत्ती, धूप
- नई मुद्रा (नोट/सिक्के), चाँदी या सोने का सिक्का
- घंटी, शंख, आरती थाली, जलपात्र, नई बही-खाता (चोपड़ा पूजन हेतु)
🙏 लक्ष्मी पूजा विधि (Step-by-Step Puja Vidhi)
🕉️ चरण 1: कलश स्थापना
कलश में जल, फूल, सुपारी और सिक्का डालें। ऊपर आम के पत्ते और नारियल रखें। इसे चावल के ढेर पर रख दें — यह सभी देवताओं का प्रतीक है।
🌺 चरण 2: संकल्प लें
दाएँ हाथ में जल लेकर संकल्प लें:
“आज कार्तिक अमावस्या के पावन दिन, मैं [अपना नाम], माँ लक्ष्मी की पूजा अपने परिवार की सुख-समृद्धि हेतु कर रहा/रही हूँ। माँ लक्ष्मी कृपा करें।”
🪔 चरण 3: गणेश पूजन
सर्वप्रथम विघ्नहर्ता गणेश का आवाहन करें –
“ॐ गं गणपतये नमः” (11 बार जपें)।
💫 चरण 4: मुख्य लक्ष्मी पूजा
अब माँ लक्ष्मी की ध्यानपूर्वक आराधना करें —
कमलासन पर विराजमान, चार भुजाओं में कमल और स्वर्ण मुद्राएँ, लाल वस्त्रों में, सुवर्ण आभा से युक्त।
मंत्र:
“ॐ ह्रीं श्रीं लक्ष्म्यै नमः”
फिर क्रमशः
- आसन अर्पण
- पाद्य (जल)
- अर्घ्य
- आचमन
- स्नान (पंचामृत और जल)
- वस्त्र, चंदन, पुष्प, धूप, दीप, नैवेद्य अर्पण करें।
💰 चरण 5: मंत्र जाप
सबसे शक्तिशाली लक्ष्मी मंत्र:
- बीज मंत्र:
“ॐ श्रीं महालक्ष्म्यै नमः” (108 बार) - लक्ष्मी गायत्री मंत्र:
“ॐ महालक्ष्म्यै च विद्महे, विष्णुपत्न्यै च धीमहि, तन्नो लक्ष्मीः प्रचोदयात्” - धन प्राप्ति मंत्र:
“ॐ ह्रीं श्रीं क्लीं श्रीं क्लीं वित्तेश्वराय नमः”
🔔 आरती और समापन
ॐ जय लक्ष्मी माता, मईया जय लक्ष्मी माता…
(पूर्ण आरती करें, कपूर जलाएँ, आरती थाली से सात बार प्रदक्षिणा करें।)
फूल अर्पण करें, नमस्कार करें, क्षमा याचना करें और माँ से निवास की प्रार्थना करें —
“ॐ श्रीं लक्ष्मी मम गृहे तिष्ठतु स्वाहा।”
फिर प्रसाद बाँटें और परिवार संग आनंद मनाएँ।
🌙 पूजा के बाद के विशेष नियम
- रातभर घर में दीपक जलते रहें (मुख्य द्वार, पूजा स्थल, रसोई आदि में)।
- मुख्य द्वार थोड़ा खुला रखें ताकि माँ लक्ष्मी प्रवेश कर सकें।
- रात में झाड़ू-पोछा न करें।
- भजन और मंत्र संगीत धीरे स्वर में बजाएँ।
- घर में हँसी-खुशी और सकारात्मक वातावरण बनाए रखें।
💼 व्यवसाय के लिए चोपड़ा पूजन (Chopda Pujan)
- नई बहीखाते, लैपटॉप, महत्वपूर्ण दस्तावेज पूजा स्थल पर रखें।
- “शुभ-लाभ” लिखें और “ॐ श्रीं महालक्ष्म्यै नमः” अंकित करें।
- कुंकुम और चावल से तिलक करें।
- कार्यालय में सामूहिक पूजा करें और मिठाइयाँ बाँटें।
✨ विशेष मंत्र – अलग-अलग उद्देश्यों के लिए
- धन-संपत्ति हेतु:
ॐ ह्रीं श्रीं क्लीं महालक्ष्म्यै नमः - व्यवसाय सफलता हेतु:
ॐ श्रीं ह्रीं क्लीं श्रीं क्लीं वित्तेश्वराय नमः - ऋण मुक्ति हेतु:
ॐ ह्रीं श्रीं ह्रीं ऋण हरणाय नमः - सर्वसंपन्नता हेतु:
ॐ महालक्ष्मि नमो नमः
श्री महालक्ष्मि नमो नमः
पूर्ण पूर्ण महालक्ष्मि नमो नमः
⚠️ सामान्य भूलें जो नहीं करनी चाहिए
- पूजा का समय गलत न चुनें — हमेशा शुभ मुहूर्त में ही करें।
- पूजा सामग्री अधूरी न रखें।
- घर की सफाई और पवित्रता बनाए रखें — माँ लक्ष्मी को स्वच्छता प्रिय है।
- पूजा करते समय मन शांत और श्रद्धापूर्ण रखें।
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