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भगवद गीता: अध्याय 5, श्लोक 6

संन्यासस्तु महाबाहो दुःखमाप्तुमयोगतः ।
योगयुक्तो मुनिर्ब्रह्य नचिरेणाधिगच्छति ॥6॥

https://www.holy-bhagavad-gita.org/public/audio/005_006.mp3संन्यासः-वैराग्य; तु–लेकिन; महाबाहो बलिष्ठ भुजाओं वाला, अर्जुन; दुःखम्-दुख; आप्तुम्–प्राप्त करता है; अयोगतः-कर्म रहित; योग–युक्त:-कर्मयोग में संलग्न; मुनिः-साधुः ब्रह्म-परम सत्य; न चिरेण-शीघ्र ही; अधिगच्छति–पा लेता है।

Hindi translation: भक्तियुक्त होकर कर्म किए बिना पूर्णतः कर्मों का परित्याग करना कठिन है। हे महाबलशाली अर्जुन! किन्तु जो संत कर्मयोग में संलग्न रहते हैं, वे शीघ्र परम परमेश्वर को पा लेते हैं।

वैराग्य का सच्चा अर्थ: कर्म के माध्यम से आत्मशुद्धि

प्रस्तावना

हिमालय की गोद में बैठे एक योगी की कहानी से हम एक गहन सत्य की ओर ले जाते हैं – वास्तविक वैराग्य क्या है? क्या यह सिर्फ भौतिक संसार से दूर रहने में निहित है, या इसका कोई गहरा अर्थ है? आइए इस विषय पर गहराई से विचार करें।

योगी की कहानी: एक आत्मनिरीक्षण

गढ़वाल के पहाड़ों में 12 वर्षों तक तपस्या करने वाले एक साधु की कहानी हमें सोचने पर मजबूर करती है। हरिद्वार के कुंभ मेले में एक छोटी सी घटना ने उनके वर्षों के साधना को प्रश्नचिह्न लगा दिया। यह घटना हमें सिखाती है कि:

  1. वास्तविक परीक्षा समाज में रहकर होती है।
  2. क्रोध पर नियंत्रण वैराग्य का एक महत्वपूर्ण पहलू है।
  3. आत्मनिरीक्षण साधना का अभिन्न अंग है।

कर्मयोग: वैराग्य का सच्चा मार्ग

श्रीकृष्ण का उपदेश

भगवान श्रीकृष्ण ने अर्जुन को जो उपदेश दिया, वह आज भी उतना ही प्रासंगिक है:

“युद्ध लड़ना जारी रखो, लेकिन अपनी मानसिकता को बदलो।” – श्रीकृष्ण

कर्म के माध्यम से मन की शुद्धि

कर्मयोग का मूल सिद्धांत है:

  1. अपनी प्रकृति और प्रतिभा का सही उपयोग
  2. निःस्वार्थ भाव से कर्म करना
  3. फल की चिंता किए बिना कर्तव्य निभाना

वैराग्य की प्रकृति: एक गहन विश्लेषण

पकने की प्रक्रिया

वैराग्य को एक फल के पकने की प्रक्रिया से समझा जा सकता है:

अवस्थाफल की स्थितिव्यक्ति की स्थिति
कच्चावृक्ष से चिपकासंसार से आसक्त
पकता हुआधीरे-धीरे ढीलाकर्म करते हुए विरक्त
पका हुआस्वतः गिर जातापूर्ण वैराग्य

अनुभव का महत्व

  1. कर्मयोग अनुभव प्रदान करता है
  2. अनुभव ज्ञान को परिपक्व करता है
  3. परिपक्व ज्ञान वास्तविक वैराग्य लाता है

वैराग्य और साधना: एक संतुलित दृष्टिकोण

गहन निद्रा का उदाहरण

जैसे गहन निद्रा कड़ी मेहनत के बाद आती है, वैसे ही:

संतुलन का महत्व

  1. न तो पूर्ण त्याग, न ही पूर्ण आसक्ति
  2. कर्म करते हुए अनासक्त रहना
  3. संसार में रहकर उससे ऊपर उठना

निष्कर्ष: वैराग्य का सार

वैराग्य का सच्चा अर्थ है:

  1. बाहरी त्याग नहीं, आंतरिक परिवर्तन
  2. पलायन नहीं, सामना करना
  3. निष्क्रियता नहीं, सक्रिय निर्लिप्तता

हमें याद रखना चाहिए कि वास्तविक वैराग्य एक यात्रा है, मंजिल नहीं। यह एक ऐसी अवस्था है जो हमें जीवन के हर क्षण में साधनी होती है। जैसे-जैसे हम अपने कर्मों को निष्काम भाव से करते जाते हैं, वैसे-वैसे हमारा मन शुद्ध होता जाता है और हम सच्चे वैराग्य की ओर बढ़ते हैं।

अंत में, हम कह सकते हैं कि वैराग्य का मार्ग कठिन है, लेकिन असंभव नहीं। यह मार्ग हमें सिखाता है कि कैसे संसार में रहकर भी उससे ऊपर उठा जा सकता है। यही वह संदेश है जो हमें अपने दैनिक जीवन में उतारना चाहिए, ताकि हम एक संतुलित और आध्यात्मिक जीवन जी सकें।

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